Home Bihar cricket association News, बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी पर हो सकती है प्राथमिक दर्ज :-राशिद रौशन(सचिव प्रवक्ता)

बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी पर हो सकती है प्राथमिक दर्ज :-राशिद रौशन(सचिव प्रवक्ता)

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 29 मई: बिहार क्रिकेट संघ में अब अध्यक्ष व सचिव को लेकर मामला या यू कहे लड़ाई तेज़ हो गए खेलबिहार न्यूज़ को प्रेस विज्ञप्ति से बीसीए सचिव प्रवक्ता राशिद रौशन ने बयान जारी करते हुए अध्यक्ष के किए जा रहे गैर कानूनी कार्यों का खुलासा करते हुए कहा है कि अध्यक्ष लगातार मनमानी करते जा रहे हैं  जिसका खामियाजा अब उन्हें भुगतना पड़ सकता है ।

जल्द ही बीसीए कोष के दुरुपयोग हेतु प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी।बीसीए अध्यक्ष अपने निजी फायदे के लिए पहले साजिश कर सचिव को विवादित और अवैध एजीएम में जिसका संविधान से कोई वास्ता नहीं ना ही बीसीए के किसी कानून से संबंध है करा कर जबरदस्ती बीसीए सचिव पद को प्रभावित किया है।

बिहार के खिलाड़ियों के साथ साथ मीडिया को भी अध्यक्ष राकेश तिवारी दिग्भ्रमित कर रहे हैं।आपको बता दें कि 28/05/2020 की सी ओ एम की बैठक औपचारिक थी और किसी भी एजेंडा पर चर्चा नहीं हुआ है अध्यक्ष ने यहां भी तानाशाह रवैया अपनाया है और सी ओ एम के सदस्यों को गुमराह किया है। अब आइए इनके 2 महत्वपूर्ण एजेंडा जो कि कथित तौर पर सी ओ एम में  जिस पर चर्चा हुआ है साफ करते हैं।

1)बैठक में संपुष्टि से संबंधित बीसीए के कार्यालय एवं अतिथि गृह के विषय पर चर्चा,
सबसे पहले तो आपातकालीन बैठक मे साधारण बैठक के तरह एजेंडा दिया जाना और आपातकालीन बैठक में पूर्व के बैठक को संपुष्ट करना, कहीं से भी संवैधानिक नहीं है।
28 फरवरी को आपातकालीन बैठक बुलाई गई, फिर 28 मई को भी आपातकालीन बैठक बुलाई गई, मै पूछना चाहता हूँ अध्यक्ष महोदय से कि बीसीए में आपातकाल लागू हो गया है क्या, जहां सारी शक्तियां एक व्यक्ति अथवा पद में समाहित कर दी गई है ?

आपको बता दें कि बिहार क्रिकेट संघ के पास बजट 2019-20  में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का पूर्व कार्यालय जो किराए पर लिया गया है जिसका किराया मात्र 17000 रुपए बजट में पास है फिर भी अध्यक्ष महोदय द्वारा 85000 रुपए के किराए पर नया कार्यालय खोल देते हैं वो भी बिना किसी कॉम के पास किए हुए जबकि 31 मार्च 2020 के बाद अभी तक कोई एजीएम नहीं हुए जिसमें बजट पास कराया जा सके और नए कार्यालय का किराया पूर्व कार्यालय के किराए से 5 गुना ज्यादा है और तो और 25000 रुपए के किराए पर एक विश्रामालय भी लिया गया जिसकी कोई आवश्यकता नहीं इस तरह से बीसीए अध्यक्ष ने जमकर बीसीए कोष का दुरुपयोग किया है।

2)जिसमें बीसीए के कार्यमुक्त सचिव श्री संजय कुमार से संबंधित मामले में पूर्व
के सीओएम व एजीएम में लिए गए निर्णय एवं बीसीए के माननीय लोकपाल व ईथिक ऑफिसर को अग्रसरित किया गया

आपको बता दूं कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष खुद को माननीय उच्च न्यायालय से भी श्रेष्ठ समझते हैं और उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में ही इनके द्वारा अवैध तरीके से नियुक्त लोकपाल व इथिक्स ऑफिसर के कार्यों पर रोक लगा दिया गया है ।

अध्यक्ष राकेश तिवारी के निजी प्रवक्ता के कहे अनुसार मै पूछना चाहूंगा कि क्या अब बीसीए कैंप और चयन कर्ता का भी सारा भार खुद ही संभालेंगे अध्यक्ष महोदय या और किसी पदाधिकारी को कार्यभार सौंपेंगे जिस तरह का रवैया अभी बीसीए अध्यक्ष दिख रहा है ये साफ है कि बीसीए सचिव पूर्व में ही अध्यक्ष के इन मंसूबों को समझ गए थे और उनका विरोध करते रहे जिसका बदला उनके साथ गैर सांविधानिक तरीके से लिया जा रहा है।

अगर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के विकास में माननीय अध्यक्ष महोदय का तनिक भी रुचि है तो बता दे कि 31 जनवरी से 25 मार्च(लॉक डाउन से पूर्व) तक उन्होंने खिलाड़ियों के लिए क्या – क्या कार्य किए हैं?

बिहार क्रिकेट संघ के माननीय लोकपाल महोदया पर माननीय उच्च न्यायालय के रोक के बावजूद बीसीए के बाकी पदाधिकारियों के समक्ष उनके वेतन को दिलवाने पर जोर देकर 9 लाख रुपए जो की पूर्व लोकपाल से तिगुना है क्यों दिया गया।

बिहार क्रिकेट संघ के स्तंभ जिला क्रिकेट संघ को वादा करके भी विकास के लिए एक ढेला भी नहीं दिया गया जबकि विकाश के लिए आए पैसों पर मनमाना खर्च किया जा रहा है अभी खिलाड़ियों के विकास के लिए जिलों में पैसे भेजने की आवश्यकता थी ।

अब एक महत्वपूर्ण सवाल बीसीए के चुनाव में गोपालगंज से आप उम्मीदवार थे और आपने लिखा है बीसीए चुनाव के अपने निबंधन पत्र में की आप वर्ष 2017 में गोपालगंज के पदाधिकारी थे जबकि आप की एंट्री बाय पास से कराई गई जो थी वर्ष 2018 में तब भी आपका बीसीए चुनाव को लेकर गलत जानकारी दे चुनाव लड़ना और इस तरह का तानाशाह रवैया अख्तियार करना क्यों न आपका निजी स्वार्थ समझ जाए ?

अब आते हैं बीसीए सचिव पर जिनको लेकर साजिश के तहत अध्यक्ष महोदय ने तानाशाही दिखाया । सचिव किसी भी संगठन तथा संस्था का कार्यवाहक होता है अगर बीसीए सचिव का कहे तो उनके सामने पद सम्हालते ही एक बड़ी चुनौती थी फिर भी पूरे लगन और मेहनत के साथ बिहार में क्रिकेट को पंख दिए और खिलाड़ियों के भविष्य संवारने में लग गए जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट का आयोजन एक बड़ी सफलता कहीं जा सकती हैं।

मगर अध्यक्ष महोदय को बीसीए का विकास रास नहीं आया और 31 जनवरी को बीसीए के विकास पर काली साया मंडराने लगी जिसका नतीजा सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट और खिलाड़ियों को भुगतना है । मगर अब बीसीए अध्यक्ष भी तैयार रहें बीसीए सचिव ने भी कमर कस ली है बीसीए को और अंधकारमय नहीं होने दिया जाएगा जिस संविधान की धज्जियां उड़ा कर मनमानी की गई है सिर्फ निजी स्वार्थ के पूर्ति के लिए उसी पवित्र संविधान का सम्मान करते हुए आपका सामना करने के लिए तैयार हैं। क्योंकि बात अब खिलाड़ियों के भविष्य की है और इसके लिए सचिव संजय कुमार किसी भी समझौते पर तैयार नहीं।

अंत में मैं प्रकाश डालूंगा की एक वेबपोर्टल के मीडिया बंधु ने लिखा था अध्यक्ष ने सचिव को किया पूर्ण रूप से निलंबित मैं इनसे बस ये पूछना चाहूंगा कि इससे पहले आधा निलंबित थे या एक तिहाई इस तरह के भ्रम से सभी मीडिया बंधुओं को बचना चाहिए । बिहार के सभी खिलाड़ी और जनता तथा मीडिया बंधुओं को एक चीज मै साफ करना चाहूंगा कि बीसीए के सचिव संजय कुमार अपने पद पर बनें हुए हैं उनके खिलाफ साजिश कि जा रही है सिर्फ और सिर्फ निजी फायदे के लिए जिसका प्रमाण ऊपर दिया का चुका है।

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