Home क्रिकेट मेरी जान। बिहार महिला टीम के कप्तान अपूर्वा की कहानी,जब क्रिकेट किट घर से फेक दिया गया था।

बिहार महिला टीम के कप्तान अपूर्वा की कहानी,जब क्रिकेट किट घर से फेक दिया गया था।

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पटना।। चलिए आज जानते बिहार महिला टीम की कप्तान अपूर्वा मेहता के बारे में जिनका हाल ही में सेलक्शन अंडर-19 प्लेट ग्रुप के लिए हुए है इनके पिता एक प्राइवेट जॉब करते है क्रिकेट कैसे अपूर्वा की जिंदगी बन गयी इसके बारे में अपूर्वा से जानते है ।।

खेलबिहार.कॉम ऐसे ही बिहार के हुनहार क्रिकेटरों की कहानी आप सबो तक “क्रिकेट मेरी जान” की सीरीज के माध्यम से आप लोग तक पहुचाएगा और बिहार से परिचय करबायेगा।।आप आज ही हमे फेसबुक पेज पर फॉलो करे हमारा फेसबुक पेज है khelbihar.com

सवाल:- क्रिकेट की शुरआत कैसे किया अपने कबसे क्रिकेट खेलना शुरू किया।

अपूर्वा बताती है कि उन्होंने क्रिकेट को 2016 से खेलना शुरू किया था पहले वह गली क्रिकेट अपने भाई के साथ खेला करती थी वह भी प्लस्टिक या रबर बॉल से खेला करती थी ।जब वह 10th में आ गयी तो घर से बाहर जाने नही दिया जाता था मम्मी पापा भाई सभी गुस्सा करते थे,और उस समय इनको क्रिकेट में कोई मंजिल भी नही दिख रहे थे ।लेकिन उन्हें बस एक जिद थी कि मुझे खेलना है तो खेलना है

क्रिकेट खेलने से घर वाले क्यो मना करते थे खेलने से:-
घर मे पापा या मम्मी इसलिए मना करते थे क्योंकि आज तक महिला को क्रिकेट खेलते कभी नही देखा था उनको नही पता था कि महिला क्रिकेट भी होता है एक बार पूर्णिया में पीपीएल महिला टूर्नामेंट हुआ उस समय सभी ने देखा जिसके बाद मैं जिद करने लगी कि मुझे खेलने दो क्रिकेट लेकिन सभी ने बैडमिंटन खेलने को कहा इसलिए छ महीने तक बैडमिंटन भी खेला था लेकिन उसमें बिल्कुल मन नही लगता था मेरा इसलिए मैं यह छोड़ दी खेलना।

क्रिकेट में किसका साथ मिला आपको :-
क्रिकेट में मेरी दीदी और मेरी नानी जी का बहुत बड़ा साथ रहा जब मैं क्रिकेट खेलने जाती थी तो घर आने के बाद भैया मेरा किट उठाकर फेक देते थे बोलते थे कहा जाती हो छोर दो खेलना इसमें कुछ नही रखा है चेहरा भी काला हो गया है खेलते खेलते ।घर के बाद मोहल्ले बाले भी बीच मे रोक रोक कर कहते थे क्रिकेट में कुछ नही है मेरा लड़का 5 साल से खेल रहा कुछ नही हुआ छोर दो ये सब।पढ़ाई करलो लेकिन फिर भी मैं खेलती थी।

नानी के साथ

आपके क्रिकेट गुरु या कोच कौन थे जिन्होंने आपको क्रिकेट सिखाया:- हमारे कोच पूर्णिया डिस्ट्रिक के सेक्रेटरी राजेश सर थे जिन्हीने मुझे खेलते हुए देखा और उनको लगा कि मैं अच्छा खेल सकती हूं तो उन्हीने मुझे क्रिकेट के बारे में बताने लगे।सर के बाद मेरी क्रिकेट की ज़िंदगी मे मेरी नानी का सबसे बड़ा हाथ रहा है जब घर मे सब मेरे खिलाफ थी तो नानी ही सबको समझाती थी कि इसको जो करना है करने दो।।

आप का अंडर-19 प्लेट ग्रुप में सेलक्शन हुआ कैसे पहुँची यहां तक।:-

जब बिहार के लिए ट्रायल हुआ तो मेरा बिहार के ट्रायल में सेलक्शन हुआ उसके बाद नार्थ ईस्ट में पहला शतक मेरा ही था,इसके बाद मैंने जेडसीए(ZCA),एमसीए के लिए सेलक्शन हुए ,इस साल भी अच्छा परफॉर्मेंस रहा इसलिए मेरे सेलक्शन अंडर-19 के प्लेट ग्रुप में हुआ।
इसमें मेरी मेहनत रही मेरे पापा का एक दुकान था जो मुझे भी चलना पड़ता था सुबह 5 बजे दुकान पर उठ कर जाते थे उसके बाद 1 बजे वापस आकर फिर मैदान में क्रिकेट खेलने जाते थे।

आप कहा क्रिकेट प्रैक्टिस करते थे और अभी करते है

मैंने अभी तक कोई क्रिकेट एकेडमी जॉइन नही की है बस मेरे को राजेश सर ही सिखाते थे उस समय मेरे पास एक जुनून सा था कि मुझे कुछ करना है तो करना है ।

बिहार से होने पर आपको कोई समस्या का सामना भी करना पड़ा जब आप एनसीए कैम्प में गई या दूसरे राज्य के खिलाड़ियो के साथ खेली तो:-
मैंने जब एनसीए कैम्प में गयी थी तो कुछ भी नही पता था क्या होता है या नही और बिहारी होने पर इग्नोर भी किया जाता था हमलोग को, जब कोई पूछता कहा से हो तो बिहार का नाम लेने पर एक इग्नोर सा करने लगते थे बोलते थे ये तो बिहार की है ।। जब मुझे इग्नोर किया करते थे तो मुझे बहुत गुस्सा आता था और मैं और भी मेहनत करती थी उससे अच्छा करना चाहती थी ताकि मुझसे पूछने आये की ये कैसे कर लेती हो आप।

बिहार क्रिकेट के लिए आप ने कब से शुरू किया खेलना।

2017 में मुझे बिहार के टीम में जगह मिली और जल्द ही मुझे बिहार की कप्तानी भी मिल गयी थी पहली बार जब बिहार के लिए खेले थे तो उस समय उतना अच्छा परफॉर्मेंस नही रहा था लेकिन इस साल अच्छा परफॉर्मेंस रहा और यही कारण रहा कि मैं एनसीए कैम्प और अब अंडर-19 प्लेट ग्रुप में भी सेलेक्ट हो गयी।

क्या बिहार की महिला टीम अन्य राज्य के टीम के साथ अच्छे से कंप्लीट कर पाएगी:-

जरूर करेगी बिहार में एक भी ऐसा क्रिकेट एकेडमी नही है जो लड़कियों की हो जहाँ पर जाकर प्रैक्टिस किया जा सके पहले इस समस्या का समाधान करना होगा ,नही कोई ग्राउंड है जो अच्छे लेवल की हो ,नही कोई टूर्नामेंट होती है महिलाओं के लिए इन सभी को सही करने की जरूरत है ।।

बिहार में महिला क्रिकेट एकेडमी की है कमी:-

दूसरे राज्य के महिला टीम के साथ जैसे झारखंड में सभी के लिए क्रिकेट एकेडमी उपलब है उस एकेडमी में बीसीसीआई लेवल के कोच या रणजी खिलाड़ी क्रिकेट सिखाते है पर बिहार में ऐसा कुछ नही है बिहार में भी कुछ कोच है जो उच्च स्तरीय के है लेकिन और ऐसे ही कोचों की जरूरत है दूसरे राज्य के खिलाड़ी 365 दिन प्रैक्टिस करते है लेकिन हमारे बिहार में उच्च स्तरीय क्रिकेट एकेडमी भी नही है जहाँ 365 दिन प्रैक्टिस किया जा सके ,हमलोग बारिश के दिन में प्रैक्टिस छोर देते है लेकिन बाहर की खिलाड़ी ऐसा नही करते है।।

बिहार की लड़कियों को क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए क्या करना होगा:-

बिहार की लड़कियों में ओ सब है जो एक लड़के क्रिकेट में कर रहे है लेकिन हमारा समाज मे बदलाव लाना होगा हमारे समाज मे लड़कियों के साथ वेदभाव बहुत होते है अगर कोई क्रिकेटर बनना चाहती है तो सबसे पहले उसे ये तय कर लेना होगा कि चाहे जो हो मुझे खेलना ही है मेहनत करते रहना चाहिए ।।

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