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नई दिल्ली 24 जुलाई: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अंपायरों के एलीट पैनल के सबसे युवा सदस्य नितिन मेनन एशेज सीरीज को सर्वोच्च चुनौती मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि मौजूदा हालात में सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ी जानबूझकर या अनजाने में गेंद पर लार नहीं लगाएं. 22 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना छोड़ने वाले 36 साल के मेनन इसके बाद अंपायरिंग से जुड़े जिसका हिस्सा उनके परिवार में कई सदस्य हैं.
मेनन ने तीन साल पहले अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया और सोमवार को 12 सदस्यीय एलीट पैनल में उनका प्रवेश सोने पर सुहागा रहा. कोविड-19 महामारी के बीच एलीट पैनल का हिस्सा बने मेनन को नहीं पता कि उन्हें कब अंपायरिंग का मौका मिलेगा, लेकिन उन्हें पता है कि आईसीसी के मौजूदा दिशा-निर्देशों को लागू करना बड़ी चुनौती होगी.
मेनन ने पीटीआई से कहा, ‘मुख्य चुनौती गेंद को संभालना होगा, यह चुनौती टेस्ट मैचों में अधिक होगी. शुरुआत में नियमों को लागू करने से पहले हम खिलाड़ियों को चेतावनी देंगे, जैसा कि हम तब करते हैं जब कोई खिलाड़ी खतरनाक तरीके से पिच पर दौड़ता है.’
इंदौर के रहने वाले इस अंपायर ने कहा, ‘खिलाड़ियों के जानबूझकर की जगह गलती से लार लगाने की संभावना अधिक है इसलिए हम इसी के अनुसार कार्रवाई करेंगे. इंग्लैंड में सीरीज (अगले महीने शुरू होने वाली) के बाद खेलने के हालात को लेकर विस्तृत नियम आएंगे जिसके बाद हमें बेहतर पता चलेगा कि खेल में हाल में किए गए बदलावों को कैसे लागू करना है.’