बीसीए के सीईओ और कार्यकारी सचिव प्रकरण में

  • न कारण पृच्छा, न जांच न निलंबन, फैसला आॅन स्पाॅट*बरखास्त*

मनोज कुमार की कलम से

पटना 18 अगस्त: यों भी कहावत है अगर बाघ के मुंह में खून लग जाए तो वह दूध नहीं पीता । बार-बार खून ही पिता है। कुछ ऐसे ही हालात बिहार क्रिकेट संघ में बन पड़ा है। बीसीए के निर्वाचित सचिव संजय कुमार के खिलाफ एन केन प्रकारेण आरोप गठित कर पदच्युत करने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी की एक और मनमानी सामने आई है ।

बिहार क्रिकेट संघ के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी मनीष राज के साथ कथित दुर्व्यवहार और मारपीट के आरोप में कार्यकारी सचिव सह संयुक्त सचिव कुमार अरविंद को बगैर किसी जांच अथवा कारण पृच्छा के सभी पदों से मुक्त करने का फरमान जारी कर दिया गया है । अगर यह सही है तो तानाशाही किसको कहते हैं वह कोई बीसीए में आकर देखें।

अगर आईजी रजिस्ट्रेशन कार्यालय में कोई घटना घटित हुई है तो इस मामले में दोनों पक्षों से नियमाकुल कारण पृच्छा होनी चाहिए थी । क्योंकि अध्यक्ष स्थल पर नहीं थे तो शिकायत के आलोक में दोनों पक्षों से कारण पृच्छा की जाती। समयावधि तक जबाब का इंतजार होता। जांच कमेटी गठित की जानी चाहिए थी और साक्ष्य एवं जांच रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम उठाया जाता । लेकिन यहां तो अध्यक्ष ने एक बार पुनः साबित किया कि वह बीसीए में “स्वयंभू” हैं ।

जैसा उन्होंने त्रि सदस्यीय कमिटी के गठन और फैसले में कर दिखाया था। बीसीए सचिव संजय कुमार के मामले में किया । न्यायालय और लोकपाल के आदेश के विरुद्ध दरभंगा और कटिहार जिला संघ के विघटन में किया । ठीक वैसा ही फरमान बीसीए के कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद के मामले में कर दिखाया है । शायद काररवाई करने के दौरान अध्यक्ष यह भूल बैठे कि वे निजी सचिव नहीं बीसीए के निर्वाचित पदाधिकारी हैं ।

उनका चयन सभी जिला संघो की सहमति से हुआ है तो उन्हें हटाने में भी आमसभा की सहमति आवश्यक होनी चाहिए थी। अगर नहीं तो यह सौ फीसदी मनमानी है? ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या बीसीए में कोई संविधान है कि अध्यक्ष का मनमाना फरमान ही संविधान है ।

ऐसे में अगर बिहार क्रिकेट संघ की मनमानी पर जल्द ही बीसीसीआई कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती है या न्यायालय कोई संज्ञान नहीं लेती है तो वह दिन दूर नहीं है जब बिहार क्रिकेट संघ हिंसक झड़प का अखाड़ा बन जाएगा और यहां क्रिकेट की जगह पर लात – जूता, लाठी – डंडा चलेंगे और चौके छक्के की जगह मैदान खून की नदियां भी बह सकती है!

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