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जाने भारतीय महिला क्रिकेट ख़िलाडी स्मृति मंधाना के स्ट्रगल कहानी। क्लिक कर देखे।

by Khelbihar.com

खेलबिहार.कॉम न्यूज़

नई दिल्ली: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना का मानना है कि एक समय ऐसा भी था, जब उनकी मां चाहतीं थीं कि वह क्रिकेट की जगह टेनिस जैसा कोई व्यक्तिगत खेल चुनें लेकिन क्रिकेट के प्रति उनके प्यार के आगे मां को झुकना पड़ा और आज उनके करियर को तराशने में उनके माता-पिता का सबसे अहम योगदान है.

अपनी बल्लेबाजी से सबका ध्यान आकर्षित कर चुकीं मंधाना को इस साल आईसीसी ने ‘साल का सबसे अच्छा वनडे खिलाड़ी’ और ‘साल का सबसे अच्छा क्रिकेटर’ चुना. मंधाना भारत की सबसे युवा टी-20 कप्तान बनीं. मार्च में मंधाना ने इंग्लैंड के साथ हुए टी-20 मैच में पहली बार कप्तानी की थी.

आज बाटा जैसी मल्टीनेशनल कम्पनी का ब्रैंड एम्बेसेडर बन चुकीं मंधाना के लिए अब तक का सफर आसान नहीं रहा है क्योंकि उनके घर में उनके खेल के चयन को लेकर दो राय थी लेकिन समय के साथ सब एक राय होते चले गए और आज आलम यह है कि उनके माता-पिता उनके करियर को संवारने में सबसे अहम कारक बनकर उभरे हैं.

माता-पिता पूरी तरह मेरे साथथी

मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखने वाले मंधाना ने कहा, “मेरी मां चाहती थीं कि मैं खेलूं लेकिन वह चाहती थीं कि मैं कोई व्यक्तिगत खेल खेलूं, टीम गेम नहीं. वह चाहती थीं कि मैं टेनिस खेलूं. एक समय के बाद हालांकि उन्हें अहसास हुआ कि मैं क्रिकेट को लेकर पागल हूं और तब जाकर हमने क्रिकेट को लेकर फैसला किया. इसके बाद मेरे माता-पिता पूरी तरह मेरे साथ रहे.”

छींटाकशी का सामना
घरेलू क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली पहली भारतीय क्रिकेटर स्मृति को अपने इस सफर के दौरान समाज की छींटाकशी का भी सामना करना पड़ा. शुरुआत में लोग कहा करते थे कि लड़की है और दिन-दिन भर खेलेगी तो काली हो जाएगी और फिर इससे शादी कौन करेगा.

शादी कौन करेगा
बकौल मंधाना, “मेरे सांवले होने को लेकर भी चर्चा होती थी. लोग कहते थे कि काली हो गई तो इससे शादी कौन करेगा. लेकिन मैंने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी. मेरी मां ने मुझसे कहा था कि कि उन्हें कहने दो..जब तुम भारत के लिए खेलोगी तो वही लोग तुम्हारी ओर देखेंगे. अब लोग मेरी काबिलियत को पहचानते हैं और मेरी ओर देखते हैं.”

बाटा के ब्रैंड-पावर द्वारा शुरू किए गए-हैशटैगफाइंडयोरपावर-कैम्पेन का हिस्सा मंधाना मानती हैं कि हर खिलाड़ी के करियर में एक दौर ऐसा भी आता है, जब वह अच्छा-और अच्छा करना चाहता है.

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