बीसीए में”घर”की अनदेखी”बाहरी”पर विश्वास,बीसीए चयनकर्ता समूह के गठन पर उठा सवाल? देखें

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पटना 4 दिसंबर : ऐसे लोग जो संकट के दिनों में जो बिहार क्रिकेट को भगवान के आश्रय छोड़ पलायन कर आशियाँ कहीं और बना गए, अच्छे दिनों में बिहार क्रिकेट संघ ने घर का ख्याल रखने और सींचने वाले की अनदेखी कर डगमगाती नैया का पतवार को उन्हें ही सौंप दिया है। यह हाल है बिहार क्रिकेट संघ के नई कार्यसमिति का ,जिसने घर की जगह बाहरी को अपनाना बेहतर माना है.

बीसीए सूत्रों की माने तो कोविड-19 के कारण डगमग हुई मौजूदा क्रिकेट सत्र में क्रिकेट की बहाली को लेकर बीसीसीआई से मिल रहे संकेत के आलोक में बीसीए के द्वारा गठित चयन समिति में जिन लोगों को जिम्मेदारियां दी गई है उसमें अधिकांश वैसे लोग हैं जो दशकों से बिहार से बाहर हैं। न तो उन्हें यहां के खिलाड़ियों के बारे में सही से अता पता है न तो यहां के क्रिकेट के माहौल से अवगत हैं और न यहां पर होने वाले अनियमितताओं को लेकर कोई समझ है । फिर भी ऐसे लोगों का चयन उन लोगों के ऊपर तरजीह देकर की गई है जिन्होंने खून पसीना एक कर सदैव बिहार क्रिकेट संघ को मदद दी। ये बाते मुज़्ज़फ़्फ़रपुर डीसीए(उत्पल रंजन गुट ) के सचिव मनोज कुमार ने कहि है।

उन्होंने आगे कहा ” नौनिहाल क्रिकेटरों को नया मुकाम देने हेतु मार्ग प्रशस्त किया और अपने अनुभवों से बिहार क्रिकेट संघ को सींचने का काम किया है हम ऐसे लोगों में नाम का जिक्र करे तो बिहार रणजी टीम के पूर्व कप्तान सुनील कुमार, बिहार रणजी टीम के मजबूत सिपाही निखिलेश रंजन, तरुण कुमार भोला , राजीव कुमार राजा, अली रशीद, जीशान उल यकीन, तारिकुर रहमान आदि ऐसे कई नाम है जिन्होंने बिहार क्रिकेट को नई ऊंचाई देने का काम किया है और तो और पिछले सत्र तक बिहार क्रिकेट के विकास और खिलाड़ियों के प्रशिक्षण में अपनी महती भूमिका अदा की है बावजूद इसके ऐसी प्रतिभाओ की अनदेखी कर बीसीए की वर्तमान कमेटी ने धनबाद में रहने वाले आमिर हाशमी को मुख्य चयनकर्ता बनाया है।

जबकि उन्होंने सदैव झारखंड और उत्तराखंड क्रिकेट संघ के लिए योगदान दिया है। सीनियर वर्ग में ही संतोष त्रिपाठी को चयनकर्ता सदस्य बनाया गया है। वह फिलहाल सर्विसेज में सेना के लिए योगदान दे रहे हैं और तकरीबन तीन दशक से बिहार से बाहर हैं। एक नाम जूनियर सेक्शन में साकेत कुमार का है वह लगभग दो दशक से बिहार से बाहर हैं और बैंकिंग सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं । महिला वर्ग में ऋतुराज शर्मा भी ऐसे लोगों में शामिल हैं जो सालों से बिहार से बाहर रह रहे हैं।

बहरहाल ऐसे लोगों के चयन पर सवाल उठना लाजमी है। क्योंकि बिहार में बहुतेरे ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनके बारे में सोंच और समझ होना भी जरूरी महसूस होता है। अन्यथा बिहार क्रिकेट संघ कि जो परिस्थितियां हैं उसमें प्रतिभा की अनदेखी कर ऊपर ही ऊपर “चयन” का भी माहौल बनता है जो निश्चय ही प्रतिभावान क्रिकेटरों के लिए पीड़ादायक होता है । ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि चयन की बागडोर उन हाथों में हो जो यहां के हालात माहौल और क्रिकेट प्रतिभा की समझ रखते हो । ऐसे में अंजान हाथों को कमान सौंपने को लेकर यह सवाल भी खूब हो रहा कि चयन के नाम पर मनमानी का “धंधा” आसानी से फल फूल सकेगा।

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