मैदान से पहले बिहार में मचेगा टी-20का कानूनी धमाल?बिहार क्रिकेट लीग पर यूवा फाउंडेशन का दावा?देखे पूरी खबर

खेलबिहार न्यूज़

पटना 23 अक्टूबर: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन(अध्यक्ष गुट ) द्वारा अभी -अभी लंच हुई बिहार क्रिकेट लीग को लेकर बड़ी टकरार होने वाली है सूत्रों के अनुसार अब बीसीएल का खेल मैदान में नहीं कोट में खेला जा सकता है। यूं लगता है जैसे बिहार क्रिकेट और विवाद में चोली दामन का संबंध है. बिहार क्रिकेट लीग के आयोजन की घोषणा के साथ ही आयोजन पर मंडरा रहे संकट ने यह साबित कर दिया है कि जाने अनजाने बिहार क्रिकेट संघ क्रिकेट कराने की जगह विवादों के भवर में फंसती जा रही है ।

जहां तक बीसीएल का सवाल है बीसीए सूत्रों की मानें तो सत्र 2018 -19 में युवा फाउंडेशन की तरफ से बिहार क्रिकेट लीग कराने के संदर्भ में बीसीए से द्विपक्षीय करारनामा तैयार किया गया था । जिसके एवज में युवा फाउंडेशन की तरफ से आयोजन मद में बीसीए के खाते में ₹500000 भी जमा कराए गए थे। इस मद में वर्तमान कमेटी की ओर से सचिव संजय कुमार ने इसी साल जनवरी माह में बिहार में प्रीमियर क्रिकेट लीग/बिहार क्रिकेट लीग कराने की विधिवत् घोषणा की गई थी ।

बावजूद इसके गुटबाजी में विभाजित बिहार क्रिकेट संघ ने बिहार प्रीमियर लीग के आयोजन के पहले इस करारनामा पर विमर्श की जगह नई संस्था के साथ मिलकर प्रीमियर क्रिकेट लीग/ बिहार क्रिकेट लीग की घोषणा की गई । ऐसे में लाजमी है जिसने बिहार प्रीमियर लीग के आयोजन के संदर्भ में बिहार क्रिकेट संघ को एडवांस आयोजन मद में ₹500000 दे रखे हैं वह चुप नहीं बैठेगा।

सूत्र बताते हैं कि जैसे ही अध्यक्ष खेमे की ओर से बीसीएल के आयोजन की घोषणा की गई है संबंधित पक्ष ने इस मामले में बीसीए पर कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है । युवा फाउंडेशन के निदेशक मंडल अरूण सिंह और कुंदन यादव ने संस्था पर जालसाजी करने का आरोप लगाया है और दो टूक बताया है कि अगर उनकी सहमति के बगैर उनके आयोजन में किसी तरह से दखलंदाजी की गई तो कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे।

बहरहाल यह तो बात रही युवा फाउंडेशन के द्वारा बिहार प्रीमियर लीग के आयोजन का पंजीकरण कराने और आयोजन मद में ₹500000 का अग्रिम भुगतान की। दूसरी ओर जिस पैमाने पर बीसीए की ओर से बीसीएल की घोषणा की गई है उसके गवर्निंग काउंसिल के गठन में ही झोल नजर आता है। काउंसिल के चेयरमैन सोना सिंह और संयोजक ओमप्रकाश तिवारी बनाए गए हैं जो विधि सम्मत इस पद के योग्य प्रतीत नहीं होता क्योंकि इनका किसी भी जिला संघ अथवा बिहार क्रिकेट संघ से न तो संबंध रहा है नहीं यह बीसीए के सदस्य रहे हैं ऐसे में गवर्निंग काउंसिल में इन्हें सर्वोच्च पद पर बिठाने से पहले संविधान सम्मत ढंग से आम सहमति बनानी चाहिए थी अथवा चुनाव करानी चाहिए थी।

जहां तक गवर्निंग काउंसिल का सवाल है उसमें बीसीए से चार सदस्य सचिव , कोषाध्यक्ष ,एजी मनोनीत एवं सीईओ को स्थान मिलता है । दूसरी ओर दो सदस्यों का चयन निर्वाचन से होता है इसी निर्वाचित दो सदस्यों में से कोई एक चेयरमैन चुना जाएगा । सातवें सदस्य के रूप में किसी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को नामित किया जा सकता है जिसमें बिहार क्रिकेट संघ के पास उपलब्ध खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकर दयाल और कविता राय जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी उपलब्ध है इन्हें भी काउंसिल में रखा नहीं जा सकता है ।

इसके अलावा किसी भी अंतर राष्ट्रीय खिलाड़ी पर संघ आई सी ए की सहमति से अपना विश्वास जता सकता है। साथ ही बीसीएल का अलग से खाता भी खोलना होगा। जिसके हस्ताक्षरी बीसीए के कोषाध्यक्ष और सीईओ होंगे। इस आयोजन के लिए बीसीसीआई से प्रतियोगिता के पंजीकरण भी कराने होंगे अन्यथा पंजीकृत खिलाड़ी के खेलने पर बीसीसीआई से काररवाई का डंडा भी चल सकता है ?

ऐसे में यह रोचक होगा कि बीसीए अपनी मनमानी में बीसीएल को विवादों का अखाड़ा बनाना चाहती है , इसे मैदान में खेलना चाहती है या फिर यह आयोजन न्यायालय में करना चाहती है ? यानी बीसीएल के आयोजन पर पिक्चर अभी बाकी है दोस्तों ! यानी मैदान में उतरने से पहले अभी टी ट्वेन्टी का बाहरी धमाल होना शेष है।

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