- विश्व कप क्रिकेट मैच में मैदान सुखाने को मोइनूल हक स्टेडियम में उतारा था हेलीकाप्टर
खेलबिहार न्यूज़
मनोज कुमार (स्वतंत्र पत्रकार एवं एमडीसीए सचिव) कि कलम से
पटना 14 जून: बिहार क्रिकेट संघ में अध्यक्ष और विवाद में चोली दामन का संबंध बनता जा रहा है। नवनिर्वाचित कमिटी के मुखिया राकेश तिवारी के कारनामें आये दिन सुर्खियाँ बटोर रही है। चाहे जिला क्रिकेट संघो से जुड़ा मामला हो, तथाकथित विवाद निबटाने को गठित तीन सदस्यीय कमिटी का गठन, उसके पल पल बदलते फैसले, संविधान से इतर लिये जा रहे फैसले या आठ जोन का गठन जैसे आदि मामले हैं जो बीसीए को क्रिकेट की जगह विवादों में घेरती जा रही है।
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ऐसे में बिहार क्रिकेट संघ को लालू प्रसाद की याद सता रही है। क्योंकि अध्यक्ष रहते राजद सुप्रीमों सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने कभी भी जिला इकाई में घुसपैठ नहीं की थी ।कभी भी बड़ी हस्ती होने का धौंस नहीं दिखाया था। यह उनकी दरियादिली कहिए अथवा क्रिकेट प्रेम कि वर्ष 1996 में विश्वकप क्रिकेट के दौरान मोइनूलहक स्टेडियम में आयोजित जिम्बाबवे और केनिया के बीच मैच में बारिश हो जाने पर पानी सुखाने के लिए हेलिकाप्टर तक उतार दिया था।
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यह सच है कि एक बड़े राजनेता की पहचान रखने वाले लालू प्रसाद क्रिकेट की राजनीति में आने की सोंच नहीं रखते थे। दरअसल झारखंड राज्य के अलग होने के बाद बिहार क्रिकेट संघ में कुर्सी की राजनीति में निर्णायक स्थिति बनाने के लिए ही लालू प्रसाद को बीसीए में लाया गया था। सूत्र बताते हैं कि तब बीसीए में पुलिस महकमे के आलाधिकारी आर आर वर्मा और सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के प्रवेश रोकने के लिए सचिव पद के दावेदार अजय नारायण शर्मा ने लालू प्रसाद को बीसीए से जोड़ने की योजना बनाई। इसे मूर्त रूप देने का काम वरिष्ठ राजद नेता अब्दुल बारी सिद्धिकी ने की थी।
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मजे की बात यह है कि तब लालू प्रसाद को रातों रात मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के चेयरमैन पद पर सुशोभित किया गया था। इस काम को एम डी सी ए के तत्कालिक अध्यक्ष परमानन्द सिंहा ने अंजाम तक पहुँचाया था। तब इस मिशन को इतनी गोपनीयता से पूर्ण किया गया था कि तत्कालिक चेयरमैन शांति स्वरूप शर्मा को पद से हटने और सचिव रविशंकर शर्मा को लालू प्रसाद के चेयरमैन बनाये जाने की भनक तक नहीं लगी थी। अगले दिन अखबार में छपी खबर से बदलाव का शंखनाद हुआ था। हालांकि यह भी विडंबना रही कि चेयरमैन रहते लालू प्रसाद कभी भी न तो मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के किसी भी गतिविधि में शामिल हुए अथवा किसी आयोजन में भागीदार बनें।
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लेकिन उनकी खासियत रही कि दो कार्यकाल तक बीसीए के अध्यक्ष पद पर योगदान देने वाले राजद के मुखिया ने कभी भी जिला क्रिकेट में हस्तक्षेप नहीं किया। इतना ही नहीं अपने दोनों पुत्रों तेजप्रताप और तेजस्वी के क्रिकेटर रहने के बावजूद कभी भी बिहार टीम में पिछले दरवाजे से प्रवेश दिलाने की पहल नहीं की। यह बात और है कि बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर मतदान के मुद्दों पर बीसीए उनके कार्यकाल में ही जगमोहन डालमिया ( अब जीवित नहीं ) के कोप का शिकार बन गया था। दूसरी ओर बीसीसीआई की राजनीति में उनके प्रवेश की भनक पर तेजस्वी का पत्ता अंडर 19 इंडिया टीम से कट गया था।
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लेकिन जिस दिलेरी से उन्होने विश्वकप मैच का मेजबान बने बीसीए की पहचान अंतर राष्ट्रीय फलक बढाई थी उस पहल की चर्चा आज तक की जाती है। दरअसल जिम्बाबवे बनाम केनिया मैच के पहले मूसलाधार बारिश हो जाने से मैदान गिला हो गया था। मोइनूलहक स्टेडियम में तब मैच हो पाना मुश्किल लग रहा था। लेकिन लालू प्रसाद ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और मैदान सुखाने हेतु हेलिकाप्टर उतरवा दिया। यह मैच खेला भी गया और दर्शकों ने इसका लुत्फ भी उठाया।
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बहरहाल आज जिस तरीके से बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी पर जिला क्रिकेट संघ में हस्तक्षेप और मनमानी की शिकायतें चरम पर है। बीसीए विवाद का अखाड़ा बनता जा रहा है। ऐसे समय में बिहार क्रिकेट जगत को लालू प्रसाद की याद आ रही है क्योंकि एक राजनेता होने के बावजूद न तो उनके द्वारा जिले में कभी दखल दी गयी और न कभी ऐसे दबाव डाले गये कि जिला इकाई शर्मसार हुआ हो। और तो और तब बीसीए पर कब्जा जमाने की कवायद में जुटे एबीसी सुप्रीम कीर्ति झा आजाद के हर कोशिश को विफल बनाने में भी लालू प्रसाद बीसीए और जिला इकाई के साथ खड़ा रहे थे।