Home Bihar सहयोगियो संग कैंप कार्यालय में ताला तोड़ सामान ले गये बीसीए अध्यक्ष:-मनोज कुमार

सहयोगियो संग कैंप कार्यालय में ताला तोड़ सामान ले गये बीसीए अध्यक्ष:-मनोज कुमार

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 04 जुलाई: बीते शुक्रवार को बीसीए अध्यक्ष व उनके सहयोगियों द्वारा बीसीए के पुराने ऑफिस से जरूरी कागजात को ले जाया गया, जिसको लेकर लोग तरह तरह के बेटे कर रहे है, 3 जुलाई को बीसीए जिला संघो के प्रतिनिधि संजय सिंह ने बताया था कि कैसे आफिस से कागजात ले जाया गया है।जिसके बाद एमडीसीए के सचिव मनोज कुमार ने अपना बयान देते हुए कहा है कि।

बिहार क्रिकेट संघ अब गुंडाराज की राह अग्रसर हो रहा है। इसका नायाब उदाहरण है बीसीए के कैंप कार्यालय में ताला तोड़कर सामान ले जाना। बीसीए सूत्रों की माने तो सचिव संजय कुमार और अध्यक्ष राकेश तिवारी के बीच छिड़ा विवाद अब गुंडई संस्कृति को बढ़ावा देता दिख रहा है। शुक्र वार को बीसीए के कैंप कार्यालय पर अध्यक्ष राकेश तिवारी के नेतृत्व में ताला तोड़ा जाना इस बात की पुष्टि कर रहा है।

कथित फर्जी कागजात और झूठा शपथ पत्र के सहारे बीसीए चुनाव में भाग लेने के मामले को सम्मानित विधायकों द्वारा विधानसभा में उठाये जाने के बाद अध्यक्ष राकेश तिवारी बौखला सा गए हैं, और अपने खिलाफ खुद के द्वारा प्रस्तुत सबूत को मिटाने की साजिश कर रहे हैं। क्योंकि इस मामले की जांच मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से की जानी है।

संभवतः कैंप कार्यालय में ताला तोड़ने का मामला इस केस से जुड़ा प्रतीत होता है क्योंकि अध्यक्ष अपने खिलाफ जुटाये गये साक्ष्य को मिटाने की कोशिश में थे। उनके द्वारा पहले से ही उन लोगों को धमकाने अथवा अपने पक्ष में मिलाने का काम चल रहा था जिनके द्वारा अध्यक्ष या बीसीए के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

कटिहार के सचिव रीतेश कुमार, पूर्णिया के सचिव हरिओम झा,मुजफ्फरपुर के सचिव मनोज कुमार को समझाकर मनाने से लेकर डराकर झुकाने की विफल कोशिश की जा चुकी है। वहीं बीसीए के समानांतर कमिटी गठित करनेवाले वरीय अधिवक्ता जग्रनाथ सिंह हो या उनके खिलाफ याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता उमाशंकर सिंह को पद मोह में फांसने की पहल ।


अध्यक्ष राकेश तिवारी ने खुद को बचाने की मुहिम छेड़ रखा है। जबकि सच्चाई यही है कि बीसीए के चुनाव में अध्यक्ष पद पर लड़ने वाले राकेश तिवारी ने शपथपत्र में सच को छुपाया। यधपि वह गोपालगंज जिला क्रिकेट संघ के नयी या पुरानी कमिटी में किसी भी पद पर नहीं थे बावजूद इसके खुद को पुरानी कमिटी में उपाध्यक्ष बताकर चुनाव लड़ने का काम किया जो लोढा कमिटी के प्रस्तावों के विरुद्ध था।

साथ ही अपने नेतृत्व में गठित तीन सदस्यों की कमिटी के माध्यम से जो मनमाना फैसले सुना कर दर्जनाधिक जिला क्रिकेट संघो में विवाद खड़ा कराया।जबकि इनका मामला पूर्व से लोकपाल के न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं सत्ता में आने के बाद नये लोकपाल, एथिक आफिसर और विभिन्न पदों पर जीएम की एकतरफ़ा नियुक्ति और मनचाहा वेतनमान निर्धारित करना आदि कई ऐसे मामले हैं जिसमें अध्यक्ष को आज न कल कटघरा में खड़ा होना ही है।


बहरहाल बीसीए के कैंप कार्यालय में ताला तोड़ देने और सामान उठा ले जाने से किसको कितना लाभ, कितना नुकसान होगा यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह मामला गुल खिलायेगा यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि गलत हुआ है। फर्जी कागजात दिए गए हैं। ऐसे में कारवाई भी होगी और दंड भी मिलेगा।क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक ही सिद्धांत है हम न फंसाते हैं न बचाते हैं “कानून अपना काम करेगा “।

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