Conflict of interest को लेकर मो.अरसद जेन ने रखी अपनी बात,देखे पूरी ख़बर

खेलबिहार न्यूज़

पटना 28 मई: बिहार क्रिकेट में अभी भी ऐसा देखा जा रहा है कि कुछ भी ठीक नही है ऐसे ख़बरे अपने बार-बार देखे है जबसे बीसीए के एजीएम 31 जनवरी आरा में हुई थी उसके बाद से हि बिहार में कुछ ठीक नही चल रहा है और हाल हि में बीसीए सचिव को इथिक ऑफिसर द्वारा कंफिलिट ऑफ इंटरेस्ट में जीत कि ख़बरे आई है जिससे पूरा बिहार क्रिकेट गर्म हो चुका है।


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इसी बीच सीएबी से जुड़े व नालंदा के कोच मो अरसद जेन ने प्रेस विज्ञप्ति के द्वारा इस अहम मुद्दे पर अपनी बात रखी है। उन्होंने लिखा है”14 वर्षों के बाद बिहार को रणजी ट्रॉफी की मान्यता मिलने के बाद फिर से बिहार मे पद, पैसा, परिवार और पैरवी का जो घिनौना खेल शुरु हुआ उसमे लगभग सभी लोग शामिल हो चुके हैं वो चाहे खुद को क्रिकेट का हितैशी बताने वाले हों या क्रिकेट को संचालित करने वाले बीसीए पदाधिकारी हों या क्रिकेट जगत मे हमेशा से दलाली का काम करने वाले दो कौड़ी के लोग हों। क्रिकेट के हर क्षेत्र मे अब करप्शन ने पाँव पसारने का काम किया है।
चलिए अब मूद्दे पर बात करते हैं जो की बीसीए से निलंबित चलरहे नवनिर्वाचित सचिव संजय कुमार मंटु जी पर लगे Conflict of interest पर बात करते हैं।


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सब से पहले ये जानलें की निलंबित सचिव संजय मंटु पर ये आरोप है की पद पर रहते हुए उनहों ने बेटे का चयन बिहार रणजी टीम मे कराया और पद का दुरुपयोग किया या युं कहें की बीसीए के सचिव पद पर रहते हुं सचिव के बेटा का चयन उसी राज्य की रणजी टीम मे चयन होना लोढ़ा समिति के नियमों के अंतर्गत Conflict of interest का मामला बनता है।
यहाँ मै साफ करना चहुंगा के निलंबन सचिव संजय मंटु जी के पुत्र शिवम एस कुमार पर मैं कोई कटाक्ष या राजनीत नही करना चाहता हुं वो क्रिकेटर है तो वो क्रिकेट खेलने और प्रदर्शन के आधार पर चयन होने का अधिकार रखता है और मैं शिवम एस कुमार के उज्जवल भविष्य की कामना भी करता हुं।


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अब असल बात ये है की निलंबित सचिव द्वारा खुद को Conflict of interest से बरी होने की बात फैलाकर भ्रम फैलाना वहीं उनके विरोध मे बीसीए अध्यक्ष के नव न्युक्त प्रवक्ता संजीव मिश्रा तथा वैशाली के कार्यकारी सचिव प्रकाश कुमार सिंह द्वारा निलंबित सचिव संजय मंटु को झुठा बताना तथा संजय मंटु के समर्थन मे उनके प्रवक्ता राशिद रौशन का विरोधाभासी, चम्मे और बेवकुफाना तरह दिया गया ब्यान से साबित कर रहा है की निलंबित सचिव तथा बीसीए अध्यक्ष के गुटों के बीच शह और मात का खेल चलरहा है और अंदर ही अंदर सत्ता पर पकड़ बनाए रहनी की कवायद जारी है।
दोनो गुटो ने वैसे तो अपनी हरकतों और निर्णय से संविधान को ताखपर रखकर निर्णय लेने का रिकार्ड बनाने मे कोई कसर नही छोड़ी वहीं उनके प्रवक्ता और समर्थक संविधान की दुहाई देकर एक दुसरे को ज्ञान बाँटने का काम कर रहे हैं और देखा जाए तो सबका कोई क्रिकेटर से कभी कोई संबंध नही रहा है वैसे लोग ज्ञान दे रहें।


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सितंबर 2019 मे जब बीसीए के सभी कार्यों को बीसीसीआई ने अपने हाँथो मे लेकर बिहार के क्रिकेट को सुचारु रुप ले चलाने का निर्णय लिया था और बीसीसीआई से एक कमीटी IPS अलोक कुमार के नेत्रित्व मे बनाकर बिहार भेजी थी उस समय बिहार सिनियर तथा जुनियर टीम का चयन बीसीसीआई के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं जिसमे बिहार सिनियर टीम का चयन चयनकर्ता जतिन परांजपे तथा जुनियर टीम चयनकर्ता ज्ञानेंद्र पाण्डे जी के देख रेख मे किया गया था।


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विवाद और Conflict of interest का मामला जो है वो बिहार सिनियर टीम मे निलंबित सचिव संजय मंटु के पुत्र का बिहार सिनियर टीम मे चयन को लेकर है जो की उस समय नवंबर 2019 मे राष्ट्रीय चयनकर्ता जतिन परांजपे द्वारा चुनी गयी बिहार सिनियर टीम (विजय हजारे) में निलंबित सचिव के पुत्र का चयन न टीम के 15 सदस्यों मे था और न ही सुरक्षित (स्टैंड बाई) खिलाड़ियों मे था तब 6 खिलाडियों को सुरक्षित रखा गया था। नवंबर 2019 मे बीसीसीआई ने बिहार के क्रिकेट को सुचारु रुप से चलाने का काम किया और दिसंबर 2019 मे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव संपन्न कराने का काम भी बीसीसीआई के देखरेख मे किया गया जिसमे सचिव के पद के लिए एक गुट से संजय कुमार मंटु ने पर्चा भरा था विरोध मे जितने भी लोगों ने पर्चा भरा था किसी कारणवश उनका नॉमिनेशन रद्द हो गया और संजय कुमार मंटु को निर्विरोध बीसीए का सचिव पद हासिल हो गया।
चुनाव सम्मान होने के बाद बीसीसीआई ने बिहार के क्रिकेट की ज़िम्मेदारी फिर से बीसीए को संभालने दे दिया जिस के पीछे बीसीसीआई मे बड़े पद पर विराजमान पुर्व भारतिये क्रिकेट सय्यद सबा करीम का एक बड़ा योगदा रहा।


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यहीं से शुरु हुआ बिहार के प्रतिभाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ अपने परिवार, पैसे और पैरवी द्वारा बीसीए से जुड़े लोगों ने चयन का काम शुरु किया जिसमे सब से पहला नाम बीसीए के निलंबित सचिव संजय मंटु के पुत्र शिवम एस कुमार का था ( उस समय संजय मंटु का सचिव पद पर चुनकर आए हुए एक महिना भी नही हुआ था)।निलंबित सचिव संजय कुमार मंटु ने बिहार की विजय हजारे टीम से टुर्नामेंट के दौरान ही 6 खिलाड़ियों को टीम से वापस बुला लिया और 6 नये खिलाडी जो की राष्ट्रीय चयनकर्ता जतिन परांजपे द्वारा चयनित 6 सुरक्षित मे भी नही थे उनके नाम की घोषणा की जिस मे सचिव संजय मंटु ने अपने पुत्र.श शिवम एस. कुमार को भी शामिल करवाने का काम किया था।
उस समय वर्तमान मे निलंबित चलरहे सचिव जो उस समय सचिव के पद पर थे बहौत विवाद हुआ मगर बीसीए मे एक खासियत है जो बीसीए मे पद पर आता है वो बीसीए को अपने बाप की बपौती समझने लगता है और हिटलरशाही का महौल बना डालता है कुछ एसा ही उस समय सचिव के पद पर रहते हुए संजय कुमार मंटु ने भी किया था।


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बाद मे सचिव ने अपने पुत्र का चयन सय्यद मुश्ताक अली तथा रणजी ट्रॉफी के लिए बिहार टीम मे चयन करवाने का काम किया और लगातार सभी मैच मे टीम मे जगह दिलाने का भी काम किया।
सिर्फ सचिव संजय कुमार मंटु ने ही नही हर किसी ने जिसकी पकड़ बीसीए मे थी अपने परिवार को टीम मे जगह दिलाने का काम किया औय बिहार की टीम पुरी तरह से पदाधिकारी, पैरवी, पुत्र और पैसे पर चयन की टीम बनकर रह गयी जिसका नतिजा ये हुआ के कुख एसे खिलाड़ियों का चयन टीम मे हुआ जो संयास लेने की उम्र मे टीम मे आए हैं कुछ तो एसे थे जिनको गेंद पकड़ने तक की समझ नही है।
बहरहाल यहाँ चर्चा निलंबित सचिव पर लगे Conflict of interest आरोप की है तो यह बात साफ ज़ाहिर होती है की संजय कुमार मंटु ने सचिव के पद पर थे और लोढ़ा समिति के नियम के अनुसार परिवार का सदस्य राज्य की टीम मे नही रह सकता था क्युकी पद का दुरुपयोग होने की संभावना बनी रहती है परंतुं देखा जाए तो यहाँ पर राष्ट्रीय चयनकर्ताओं द्वारा चयनित खिलाडियों को दरकिनार करके सचिव के पुत्र का टुर्नामेंट के बीच मे बिहार विजय हजारे की सिनियर टीम मे चयन होना खुल्लम खुल्ला सचिव पद के पॉवर का दुरुपयोग किया गया ।


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एक क्रिकेटर होने के नाते, बिहार के प्रतिभाशाली क्रिकेटरों की न्याय के लिए आवाज़ उठाने वाले के नाते और एक क्रिकेट कोच होने के नाते हैं गलत को गलत बोलुंगा और मेरी नज़र मे बीसीए के वर्तमान निलंबित सचिव संजय कुमार मंटु पर Conflict of interest का मामला बनता है संजय कुमार मंटु पर कार्यवाही होनी चाहिए जिस से की दुसरों को सबक मिले और भविष्य मे इस तरह की हरकत कोई दुसरा पदाधिकारी न कर सके और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ न्याय हो सके।

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