बीसीए अब चुनाव आयोग और सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार:मनोज कुमार

खेलबिहार न्यूज़

पटना 20 अक्टूबर: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के जीएम सुबीर मिश्रा के द्वारा भेजे गए जिला इकाई को एक ईमेल जिसमे बिहार के सीनियर खिलाडियों के जोनल ट्रायल 28 अक्टूबर से करबाने की घोषणा के बाद सुबीर मिश्रा पर सभी सावल उठाने लगे है।।

आज ही एक जिला क्रिकेट संघ के सचिव ने बीसीए अध्यक्ष को पत्र लिख कर सुबीर मिश्रा के कामो पर तुरन्त अंकुश लगाने की मांग करते हुए सुबीर मिश्रा पर कई सवाल भी उठाए अब मुज़फ्फरपुर उत्पल रंजन गुट के सचिव मनोज कुमार ने भी सवाल उठा दिए है।।

मनोज कुमार ने कहा है कि ” कोरोना काल में सरकारी आदेशों को अंगूठा दिखाने के बाद अब बीसीए बिहार सरकार से भी दो दो हाथ करने को तैयार है। बिहार क्रिकेट संघ के स्वघोषित महाप्रबंधक क्रिकेट सुबीर चंद्र मिश्रा के द्वारा रात के अंधेरे में जिलों को भेजे गए मेल , जिसमें घरेलू क्रिकेट शुरू करने संबंधी जानकारियां दी गई है देखकर ऐसा लगता है कि बीसीए अब सरकार से आमने सामने टक्कर लेने के मूड में है क्योंकि एक ओर बिहार सरकार विधान सभा चुनाव कराने की तैयारी में जुटी है दूसरी ओर चुनाव के दौरान ही बीसीए ने कथित घरेलू क्रिकेट आयोजन के नाम पर जोनल ट्रायल की तिथि घोषित कर दी है।

बड़ी बात यह है कि जिन मैदानों में चुनावी तैयारी चल रही है उन मैदानों में क्रिकेट का आयोजन कैसे संभव हो सकेगा? अगर मधुबनी जिला को ही ले लें तो 28 अक्तुबर को वहां विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होना है दूसरी ओर बीसीए के क्रिकेट महाप्रबंधक ने 28 अक्तुबर को जोनल ट्रायल का आयोजन करने की घोषणा की है! ऐसे में किसी एक पक्ष को तो अपना फैसला बदलना ही होगा क्योंकि आमतौर पर चुनाव के दौरान मतदान के दिन स्कूल तक बंद रखे जाते हैं।

ऐसे में यह प्रतीत होता है कि या तो क्रिकेट महाप्रबंधक को अपना दायरा नहीं मालूम या वे खुद को सरकार से भी बड़ा आंक रहे होंगे। दूसरी तरफ जिस तरीके से उनके द्वारा यह घोषणा की गयी है यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह बीसीए समूह नहीं उनकी एकल अभिव्यक्ति है ? अन्यथा उनके इस फैसले पर अध्यक्ष खेमे में ही विरोध के स्वर मुखर नहीं होते! यह भी तथ्य उजागर हो गया है कि उन्हें बीसीए के संविधान की जानकारी का अभाव है या जानबूझकर वे अपने दायित्वों से भटक टूर्नामेंट कमेटी के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहे हैं । जहां तक क्रिकेट महाप्रबंधक की ओर से आठ जोन पर क्रिकेट कराने की बात कही गई है शायद उन्हें पता हो कि बीसीए के संविधान के अनुरूप बिहार में पाँच जोन का ही गठन किया जा सकता है ।

वहीं एक जोन में तीन से अधिक चयनकर्ता का चयन नहीं किया जा सकता है। चयन समिति में वही लोग सदस्य हो सकते हैं जिन्हें कम से कम 10 अंतर जिला मैच खेलने का अनुभव हासिल हो। क्रिकेट महाप्रबंधक को शायद यह भी नहीं पता है बिहार क्रिकेट संघ के बैंक ऑपरेशन पर रोक होने के कारण पैसे के आवंटन अथवा लेन देन की जानकारी वित्त प्रबंधक दे सकेंगे न कि क्रिकेट महाप्रबंधक । उनकी ओर से जोनल चयनकर्ता के लिए जो सूची मेल पर मांगी गई है वह भी योग्यता के अनुसार वेबसाइट पर मांगनी चाहिए थी इसके अलावा उनके द्वारा मेल पर जो अनर्गल प्रलाप किए गए हैं ऐसा प्रतीत होता है कि क्रिकेट महाप्रबंधक बिहार में क्रिकेट की जगह राजनीत अधिक कर रहे हैं।

उनकी यह कोशिश बीसीए में वैमन्श्यता फैलाने, क्रिकेटरो के भविष्य से खिलवाड़ करना भर है। पूर्व में भी संयोजक रहते 2017 में पटना के ट्रायल में हिस्सा लेने पहुँचे खिलाड़ियों को वापस लौटा कर वे अपनी योग्यता प्रदर्शित कर चुके हैं। बहरहाल बीसीए की ओर से उठाये गये इस कदम का असर और परिणाम शीघ्र ही दिखेगा। जैसे ही खिलाड़ियों के बीच विभेद की चिंगारी आग बनेगी उसके शोलों से बीसीए धधक उठेगा ऐसी भी संभावनाएं बन रही है। डर है इस बार कदम कदम पर बीसीए में कोईलवर कांड की पुनरावृत्ति ना हो। वैसे भी जिस संगठन का अध्यक्ष ही अवैध ढंग से निर्वाचित हो? गैर संवैधानिक फैसले पर आँखें मुंदकर मुहर लगाता हो वहां उनके द्वारा नियुक्त लोग कैसे होंगे यहाँ कहने की नहीं समझने की बात है । ऐसे में कहना अतिशयोक्ति नहीं कि बीसीए का अब भगवान ही मालिक है।

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