Home Bihar बीसीसीआई अपनी लीगल टीम एक सोची समझी साज़िश के तहत पटना भेजी है:-आदित्य वर्मा(सीएबी सचिव)

बीसीसीआई अपनी लीगल टीम एक सोची समझी साज़िश के तहत पटना भेजी है:-आदित्य वर्मा(सीएबी सचिव)

by Khelbihar.com

पटना 31 दिसंबर: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में चल रहे विवाद की निपटारे की बात कल पूरे बिहार में आने के बाद लोग तरह-तरह की बाते कर रही है। वही क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने बीसीसीआई द्वारा भेजे गए लीगल टीम पर भी साजिश करने का आरोप लगाया है उन्होंने यहां तक कहा है कि बीसीसीआई एक सोची-समझी साजिश के तहत लीगल टीम बिहार भेजी है।।

श्री वर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि” सुप्रीम कोर्ट के मुख्य याचिका कर्ता सह सीएबी के सचिव के नाते मै आज यह घोषणा करता हूँ कि अगामी 20 जनवरी को माननीय सुप्रीम कोर्ट मे बीसीसीआई वनाम सीएबी केस के सुनवाई के दौरान मै सुप्रीम कोर्ट के 18.08.18 के दिए गए आदेश का जिस प्रकार उपहास उड़ाने का काम किया जा रहा है उसे अपने वकिल के माध्यम से विरोध करने जा रहा हूँ ।

मै बिहार क्रिकेट का एक सच्चा समर्थक होने के नाते बीसीसीआई से पुछना चाहता हूँ कि जब से सौरभ गॉगुली, जय शाह के अगुवाई मे 23.10.19 को बीसीसीआई की नई कमिटी बनी उसने क्या कारण से बिहार क्रिकेट संघ को एक भी पैसा नही दिया इसका जवाब बीसीए के अध्यक्ष एवं निशकाषित सचिव को बिहार के क्रिकेटरो एवं खेल प्रेमीयों को देना होगा ।

सही मायनो मे पुछा जाए तो कल के घटना से यह साबित हो गया कि बीसीसीआई एक सोची समझी चाल के तहत पटना अपने कमिटी को भेज कर बिहार क्रिकेट संघ के निकाले गए सचिव को मुर्ख बना कर दो चुने गए टीम से एक टीम पर साइन करा दिया ।

 

सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि टीम लिस्ट पर सभी पक्षों या पदाधिकारीयों ने अपने अपने पद के साथ अपना साइन कराया है लेकिन सचिव के पद पर कोइ सायन नही है । बीसीसीआई एवं बीसीए के अध्यक्ष यह बात जानते है कि पटना हाई कोर्ट ने अगर अपने आदेश मे सचिव के निषकाशन को सही करार दे दिया तो वह हाई कोर्ट के आदेश को मानने पर विवश हो जाएगें।

एक बात मै क्लियर कर देना चाहता हूँ कि 2002 से बिहार क्रिकेट का लड़ाई लड़ कर बिहार क्रिकेट का वजूद छिन कर जो राज्य विभाजन के बाद नए राज्य झारखंड को दे दिया गया था, 2018 मे उसे वापस लाने का काम किया था।

एक बार पुनः समय आ गया है कि बीसीसीआई को यह बता दिया जाए कि बिहार क्रिकेट के विकास का पैसा यह कमिटी क्यो रोक कर रखा है, एक ओर तो अपनी साख बचाने के लिए कि कहिं बिहार से दो टीम मुश्ताक अली टी 20 के लिए चेन्नई नही चली जाए आनन फानन मे अपनी टीम भेज कर सचिव को बेवकूफ बना कर एक टीम पर सहमति ले कर चला गया । मै बिहार क्रिकेट को दुबारा गर्त मे नही जाने दुगॉ 20.01.21 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के समर्थन मे कोर्ट मे बहस करूगॉ ।

 

बीसीसीआई को यह अच्छी तरह पता है कि बिहार क्रिकेट संघ के पदाधिकारीयों को वह अपने फायदे के लिए मूरख बना सकता है लेकिन मुख्य याचिका कर्ता सीएबी को दरकिनार नही कर सकता है ।।

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