किस हैसियत से कथित कार्यकारी सचिव,सीईओ और क्रिकेट जीएम ने लिया इंटरव्यू :मनोज कुमार(एमडीसीए सचिव)

खेलबिहार न्यूज़

पटना 11 अक्टूबर: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष गुट द्वारा बीते 8-9 अक्टूबर को चयन समिति बनाने के लिए कुल 33 पूर्व खिलाडियों के इंटरव्यू लिया गया लेकिन अब इंटरव्यू लेने वाले पदाधिकारी पर ही सवाल उठने शुरू हो गए है।

सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है क्योकि बताया जा रहा है पूर्व खिलाड़ियों का इंटरव्यू लेने वाले कमिटी एक भी ऐसे पदाधिकारी शामिल नही था जिसने कभी रणजी ट्रॉफी, एवं स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व किया हो ऐसे व्यकि उन पूर्व खिलाडियों का इंटरव्यू किस हिसाब से लिये है क्या इतना क्रिकेट को जानते होंगे जितना पूर्व खिलाड़ी अनुभव भी रखते है।

इस इंटरव्यू के बाद सवाल यह नही उठाया जा रहा है कि एसोसिएशन में पूर्व रणजी खिलाड़ी अजय नारायण शर्मा, अमिकर दयाल एवं कविता राय को इंटरव्यू कमिटी में क्यो नही रखा गया जिसके पास क्रिकेट की बखूभी अनुभव एवं जानकरी है ऐसे में तो यही बात हो गई कि शिक्षक का इंटरव्यू उसके स्टूडेंट ले रहे है।

इन्हीं विषयो पर मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ(उत्पल रंजन गुट के सचिव) मनोज कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि बिहार क्रिकेट संघ में संविधान की अनदेखी और लोढ़ा कमेटी के प्रस्तावों को अंगूठा दिखाने का खेल बदस्तूर जारी है। इसका नया उदाहरण बिहार क्रिकेट संघ की ओर से चयन समिति के गठन हेतु लिया गया दो दिवसीय इंटरव्यू है।

जिस इंटरव्यू को सीएसी के सदस्यों को करना था उसे कथित कार्यकारी सचिव , सीईओ और क्रिकेट जीएम के द्वारा कंडक्ट करना कहां तक उचित है ?जबकि बीसीए के पास दो अंतरराष्ट्रीय अनुभव रखने वाले खेल प्रतिनिधि अमिकर दयाल और कविता राय भी हैं। अगर इनके अनुभवों का योगदान लिया जाता तो कहीं न कहीं बीसीए सही चयन समिति पाने की स्थिति में होती और बिहार क्रिकेट और क्रिकेटरों का भला हो सकता था।

जहाँ तक बिहार क्रिकेट का सवाल है यहाँ अवसर के हिसाब से चरित्र गढे जा रहे हैं। अवसर है तो आपको पुछेंगे।काम निकल गया तो पहचानने से भी मुकर जाते हैं। अभी अभी बीसीए की ओर से दो दिवसीय इंटरव्यू का आयोजन किया गया जिसमें बीसीए के मौजूदा सत्र के लिए चयन समिति के गठन हेतु प्रस्तावित आवेदनों के आलोक में छानबीन कर अंतिम निर्णय लिया गया है। सूत्र बताते हैं कि इस इंटरव्यू को लेने के लिए सीएसी के सदस्यों को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी।

उक्त कमिटी चयन समिति के नाम पर सहमति बनाने के बाद नाम की सूची कमिटी आॅफ मैनेजमेंट को सुपुर्द करती और एजीएम इन नामों पर विचारोंपरांत अंतिम मुहर लगाती। हालांकि ऐसा हो न सका। अन्यथा सीएसी के चेयरमैन पूर्व रणजी खिलाड़ी अजय नारायण शर्मा के अनुभवों का लाभ बीसीए को हासिल हो सकता था।साथ ही सीएसी के गठन का औचित्य भी साकार होता। दूसरी तरफ बीसीए के पास फिलहाल खिलाड़ी प्रतिनिधि के रूप में दो पूर्व अंतर राष्ट्रीय खिलाड़ी अमिकर दयाल और कविता राय उपलब्ध हैं।

इनके अनुभवों का उपयोग करते हुए बीसीए चयन समिति के गठन हेतु इंटरव्यू के लिए अधिकृत किया जा सकता था। ऐसे में इनके अनुभवों की उपयोगिता भी प्रमाणित होता। निष्पक्ष चयन समिति के गठन की संभावना बनती। जिससे भविष्य में प्रतिभावान खिलाड़ी अनदेखी का शिकार होने से बचते !लेकिन यह विडंबना ही कही जायेगी कि ऐसा कुछ भी नहीं हो सका। संविधान की अनदेखी और लोढा कमिटी के प्रस्तावों की अनदेखी और मनमानी के लिए जाने जाने वाले अध्यक्ष खेमा ने एक और मनमानी को नया रंग दिया।

जिसमें कथित कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद, सीईओ मनीष राज और क्रिकेट जीएम सुबीरचन्द्र मिश्रा को इंटरव्यू लेने के लिए अधिकृत किया गया। अब इनके पास क्रिकेट का कितना तकनीकी ज्ञान है वह किसी से छुपा नहीं है और क्रिकेट में अनियमिता एवं भ्रष्टाचार के बढ़ावा के लिए जो आरोप लगते रहे हैं वह भी जग जाहिर है।

बहरहाल यह बड़ा सवाल है कि जब व्यक्ति ही सबकुछ कर लेगा तो सदन और संविधान का क्या मतलब? ऐसे में मनमानी तो चलेगी ही। क्या यह हितों का टकराव का मामला नहीं बनता ? लोगों में जोरों से चर्चा है कि यह मनमानी इस लिए किया जा रहा है कि खिलाड़ियों के चयन में सेटिंग कायम रहे और मनमाने ढंग से उगाही हो? प्रतिभा की जगह पैसा पुत्र बिहार क्रिकेट की शोभा बनें।

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