Home Bihar चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर बीसीए का चुनाव परिणाम तीन दिन पहले घोषित

चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर बीसीए का चुनाव परिणाम तीन दिन पहले घोषित

by Khelbihar.com
  • चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर बीसीए का चुनाव परिणाम तीन दिन पहले घोषित ।
  • दिलीप सिंह मामले में लोकपाल के आदेश की अवहेलना ।
  • हलफनामा पर सर्वोच्च न्यायालय और आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय के निर्देशों का हुआ उल्लंघन

-✍️ मनोज कुमार

पटना । अध्यक्ष राकेश तिवारी की मनमानी के आगे बिहार क्रिकेट संघ का चुनाव चट मंगनी पट ब्याह की कहावत चरितार्थ कर गया है। पूर्व में  बीसीए अध्यक्ष गुट की ओर से घोषित चुनाव के तहत मतगणना और परिणाम की तिथि 25 सितंबर निर्धारित गई थी।

इस बीच नामांकन में एन केन प्रकारेण हेमा कुमारी और कथित डमी प्रत्याशी अमरनाथ दुबे के अध्यक्ष पद पर नामांकन को रद्द कराने के बाद फिलहाल चुनावी होड़ में छह पद के लिए महज छह प्रत्याशी ही शेष बच गए थे। ऐसे में निर्वाचि पदाधिकारी के समक्ष मतदान की स्थिति टल गई थी। बावजूद इसके परिणाम की घोषणा नियम के मुताबिक 25 सितंबर को एजीएम में  किया जाना चाहिए था ।

लेकिन इसे बेचैनी  कहें या चतुराई का आलम  कि निर्वाचन अधिकारी मोहम्मद मुदस्सर की ओर से गुरुवार 22 सितंबर को ही आनन-फानन में परिणाम की घोषणा कर दी गई है । चुनाव परिणाम के मुताबिक अध्यक्ष पद पर राकेश तिवारी काबिज रहे। वही हैरानी की बात यह रही कि उपाध्यक्ष पद पर दिलीपसिंह का निर्वाचन हुआ है।

जबकि बीसीए के मौजूदा लोकपाल के आदेश के अनुसार वह फिलहाल बीसीए से संबंधित किसी भी गतिविधि में सहभागी नहीं बन सकते हैं क्योंकि गुजरे 16 फरवरी को उन्होंने लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। सचिव पद पर नया चेहरा अमित कुमार हैं। संयुक्त सचिव पद पर प्रिया कुमारी भी नया चेहरा है । जबकि कोषाध्यक्ष पर पुनः आशुतोष नंदनसिंह काबिज रहे हैं।

जिला  प्रतिनिधि पद पर नया चेहरा ओम प्रकाश जायसवाल निर्वाचित घोषित किए गए हैं। आपको यह बता दें की 2019  में कमोवेश ऐसी ही स्थिति बीसीसीआई के चुनाव में बनी थी 16 अक्टूबर 2019 को जब सभी छह पदों पर एकल प्रत्याशी होने कारण बगैर मतदान प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित हो गई थी । इसके बावजूद निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा मतगणना के दिन 23 अक्टूबर 2019 को ही परिणाम की घोषणा की गई थी। नियम सम्मत यही होता रहा है और बीसीए की ओर से  मौजूदा चुनाव का परिणाम भी कमोबेश उसी रूप में एजीएम में  घोषित किया  जाना चाहिए था।

दूसरी ओर यह भी गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीए से संविधान संशोधन के मामले में हलफनामा मांग रखा है। वही आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय की ओर से भी विभिन्न जिला संघो द्वारा संविधान संशोधन के संदर्भ में की गई शिकायत के आलोक में बीसीए से 23 सितंबर तक पक्ष रखने को कहा गया है।

ऐसे में इन दोनों मामलों की अनदेखी कर आनन फानन में चुनावी परिणाम की घोषणा कहां तक वैध होगा ? इसका फैसला आने वाला वक्त बताएगा ! लेकिन यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि बिहार क्रिकेट संघ में फिलहाल मनमानी चरम पर है । जिसका परिणाम लोकपाल के आदेशों की अवहेलना तथा सर्वोच्च न्यायालय व आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय के निर्देश की अनदेखी है।

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