Home बिहार क्रिकेट अभिनव तिवारी को बिहार प्लयेर एसोसिएशन के अध्यक्ष मिर्तुंजय तिवारी का इस्तीफा मांगना पड़ा महंगा? क्लब समस्तीपुर

अभिनव तिवारी को बिहार प्लयेर एसोसिएशन के अध्यक्ष मिर्तुंजय तिवारी का इस्तीफा मांगना पड़ा महंगा? क्लब समस्तीपुर

by Khelbihar.com

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पटना।। एकता क्रिकेट क्लब समस्तीपुर सेे तालुक रखने वाले अभिनव तिवारी ने बिहार क्रिकेट में हो रहे खिलाड़ियो के साथ दोहरी नीति के खिलाफ लगातार अपने फेसबुक बॉल पर अपनी बात रख रहे है, इस बीच जब बिहार प्लयेर एसोसिएशन के अध्यक्ष मिर्तुंजय तिवारी से इस्तीफे देने की बात कही तो एक यूजर ने अभिनव तिवारी को बुरा भला सुनान्ने लगे?

यूजर ने मिर्तुंजय तिवारी के इस्तीफे की बात पर यह लिखा देखे:-
अभिनव तिवारी जी लिखने से पहले थोड़ा आत्मचिंतन कर लेते तो बेहतर होता l आप जिस व्यक्तित्व के बारे मे बात कर रहे हैं वो एक एकलौते शख्श हैं जो खेल की कमियो के लिए सरकार से अकेले संघर्ष करते हैं l

यूजर मिर्तुंजय कुमार झा ने लिखा

यह वही व्यक्तित्व हैं ज़िन्होने बिहार मे क्रिकेट की बहाली के लिए दिल्ली से मुंबई और कोलकाता तक सड़को पर संघर्ष किया, पुलिस की लाठी कई बार खाई लेकिन हार नही मानी l अकेले लड़कर बिहार मे क्रिकेट बहाल करवाया l वो जिस पद पर हैं वह किसी लाभ का पद नही हैं वह संघर्ष का पद हैं , वह एक ऐसा मंच हैं जहाँ सब जगह से हारकर खिलाड़ी पहुचते हैं और उनको न्याय मिलता हैं l

यह वह मंच हैं जहाँ से उम्मीदहीन खिलाड़ी हंसते हंसते जाते हैं l आप किसी दिन आये, सचिवालय मे नौकरी कर रहे बच्चे आपको सब कुछ बता देंगे l आपको भी पता होगा की #मोईनुल हक स्टेडियम कई महिनो से बन्द पड़ा था और उसके लिए किसी ने आवाज तक नही उठाई ना किसी खिलाड़ी ने ना खेल से जुड़े किसी #तथाकथित खेल मसीहा ने l आवाज उठाई उसी श्री मृत्युंजय तिवारी ने और सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा और #Stadium का ताला खुला l

यह वही मृत्युंजय तिवारी हैं जो अपने जान की परवाह किये बिना कभी धरना तो कभी कठिन शारीरिक दिकत्तो के बावजुद आमरण अनशन l बीते 25 अगस्त से 4 दिनो का जो अनशन था उसमे उनकी क्या स्थिती हो गई थी सिर्फ वही य़ा ईश्वर जानते हैं लेकिन इतने के वाबजुद कोई भी #Cricketer उनका हालचाल जानने तक नही पहुंचा , क्या यह शर्मनाक नही हैं ? और तो और ना किसी ने बन्द पड़े #Stadium को खोलवाने मे उनकी भुमिका के लिए धन्यवाद के एक भी वाक्य कहे l

अरे मैं तो भूल ही गया की धन्यवाद तो उस वक्त भी किसी ने नही दिया जब अकेले लड़कर बिहार को #क्रिकेट की मान्यता दिलाई तो अब क्यू देंगे l सच तो यही हैं कुछ लोगो को छोड़कर सबों को अपनी गिरेबां मे झाकना चाहिए l जिस कुरसी के liye लोग लड़ रहे हैं उन्होने तो इस्तीफा दे दिया l याद रखिये की फेसबुक के संघर्ष और सड़क पर संघर्ष करने मे फर्क होता हैं कभी एक बार सड़क पर ऊतरकर देख लिजिये l

आपको बता दे मिर्तुंजय तिवारी ओहि इंसान है जो बिहार में बंद पड़े मोईनुल हक स्टेडियम को खिलाड़ियो को फिर से खुलवाने के लिए अनशन पर बैठे थे,लेकिन कोई भी क्रिकेट पदाधिकारी उनके साथ खड़ा नही था उन्होंने सरकार को मजबूर कर दिया अपने अनशन से फिर उनके बजह से ही आज सभी खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम का ताला खुला है।

एक यूजर ने लिखा कि उनकी बहुत से देन है बिहार की खिलाड़ियो के लिए और आप उनको इस्तफा देने की बात करते है?

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