Home राष्ट्रीय मैचNATIONAL CRICKET ग्रीनपार्क में फ्लड लाइट प्रकरण बड़ी साजिश की तरफ इशारा होंगी कड़ी जांच

ग्रीनपार्क में फ्लड लाइट प्रकरण बड़ी साजिश की तरफ इशारा होंगी कड़ी जांच

by Khelbihar.com

कानपुर।सोमवार शाम ग्रीनपार्क में सपा और भाजपा विधायकों के मध्य खेले गये मैत्री मैच में स्टेडियम की फ्लड लाइट के थोड़ी देर न जलने को लेकर इस समय खासी हलचल मची हुई है। सुनने में आया है कि इस मामले को लेकर उप निदेशक खेल के खिलाफ जांच तक कराने को कहा जा रहा है।

इसी मामले को लेकर जब छानबीन की गयी तो यहां बड़ा झोल सामने आ रहा है। जिसमें न्यू प्लेयर्स पवेलियन में लगे कर्मचारी जांच का घेरे में आ रहे है जिन्हें लाइट न जलाने को लेकर पैसे तक दिये गये। यही नहीं विधायकों के मैच के आयोजन का जिम्मा संभालने वाली कंपनी का नाम भी उस दिन हुए प्रकरण में सामने आ रहा है जिसने अपने रसूख का फायदा उठाकर सोची समझी रणनीति को अंजाम दिया।

*क्या था मामला*

विधायकों का मैच सायं ६.३० बजे शुरू होना था। मैच से पहले न्यू प्लेयर्स पवेलियन में लाइट बार-बार आ-जा रही थी। वहां बने ड्रेसिंग रूम में बैठे विधायकों में इसे लेकर नाराजगी हुई क्योंकि खुद प्रदेश के ऊर्जा राज्य मंत्री वहीं बैठे थे। इसके बाद जब स्टेडियम में मैच के लिये फ्लड लाइट शुरू की गयी तो उसमें इस बात का हंगामा हुआ कि यह समय से नहीं जली। जबकि फ्लड लाइट अपने तय समय से ही जलाई गयी और यह लाइट एक-एक करके शुरू होती है और इसमें लगे बल्व भी धीरे-धीरे गरम होकर अपनी पूरी रोशनी मैदान में देते हैं।

दो लाइट जलने के बाद विधायकों को लगा कि यह भी खराब हो गयी है तो उन्होंने इसकी शिकायत मौजूद मंत्रियों व अधिकारियों से की। उन्हें स्थिति से अवगत भी कराया गया और लाइट जल भी गयी जिसके बाद मैच भी अपने समय से शुरू व समाप्त हुआ। लेकिन कुछ मीडिया कर्मियों, जिन्हें पहले से समझाकर भेजा गया उन्होंने इस मामले को लेकर मौजूद विधायकों से बढ़ा-चढ़ाकर सवाल पूछने शुरू किये। चूकि ऊर्जा राज्य मंत्री खुद मौजूद थे लिहाजा सपा विधायकों द्वारा इसे राजनीति का मुद्दा बनाने में देर नहीं लगी। नाराज भाजपा विधायकों ने खेलमंत्री से लेकर सचिव खेल व मंडलायुक्त तक से इसकी शिकायत करने को कहा है।

*कड़ी जांच होना जरूरी*

  • इस मामले में जब मौजूद लोगों व कर्मचारियों से पूछताछ की गयी तो फ्लड लाइट प्रकरण में जो तथ्य सामने आए उससे इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच होना जरूरी हो गया है। इस मैच को कराने का पूरा जिम्मा जिला प्रशासन को था बावजूद प्राइवेट कंपनी को इसकी बागड़ोर कैसे मिल गयी। यह कंपनी एक निर्माण कंपनी है जिसपर ग्रीनपार्क प्लेयर्स पवेलियन बनाने में कई गड़बड़ी के आरोप लगे हैं और आज भी उसी के कारण इसका तकरीबन दो करोड़ रूपये सरकार द्वारा रोका गया है।

ऊर्जा मंत्री को बिना किसी प्रोटोकॉल के उक्त कंपनी द्वारा बनवाया जा रहा निर्माणकार्य दिखाने कौन ले गया। जबकि इस दौरान कोई भी आला प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था। यही नहीं प्लेयर्स पवेलियन में विधायकों की आवा-भगत के लिये कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे और यहां लगे जेनरेटर व लाइट कनकेशन के पास किस कर्मचारी की ड्यूटी थी क्योंकि उक्त पवेलियन को छोड़ पूरे स्टेडियम में लाइट सामान्य रूप से आ रही थी। दूसरा उप निदेशक खेल के ग्रीनपार्क में चार्ज संभालने के बाद से ही उक्त कंपनी के यहां किये काले कारनामे सबके सामने आए। इसी का नतीजा रहा कि स्टेडियम में बन रही विश्व स्तरीय विजिट्र्स गैलरी का निर्माण इस कंपनी को नहीं दिया गया। यही नहीं उप निदेशक खेल के खिलाफ यहां धरना प्रदर्शन व कई अन्य षणयंत्र भी कई बार रचे जाते रहे हैं। चूकिं इस बार सूबे के कई मंत्री व विधायकगण मौजूद थे लिहाजा बड़ी ही सोची-समझी रणनीति के तहत उनके खिलाफ पूरा खेल खेला गया जिससे वह राज्य सरकार के हासिये पर चढ़ जाये और ग्रीनपार्क से हटा दी जाए।

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