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Patna: बिहार क्रिकेट जगह में एक चयनकर्ताओं द्वारा ईस्ट चंपारण(मोतिहारी)जिला संघ के पदाधिकारी के कामो को लेकर फ़ेसबुक सोसल मीडिया पर सवाल उठाया गया और बताया की कैसे बिना हमारे हस्ताक्षर के चयनित खिलाड़ियो की लिस्ट जारी कर दिया गया,दरसल यह मामला SGFI अंडर-19 में चयन के लेकर हो रही है,.
डीके पाल ने अपने फेसबुक बॉल पर लिखा:-
घोर अन्याय,
खेल प्राधिकरण ने हमे चयनकर्ता नियुक्त किया और बिना मेरे अनुमति और हस्ताक्षर के मोतिहारी में सीके नायडू अंडर-19 टीम की घोषणा कर दी गई।मोतिहारी जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव और जिला खेल पदाधिकारी के द्वारा इतना बढियां खातिरदारी से अभिभूत हूँ।जिन्होंने पूरे 10 दिन के आयोजन में ये भी जानने की कोशिस नही की,की मैं इनके जिले कहाँ और किस अवस्था में रुका हुआ हूँ।और नही तो मैच समाप्ति के पश्चात इन सभी ने हमसे फोर्सली चयन। तालिका पर हस्ताक्षर करवाने की भरपूर कोशिश की।जिसे मैं सिरे से खारिज़ कर दिया।मोतिहारी जिले में मेरे साथ ऐसी हरकत होगी सपने में भी नही सोंचा था।मैं इन सारी घटनाओं को पत्र के माध्यम से विभाग को अवगत कराउँगा।
इसका जबाब देते हुए ईस्ट चंपारण जिला संघ के सचिव ज्ञानेश्वर गौतम ने लिखा जिसे खेलबिहार. कॉम हु बहू पेस किया है पढ़े:-
श्री मान डी के पाल के द्वारा लगाए गए आरोपो से आहत हो कर लिख रहा हूं।पता नही इस पाल को इतना लिखने की हिम्मत कहा से हो रही है। bca के रिकमेंडेशन के बाद खेल प्राधिकरण द्वारा पाल को sgfi u -19 का चयनकर्ता बनाया गया।इस बार वेन्यू मोतिहारी था और मैं bca के द्वारा ही ग्राउंड का कन्वेनर बनाया गया।दो चयन कर्ता बनाये गए थे जिसमें से एक श्री कुमार गिरी गोपालगंज के नही आने की वजह से खेल पदाधिकारी द्वारा एक चयनकर्ता मुझे बना दिया गया ओर दिनांक 15.11.2019 को ही इससे संबंधित पत्र मुझे दे दिया गया।
श्री पाल पहले दिन औऱ अंतिम दिन ग्राउंड में आये।पहले दिन चुकी मैं पटना के रास्ते मे था तो इनका फ़ोन मेरे पास आया कि मैं आ रहा हूं और जॉइन करके आपके साथ ही लौट जाना चाहता हु।मैने उन्हें बता दिया कि मैं पटना के लिए निकल चुका हूं ,खैर वो आये और चले गए मैंने उनका शक्ल भी नही देखा।मैच के अंतिम दिन फाइनल के पूर्व संध्या पर मेरे कोषाध्यक्ष महोदय के यहाँ आयोजित एक निजी पार्टी में मैने जाना कि यही पाल है जिन्हें चयन करना है।उस समय इन्होंने ना ही मुझसे पूछा कि मैं कहाँ रुकूँगा ऒर न ही मैन कुछ बताया।
ये संभवतः अंपायर लोगो के साथ रुके थे।
फाइनल की समाप्ति के बाद मैंने इनसे कहा कि आइये बैठ कर टीम बना लेते है तो इन्होंने कहा कि टीम पटना में बनेगी आपलोग मुझे स्कोर बोर्ड की कॉपी दे दे।मैं वही से चयन कर प्राधिकरण को खिलाड़ियों की सूची सौप दूंगा ।ऐसा ही आदेश मुझे प्राप्त हुआ है।मैने पाल को समझाने का प्रयास किया लेकिन उसने अपनी मजबूरी बताई की मुझे यही आदेश है कि स्कोर कार्ड ले कर आ जाना है ,टीम पटना में बनेगी।
तब एक चयनकर्ता होने के नाते मैंने साफ तौर पर मना कर दिया कि टीम यहीं बनेगी ओर आज तक यही बनती रही है।इस मुद्दे पर खेल पदाधिकारी द्वारा इनकी बात प्राधिकरण के श्री मिथिलेश जी से भी कराई गई,लेकिन ये अपने जिद पर अड़े रहे और लगभग 2 घंटे की जद्दोजहद के बाद बिना सूची बनाये पटना वापस हो गए।बाद में मेरे द्वारा कड़ी मेहनत के बाद सभी खिलाड़ियों के परफॉर्मेंस को आधार मान कर टीम का चयन किया गया ओर इसे खेल पदाधिकारी को सौप दिया गया।क्या मैंने गलत किया।आप सबों से जबाब अपेक्षित है।
और यदि मैंने सही किया है तो पाल के खिलाफ क्या कारवाई होनी चाहिए।