Home अन्य खेल संकट में बिहार हॉकी:-जिसे खेलने का उम्र हो उसे मैनेजर बना दिया जाता है – राणा, देखे पूरी न्यूज़

संकट में बिहार हॉकी:-जिसे खेलने का उम्र हो उसे मैनेजर बना दिया जाता है – राणा, देखे पूरी न्यूज़

by Khelbihar.com

Khelbihar.Com।पटना।।


हॉकी को पूरा भारत मेंं संचालित करने वाली संस्था हॉकी इंडिया के अध्यक्ष , हॉकी बिहार के सचिव एवं बिहार ऑलम्पिक के महासचिव मुश्ताक अहमद जी की अपने ही राज्य मेंं हॉकी बिहार की दुर्दशा किसी से छुपी नही , पूर्व हॉकी खिलाडी राणा प्रताप सिंह ने बतया की पिछले महिने एकलव्य हॉकी प्रतियोगीता राज्य सरकार द्वरा आयोजित किया गया , इस प्रतियोगीता को सफल करने हेतु कला संस्कृति एवं युवा कल्याण विभाग ने हॉकी बिहार को पत्र दिए ऑफीशियल से के लिए , जिसमे हॉकी बिहार के द्वरा ऑफीशियल उपलब्ध कराया गया जिसमे गैर अनुभवी अपने नजदीकियों को मौका दिया गया ।।


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इसका विरोध भी हुआ ‘ फिर पूर्व खिलाडी औऱ भारतीय जनता क्रीड़ा प्रकोष्ठ के जिला प्रभारी राणा प्रताप सिंह ने खेल प्राधिकरण के महानिदेशक से सूचना के अधिकार RTI act 2005 के तहत जावब मँगा जिसमे ये खुलासा हुआ की हॉकी बिहार ने कैसे खेल को माजाक बना रखा हैं , राणा ने बताया की आप ऑफीशियल की सूची देख कर अंदाजा लगा सकते की हॉकी बिहार औऱ हॉकी इंडिया का क्या अस्तित्व हैं , यहाँ हॉकी बिहार के तरफ से टीम का मैनेजर एक 17 वर्षीय नाबालिक की न्यूक्ती होती हैं , इससे साफ होता हैं की हॉकी के साथ खिलवाड़ ‘ मजाक किस स्तर तक हो रही हैं ‘ जो लड़का अभी खुद की अपनी खेल खेलने के लिए जदो जेहद कर रहा हो ‘ सब जूनियर खेल कर आया हो ‘ स्कूली नेशनल खेलने इसी साल गया हो उसी लड़का को कोच मैनेजर मेंं न्युक्ति होती हैं ‘ जिसकी खेलने की उम्र हैं उसका कैरियर के साथ साथ जिस टीम का कोच मैनेजर बनया जाता हैं उसकी भी भविष्य को खत्म किया जा रहा हैं ,

जबकि ऐसा नही हैं की बिहार मेंं कोच या अनुभवी लोगो की कमी रही हो ‘ कई नामचीन लोग आज भी उपलब्ध हैं जिसमे , अनुभा सिंह शारीरक शिक्षक एवं बिहार सरकार मेंं कार्यरत , गौतम सिन्हा शारीरिक शिक्षक एवं बिहार सरकार मेंं कार्यरत , रंजना सिंह शारीरक शिक्षक , शंभू कुमार NIS कोच , अनु कुमारी शारीरिक शिक्षक , नवीन जी , प्रभाकर निगम बिहार सरकार मेंं कार्यरत , स्मिता जी , दीपक कुमार शारीरिक शिक्षक औऱ NIS , बहुत से नाम हैं जो अनुभवी हैं ‘ योग्यता रखते हैं ‘ लेकिन उनको तरजीह कभी नही दी जाती , उन्हे कभी मौका नही दिया जाता ना ही हॉकी बिहार से ना राज्य खेल प्राधिकरण से , औऱ सिर्फ इस वजह से की वे मुश्ताक जी के करीबियों मेंं नही आते इस लिए नही पूछा जाता ‘ औऱ नरेश चौहान जी भी अपनो को ही लाभ देने मेंं यकीन रखते हैं औऱ इसका खामियाजा खिलाड़ियों को उठाना पड़ जाता हैं उन्हे ना उचित प्रशिक्षण मिल पाती हैं औऱ ना ही बिहार के हॉकी खेल मेंं सुधार हो पाता हैं ,

हॉकी बिहार एक गैरजिम्मेदार संस्था बन कर रह गया हैं ‘ खेल विभाग भी इसपर आंख को बंद रखा हैं ‘ जिसके परिणाम स्वरूप बिहार को एक ही प्रतियोगीता मेंं 35 गोल से पाराजीत होकर कलंकित होना पड़ता हैं , राणा ने कहाँ की खेल विभाग से मैं माँग करता हूँ की खिलाड़ियों से खिलवाड़ करने वाले, खेल के साथ मजाक करने वाले दोषियों के खिलाफ खेल विभाग अति शीघ्र करवाई करे , इस प्रकरण को खेल मंत्री से लेकर महा महिम राज्यपाल महोदय तक भेजा जाऐगा !
राणा प्रताप सिंह उर्फ मुकेश
पूर्व हॉकी खिलाडी


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