मां सरकारी बस में कंडक्टर हैं बेटे को बना दिया क्रिकेटर, देखे स्ट्रगल कहानी

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Patna:: कोई कहकर गया है कि बस लगन से लगे रहो मंजिल एक ना दिन जरूर मिलेगी। असली इंसान वही है जो मुश्किलों के समंदर को पार करके मंजिल को पा जाए। आज हम आपको एक ऐसे ही लड़के की कहानी बता रहे हैं जिसकी मां सरकारी बस में कंडक्टर हैं और अब बेटा मेहनत करके टीम इंडिया में आ गया है।


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ये कहानी है भारतीय अंडर-19 टीम में चुने गए अथर्व अंकोलेकर की है। महज नौ साल की उम्र में ही अथर्व के सिर से पिता का साया उठ गया। आजीविका चलाने वाले के यूं अचानक चले जाने से दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ने लगे थे। इन मुश्किल हालातों में अर्थव की मां वैदेही ने जो हौंसला दिखाया, वो किसी मिसाल से कम नहीं।


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अंग्रेजी अखबार डीएनए को वैदेही अंकोलेकर ने बताया कि बेटे के भारतीय टीम में चयनित होने के बाद काफी बधाई संदेश मिले, इसमें रिश्तेदार और बेस्ट का स्टाफ भी शामिल था। उन्होंने कहा, ‘मेरे पति विनोद BEST (बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट) में कंडक्टर थे। परिवार में वे इकलौते कमाने वाले थे। उनकी मौत ने हमें बेसहारा कर दिया था। ऐसे में शुरू में मैंने दोस्त की मदद से ट्यूशन देना शुरू किया। बाद में मैं मुझे पति की नौकरी मिल गई।


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वैदेही की ड्यूटी मारोल बस डिपो पर हैं और वह बस नंबर 186 (अगरकर चौक से विहार लेक) और 340 (घाटकोपर स्टेशन से अगरकर चौक) में कार्यरत हैं। 26 सितंबर 2000 को जन्में अथर्व बाएं हाथ के स्पिनर हैं और मुंबई के रिजवी कॉलेज में सेकेंड ईयर के छात्र हैं।


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अथर्व आज भी अपने पिता को काफी याद करते हैं। बकौल अथर्व जब वह छोटे थे तब पिता उनके बिस्तर के पास क्रिकेट बैट रख देते थे। अच्छा खेलने पर क्रिकेट का बाकी सामान भी लाकर देते थे। अब यह सब काफी याद आता है। अथर्व का सपना कड़ी मेहनत करके टीम इंडिया के लिए खेलना सपना है।


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श्रीलंका में अगले महीने होने वाले यूथ एशिया कप (U-19) टूर्नामेंट के लिए घोषित हुई टीम की अगुवाई कारगिल हीरो के बेटे ध्रुव जुरेल कर रहे हैं। इसी टीम में अथर्व भी चुने गए। नौ साल पहले अथर्व ने एक प्रैक्टिस मैच में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को आउट कर दिया था। इस वाकये ने उन्हें काफी वाहवाही दिलाई थी। बाद में सचिन ने उन्हें ऑटोग्राफ वाले ग्लव्स गिफ्ट किए थे।

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