Home Bihar cricket association News, बीसीए अध्यक्ष के कार्य पर उठे सवाल,राज्य में कोई प्लयर्स एसोसिएशन नही बना सकता?देखे

बीसीए अध्यक्ष के कार्य पर उठे सवाल,राज्य में कोई प्लयर्स एसोसिएशन नही बना सकता?देखे

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 1 जून: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को लेकर ख़बरे तो आये दिन पढ़ने को मिलते है अब एक बार फिर बीसीए का एक और मामला संदेह के घेरे मे है? बीसीए को समर्थन के लिए क्रिकेट प्लयर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार की ख़बर आई ? चलिए जानते है क्या है प्लेयर्स एसोसिएशन का मामला ।

अगर आई सी ए की मानें तो किसी भी राज्य में प्लेयर्स एसोसिएशन का गठन नहीं किया जा सकता बल्कि किसी भी राज्य के क्रिकेट एसोसिएशन मे अपेक्स काउंसिल का सदस्य आई सी ए सदस्य ही हो सकता जिसका प्रमाण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार निहित है।

सूत्र ने कहा बिहार क्रिकेट संघ में अपेक्स काउंसिल के सदस्य तथा आई सी ए सदस्य अमीकर दयाल तथा कविता राय को नियुक्त किया गया है लेकिन इसके ठीक विपरित बीसीए अध्यक्ष ने स्वयं अपना एक प्लेयर्स एसोसिएशन के सदस्य को सी ओ एम सदस्य घोषित किया है जो राकेश रंजन तथा लवली राज हैं।

अगर आई सी ए की बात करें तो आई सी ए सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जस्टिस लोढ़ा द्वारा बनवाया गया था जिसमें आई सी ए के सदस्यता हेतु पूर्व खिलाड़ी जो लेवल ए के 10 मैच खेल चुके हैं वहीं आवेदन कर सकते हैं यूं कहे तो जिसने न्यूनतम 10 रणजी मैच खेला हो वही इसके सदस्य हो सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार इस विषय पर अपेक्स काउंसिल(कॉम) सदस्य अमीकर ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बिहार अपेक्स काउंसिल सदस्य तथा आई सी ए सदस्य मेरे अलावा कविता जी बीसीए के कॉम के सदस्य हैं लेकिन बीसीए के किसी भी बैठक में हमें बुलाया नहीं गया है। अतः दो अक्टूबर के बाद आयोजित सभी कॉम कि बैठक असंवैधानिक है।

इस विषय पर पूर्व में ही आई सी ए अध्यक्ष अशोक मल्होत्रा ने बीसीए को मेल द्वारा कड़े शब्दों में ये साफ कर दिया था कि किसी बीसीए के अपेक्स काउंसिल(कॉम) के बैठक में अगर अमिकर दयाल और कविता राय को  आमन्त्रित नहीं किया गया तो वो बैठक पूर्ण नहीं होगा।

अगर बीसीए अपेक्स काउंसिल के सदस्य नियमतः अमिकर दयाल और कविता राय हैं तो आखिर क्या विपदा आन पड़ी की इन दोनों आई सी ए सदस्यों को दरकिनार कर सुप्रीम कोर्ट के विपरित खुद नया प्लेयर्स एसोसिएशन के सदस्यों को सी ओ एम में बैठाया जा रहा है।


सूत्रों ने कहा कि लोगो का कहना है कि बीसीए में संविधान के विपरित कार्य करने का आरोप तो लगातार लगाया ही जा रहा था उसी बीच कई बार माननीय उच्च न्यायालय के भी आदेश का उलंघन लोकपाल मामले करने की बात सामने आई थी और अब ये नया मामला इस देश की सबसे सर्वोच्च न्यायालय को चुनौती देना कहा जा सकता है। इस तरह बीसीए अध्यक्ष के द्वारा किए जा रहे लगातार असंवैधानिक कार्य कहीं बीसीए के पूर्ण मान्यता पर खतरा तो नहीं।

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