Home Bihar Cricket News, SGFI Games मे सिर्फ क्रिकेट ही नही हर खेल मे होता है खिलाड़ियों के उम्र मे फर्जीवाड़ा-मो.अरसद जेन

SGFI Games मे सिर्फ क्रिकेट ही नही हर खेल मे होता है खिलाड़ियों के उम्र मे फर्जीवाड़ा-मो.अरसद जेन

by Khelbihar.com

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Patna: दुर्भाग्य की बात है के जिस बिहार राज्य का मान बढ़ाने के लिए मान्य मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार लगातार मेहनत कर रहे , विकास का कार्य कर रहे, जल जिवन हरयाली कर रहे, शिक्षा हो या स्वास्थ सब मे लगातार सुधार हो भी रहा है वही इसके उलट बिहार के खेलों मे भरष्टाचार चरम पर है और कहीं न कहीं हमारे बिहार और मान्य मुख्यमंत्री के सम्मान को ठेस पहुंचाने का काम भी कर रहा है…।


क्रिकेट एक ऐसा खेल जिसकी हमारे देश मे पुजा होती है एक बिहार ही है जहाँ पहले से ही बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (BCA) भरष्टाचार और बाहरी खिलाड़ियों का पैरे लेकर राज्य की टीम मे चयन मे लिप्त है ।
बीसीए के अध्यक्ष तथा सचिव द्वारा अपनी अपनी रोटी सेंकने के लिए बिहार राज्य की छवि पुरे देश के क्रिकेट जगत तथा बीसीसीआई मे धुमिल हो रही है कहीं न कहीं भारत के दुसरे राज्यों के क्रिकेटरों और क्रिकेट प्रेमियों के मन मे बिहार के मुख्यमंत्री के प्रति भी घिना का आभास या भरष्ट होने की सोंच मन मे पलती होगी के इतना भरष्टाचार बिहार के क्रिकेट मे होते हुए भी राज्य का मुख्यमंत्री मौन है.

और बिहार की बदनामी को राष्ट्रीय स्तर पर देखकर कोई कार्यवाही नही कर रहा, मतलब मुख्यमंत्री आवास तक बीसीए के दलालों की पहुंच है और अगर एसा नही होता तो बिहार के विकास पुरुष के नाम से विख्यात मुख्यमंत्री नितीश कुमार जरुर कोई कड़ा कदम उठाते और बीसीए तथा बिहार क्रिकेट के भरष्ट लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेजते…..खैर छोड़िये ये तो भारत के दुसरे राज्यों के लोग हैं जो सोंचे …पर सवाल अब भी बना रहेगा मान्य मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी के उपर।
अगर मुख्यमंत्री बिहार नितीश कुमार जी कोई ठोस कदम नही उठाते हैं तो।

अब बात करते हैं एसजीएफआई क्रिकेट की तो ये साफ समझ लिजये की एसजीएफआई के क्रिकेट वो चाहे अण्डर14, 17 या अण्डर19 ही क्युं न हो हर टीम मे आधे से ज्यादा वैसे खिलाड़ी खेलते हैं जो लगातार 4-5 वर्षों से एक ही क्लास तथा एक ही उम्र के जाली प्रमाणपत्र जमाकराते हैं और अपने आका (दलालों) तक मन माफिक रिचार्ज पहुंचाते हैं।

अण्डर 14 की बात करें तो जिस टीम के कैम्प मे ही एका एक एक खिलाड़ी को बाहर से अंदर करके कैम्प करा गया फिर टीम मे.शामिल भी किया गया जबकी उसका एसजीएफआई जिलास्तरीय टुर्नामेंट मे 10 रन भी नही थे…. ये जाँच का विषय हो सकता है केसे बिना कैम्प मे नाम के कोई लड़का राज्य की टीम मे चयनित हुआ, भरष्टाचार नही तो और क्या है।

भरष्टाचार किस आधार पर होता है इसे समझें:-
इसमे जिला खेल पदाधिकारी या राज्य के खेल पदाधिकारियों का कैई रोल नही होता, बस उनका काम होता है की उनका आयोजन साफ सुथरा आयोजित हो जाये चाहे उसमे भरष्टाचार की हद ही क्युं न हो।

  1. पी.टी. टिचर के परिवार।
  2. चयनकर्ताओं तथा आयोजन मे सहयोग कर रहे पदाधिकारियों के बच्चे।
  3. पैरवी करवाकर।
  4. क्रिकेट एकेडमी चलाने वाले दलाल कोच द्वारा।
  5. बच्चों मे राज्य टीम मे खेलने की ललक के कारण परिवार द्वारा पैसा और गलत प्रमाणपत्र का उपयोग करके टीम मे जगह ।

बस यही कुछ मुख्य कारण है जिनकी वजह कर सब खेल होता है।

अगर एसजीएफआई खेलों मे जन्म प्रमाणपत्र का दुरुपयोग रोकना है तो प्रतियेक खेल संघ के द्वारा एक संविधान परित करना चहिए की जो भी खिलाड़ी एसजीएफआई मे जो जन्म प्रमाणपत्र जमा करेगा वही राज्य के हर खेल संघ के लिए भी माना जायेआ अन्यथा दो-चार वर्षों के लिए उस खिलाड़ी पर प्रतिबंध लगा दिया जायेगा। फिर देखिये कैसे ये फर्जी प्रमाण पत्रों का खेल एसजीएफआई से खत्म होता है।

मैं बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के अध्यक्ष तथा प्रभारी सचिव महोदय से विनर्म निवेदन करता हुं की बिहार के क्रिकेट मे भरष्टाचार रोकने के लिए और बिहार के सम्मान को बचाने के लिए बीसीए मे एक संविधान जोड़े की जो भी क्रिकेटर एसजीएफआई मे जो जन्म प्रमाणपत्र जमा करायेगा वही बिहार क्रिकेट एसोसिएशन भी मानेगा।

कम से कम एक क्रिकेट कोच और पुर्व खिलाड़ी होने के नाते मै ये माँग तो बीसीए से कर ही सकता हुं , जिस फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के कारण आज बिहार एसजीएफआई अण्डर 14 टीम को राष्ट्रीय प्रतियोगिता से बेईज्जत करके वापिस भेजा गया है वैसा दिन बिहार को दुबारा नही देखने को मिले।

मैं मुख्यमंत्री नितीश कुमार तथा बीसीए से कड़ी कार्यवाही की मांग करता हुं।
धन्यवाद

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