Home Bihar cricket association News, बीसीए में महाप्रबंधको को नियुक्ति पत्र फरवरी,भुगतान जुलाई से देने का मामला गरमाया.

बीसीए में महाप्रबंधको को नियुक्ति पत्र फरवरी,भुगतान जुलाई से देने का मामला गरमाया.

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 23 अगस्त: बिहार क्रिकेट संघ और विवाद में मानो चोली – दामन का संबंध बन गया है । आये दिन बीसीए में कोई न कोई विवाद सुर्खियों में रहती है । फिलहाल बीसीए की ओर से जिला क्रिकेट संघों को मिलने वाले तथाकथित अनुदान को लेकर सियासत चरम पर है । वहीं अध्यक्ष द्वारा बनाये गए बीसीए के महाप्रबंधको को मानदेय भुगतान का मामला भी विवादों के घेरे में है । ये बाते मुज़फ़्फ़रपुर के स्वतंत्र पत्रकार व जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज कुमार ने प्रेस विग्यप्ति से कही है।

उन्होंने कहा है की बीसीए सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक लंबे अंतराल के बाद जिला क्रिकेट संघ को बीसीए की ओर से दी जाने वाली अनुदान राशि के भुगतान पर कथित मुहर लगने के बाद भी अब तक जिला संघों के खाते में राशि नहीं पहुंचने से सियासत की बू आने लगी है। बताया जाता है कि बीसीए की ओर से पूर्व में जिला क्रिकेट संघों को दो – दो लाख रुपया आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने, खेल एवं खिलाड़ियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण उपकरण की ख़रीददारी करने तथा जिलों में टर्फ विकेट बनाने आदि मद में अनुदान राशि के आवंटन पर तथाकथित वार्षिक 31 जनवरी 2020 आम सभा में मुहर लगी थी ।

यहां गौरतलब है कि उक्त वार्षिक आम सभा में न तो बिहार क्रिकेट संघ के मानद सचिव संजय कुमार हिस्सेदार बने थे और ना तो कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह ही आम सभा में शामिल हुए थे।तब दोनों पदाधिकारियों की अनुपस्थिति के बीच बहुत सारे तथाकथित फैसले लिए जाने की बात सामने आई थी । लेकिन वार्षिक बजट का कोई जिक्र सामने नहीं आया था। ऐसी स्थिति में जिलों को आवंटन देने का मामला सवालिया घेरे में था। बावजूद इसके पिछले दिनों आनन-फानन में जिलों को आवंटन दिए जाने की बात जोर पकड़ गई । लोग बताते हैं कि यह जल्दबाजी साचिव खेमा को कमजोर करने की कोशिश है। वैसे मामला तब गरमा गया जब बहुतेरे जिलों ने बीसीए के कोषाध्यक्ष के समक्ष यह लिखित शिकायत दी कि उनका मामला लोकपाल अथवा पटना उच्च न्यायालय में विचाराधीन है ।ऐसे जिलों में न्यायिक फैसला होने तक आवंटन देने से बीसीए बचे तो बेहतर होगा।

दूसरी ओर बीसीए के संविधान का मामला भी सामने आया क्योंकि बीसीए के लोढ़ा कमेटी के लोढ़ा कमेटी अपनाने के बाद जिलों में भी फरवरी 2017 स्वत: लोढ़ा कमेटी लागू किये जाने की बात सामने आई थी और 2018 में बीसीए से पंजीकृत अधिकांश जिलों ने लोढ़ा कमेटी के अनुरूप चुनाव कराकर खुद को लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप लाने का प्रयास भी किया था । ऐसी स्थिति में बीसीए के द्वारा भेजे जाने वाले अनुदान फ़िलहाल उन जिलों में भेजना अनुचित होगा जहां क्रियाशील कमेटी पिछले छह साल या उससे अधिक समय से सत्तासीन है । मामला उभरने के बाद बीसीए के एक खेमे में हड़कंप मचा और आनन-फानन में अनुदान राशि के भुगतान पर रोक लगाए जाने की बात पटल पर सामने आई ।


दूसरी ओर अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के द्वारा बीसीए में बनाये गए जीएम क्रिकेट , जीएम प्रशासन और जीएम इंफ्रा के भुगतान पर भी जिच कायम है। साथ ही कुछ अन्य नव नियुक्त पदाधिकारियों के मानदेय निर्धारण का भी मामला विवादों में है। बीसीए सूत्रों की माने तो इन महाप्रबंधको को बीसीए जुलाई 2020 से भुगतान देने की सोच रखती है । दूसरी ओर फरवरी 2020 में ही कथित रूप से नियुक्ति पत्र पा चुके इन पदाधिकारियों का दावा है कि उनका भुगतान फरवरी माह से ही हो। इस पर बीसीए की नाराजगी है।सूत्र बताते हैं कि भुगतान के मामले पर एक महाप्रबंधक ने विरोध प्रदर्शन कर न सिर्फ मानदेय भुगतान लेने से मना कर दिया बल्कि बीसीए के कार्यालय में जाकर शोर-शराबा भी किया। बहरहाल एक और जिला संघों को भेजे जाने वाले अनुदान का मामला न्यायिक और संवैधानिक अड़चनों में घिर रहा है ।पैसा दें या ना दें मंथन जारी है।


दूसरी ओर बीसीए के महाप्रबंधको को नियुक्ति पत्र फरवरी माह से और भुगतान जुलाई 2020 माह से देने के फैसले में भी बीसीए स्वतः घिर रही है । सूत्र बताते हैं कि ऐसे ही मामलों को लेकर अध्यक्ष राकेश तिवारी ने आनन फानन में सीओएम की बैठक बुलाई है। जहाँ ऐसे मुद्दों पर हँगामा होने की आशंका जतायी जा रही थी लेकिन अंतिम समय में विरोध के स्वर पुनः मद्धिम पड़ गये । अन्यथा एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी पर गाज गिराने की पूरी तैयारी थी।

बहरहाल यह दूसरा मौका है जब अंदर ही अंदर चल रहे खेल की बाजी पलट गयी हो। ऐसे में यह मामला भले ही फिलहाल दब गयी हो लेकिन सुलगती चिंगारी जल्द ही आग बन कर सामने होगी। पहले से विवादों में घिरी बीसीए में विवादों को नया स्वरूप देगा यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है।

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