Home Bihar हितों के टकराव मामले में दोषी पाये गये बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी

हितों के टकराव मामले में दोषी पाये गये बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी

by Khelbihar.com
  • एक साथ दो पदों पर रहते हितों के टकराव मामले में दोषी पाये गये  बीसीए अध्यक्ष 
  • लोकपाल के न्यायालय ने सचिव पद से हटाये जाने का दिया आदेश

✍️ मनोज कुमार(स्वतंत्र पत्रकार)

 पटना : ‘सिर मुड़ाते ही ओले पड़े’  कहावत  फिलहाल बिहार क्रिकेट संघ पर पूर्णत: सच चरितार्थ हो रहा है । अभी बीसीए अध्यक्ष की ओर से घोषित  चुनाव एवं अभिलेखन के मामले में मिले  शिकायतों के विरुद्ध सहायक निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय की ओर से पत्र के माध्यम से 23 सितंबर तक जब जवाब देने को कहा गया  था।

इधर  बिहार क्रिकेट संघ के  लोकपाल के न्यायालय में पूर्णिया जिला क्रिकेट संघ के सचिव हरिओम झा बगैरह की ओर से किये गये मुकदमा में लोकपाल महोदय ने हितों के टकराव मामले में निवर्तमान अध्यक्ष राकेश तिवारी को दोषी माना है और सचिव पद से हटाने का आदेश दिया है । उनके खिलाफ संविधान के विरुद्ध मनमाने ढंग से अध्यक्ष के साथ साथ सचिव पद पर भी कार्य करने के विरोध में लोकपाल महोदय के न्यायालय में मामला दर्ज कराया गया था ।

ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा स्वयंभू सचिव बनने का फैसला संवैधानिक रूप से अवैध था । जिसे लोकपाल के न्यायालय ने भी स्वीकारा है। ऐसे में यह भी स्पष्ट है कि राकेश तिवारी के द्वारा अध्यक्ष पद पर रहते हुए सचिव पद का दुरुपयोग कर जो भी फैसले लिए गए हैं वह स्वत: अवैध माना जाएगा। ऐसे में बीसीए के चुनाव के आलोक में श्री तिवारी द्वारा सचिव की हैसियत से लिया गया फैसला भी सवालिया कटघरे में आ गया है !

बहरहाल लोकपाल महोदय द्वारा जारी आदेश से बिहार क्रिकेट संघ के कमेटी ऑफ मैनेजमेंट समेत तमाम पक्षों को अवगत करा दिया गया है। अब देखना यह है कि संवैधानिक स्तर पर लोकपाल महोदय के आदेश को निवर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी तरजीह  देते हैं या अपनी मनमानी के आगे इस आदेश की कॉपी को ठीक उसी तरह सिगरेट के धुएं की तरह उड़ा देते हैं जैसा कि उन्होंने पिछले दिनों अरवल और मधुबनी जिला क्रिकेट संघ के मामले में किया था ।

तब उन्होंने इन दोनों जिलों के मतदाता के रूप में वैधता को स्वीकारने से इनकार कर दिया था जबकि शिकायत के आलोक में सुनवाई करते हुए लोकपाल महोदय ने उक्त दोनों जिलों को मतदाता के रूप में वैध करार दिया था।

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