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पटना 06 जुलाई: जिला संघों के प्रतिनिधि संजय सिंह ने सीएबी आदित्य वर्मा पर बड़ा हमला बोला है। एक प्रेस विज्ञप्ति द्वारा बयान जारी कर उन्होंने कहा कि जिस तरह टिड्डियों का दल घुम घुमकर देश के किसानों की क्षति पहुंचाते हैं। उसी तरह सीएबी अध्यक्ष पिटीशन लेकर बीसीसीआई और क्रिकेट कराने वालों को डराते रहते हैं।
इनका प्रकार भी उन्हीं टिड्डियों की तरह है। क्रिकेट में इनकी हस्ती भी उन्हीं टिड्डी की तरह जो क्षति करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता है। इन्हें पता नहीं है कि बिहार के लोग इनसे डरने वाला नहीं है। क्योंकि सभी जानते हैं कि ये चालर्स शोभराज से भी बड़े ठग हैं। इनकी स्थिति भी बीसीसीआई में वही है। इनको देखकर सभी अधिकारी मुंह घुमा लेते हैं।
मेरा कहना है कि अगर क्रिकेट की बहुत भलाई करते हैं तो माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने आखिर इनपर क्यों नहीं भरोसा किया। क्यों बिहार में बीसीए पर भरोसा कर क्रिकेट कराने की जिम्मेवारी सौंपी है।
क्योंकि पूरा देश जानता है कि बीसीए के 38 जिले राशि नहीं रहने के बावजूद 17 सालों तक एक्टिवीटी कराते रहा। इनके पास न तो खेल है और न खिलाड़ी। तो फिर कैसे आप का सपना है बिहार के खिलाड़ियों को ऊपर ले जाने का। इसके लिए खेल और खिलाड़ियों पर मेहनत करना पड़ता है।
इनके पास एकमात्र खिलाड़ी है ,जिनके लिए ये पिटीशन लेकर घुमते रहते हैं और ब्लेकमैलिंग करते रहते हैं। महाशय हाल के दो सीजन में यह साबित हो गया है कि आप के पास एकमात्र खिलाडी है जिसे आप हर फार्मेट में खिलाना चाहते हैं। इसकी एक बानगी उस वक्त देखने को मिली थी जब पूर्व की कमेटी ने एक होटल में आपका एक बयान चलाकर आपकी मंशा का पर्दाफाश किया था।
इनके पास जिला कहां है जो जिलों के दर्द समझेगें। फिलहाल महाशय धृतराष्ट्र बने हैं। केरला हाईकोर्ट का हवाला देकर डराने का प्रयास नहीं करें। बीसीए के पूर्व सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह को भी इन्होंने डराने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने कभी इनको टेरा ही नहीं। क्योंकि सभी जानते हैं कि ये किसीका नहीं हैं।
पीटीशन का भय दिखाकर लोगों को यूज करना चाहते हैं। इससे डरने वाला वर्तमान कमेटी नहीं है। वर्तमान कमेटी पूरी ईमानदारी से क्रिकेट के हित में काम कर रही है। कोरोना के कारण पूरे विश्व का खेल प्रभावित हुआ है। यह संकट अगर अभी नहीं रहता तो देखते नई कमेटी का जलवा।
आप चिंता नहीं करें बीसीसीआई से मिलने वाला फंड का बीसीए हरहाल में सदुपयोग ही करता है। आपने पिछले सीजन में यही सवाल उठाया था,तब भी बीसीसीआई के अधिकारियों ने अपना आडिटर भेजकर आडिट करा लिया था।
फिलहाल तो आप अपने दिमाग का आडिट करा लें। उसमें सिर्फ नकारात्मकता ही भरा है। साकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें तभी देश और राज्य का हित होगा।