Home Bihar cricket association News, युवा खेल फाउंडेशन को अंदेखा कर कैसे बीसीए ने इलीट से किया बीसीएल को लेकर करार ?

युवा खेल फाउंडेशन को अंदेखा कर कैसे बीसीए ने इलीट से किया बीसीएल को लेकर करार ?

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 24 अक्टूबर: बिहार क्रिकेट संघ कुछ खेल की गतिविधि कराये तब सवाल न कराये तब सवाल लेकिन सवाल तो उठता ही है। आपको बता दे की हाल ही में बिहार क्रिकेट संघ के साथ इलीट स्पोर्ट्स मैनजमेंट ने मिलकर बिहार क्रिकेट लीग की लॉन्चिंग कर दी। लेकिन बिहार क्रिकेट लीग पर एक और आयोजक ने अपना दावा ठोक रहा है। इसपर मुज़फ़्फ़रपुर डीसीए(उत्पल रंजन गुट ) के सचिव मनोज मनोज कुमार ने बताया है की बिहार क्रिकेट संघ के तत्वावधान में पहली बार आयोजित होने वाले बिहार क्रिकेट लीग के आयोजन पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब सवाल उठने लगे हैं!विवादों में फंस रहा यह आयोजन अब होगा कि नहीं इसमें भी संशय की स्थिति बन रही है। इस आयोजन पर दो पक्षों की दावेदारी हो गयी है। एक ने दो दिनों पूर्व अनुबंध किया है तो एक पक्ष डेढ़ सालों से अनुबंधित होने का स साक्ष्य दावा प्रस्तुत किया है।


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ऐसे में बीसीए सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है वह यह है कि तीन दिनों पूर्व जब अध्यक्ष खेमा बीसीएल के आयोजन को लेकर पटना में बैठक कर रहा था तब बिहार क्रिकेट संघ के एक कमिटी आॅफ मैनेजमेंट के एक अहम सदस्य ने युवा खेल फाउंडेशन के द्वारा बीसीए से बिहार क्रिकेट लीग को लेकर अनुबंध किए जाने का मामला उठाया था ।

सूत्र बताते हैं कि बीसीए सदस्य ने बैठक में यह भी जानकारी दी थी कि आयोजन मद में युवा खेल फाउंडेशन की ओर से बीसीए के खाते पर पैसा भी जमा है और उक्त संस्था की ओर से त्रिकोणीय श्रृंखला महिला टी ट्वेन्टी प्रतियोगिता के आयोजन में भी रचनात्मक सहयोग दिया था । ऐसे में यह आवश्यक बनता है कि बीसीएल के आयोजन को लेकर सर्वप्रथम युवा खेल फाउंडेशन को प्राथमिकता मिले अन्यथा ऐसे आयोजन में बेवजह विवाद खड़ा होने की आशंका है ।


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उक्त बैठक में तब बीसीए के कार्यकारी सचिव सह संयुक्त सचिव कुमार अरविंद,कथित सीईओ मनीष राज, कथित संयोजक बीसीएल ओमप्रकाश तिवारी, चेयरमैन सोना सिंह, बीसीए के महाप्रबंधक प्रोफेसर नीरज और एलिट ग्रुप के निशांत दयाल समेत कुल दो सदस्य भी शामिल थे । बताया जाता है कि बीसीए सदस्य द्वारा दी गयी जानकारी की अनदेखी करते हुए बैठक में उपस्थित बीसीए के जिम्मेदार पदाधिकारियों में एक ने बताया कि बीसीएल के आयोजन को लेकर सार्वजनिक स्तर पर निविदा निकाले गए थे ।


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जिसमें एलिट कंपनी के अलावे कुल दो आवेदन आए थे जिसमें एलिट समूह को आयोजन की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया गया है। पदाधिकारी ने बैठक में यह भी दावा किया था की एलिट कंपनी के आयोजक बनने संबंधी प्रस्ताव दस्तावेज अत्यधिक अनुकूल पाए गए जिस कारण सर्वसम्मति से उन्हें आयोजक बनाया गया। उक्त पदाधिकारी ने बैठक के दौरान युवा खेल फाउंडेशन से भी आयोजक बनने के संबंध में मोबाइल पर बात करने और संबंधित संस्था के द्वारा अनदेखी किए जाने की बात भी कहीं गई थी


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लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि यूवा खेल फाउंडेशन ने जब पहले से कागजी अनुबंध कर रखा था तो दोबारा आवेदक बनने का क्या मतलब था ? दूसरा बीसीए ने निविदा को किस माध्यम से सार्वजनिक किया था? बीसीए सूत्रों की माने तो निविदा वेबसाइट डाॅट काॅम पर प्रकाशित किया था जबकि बीसीए का अधिकारिक वेबसाइट डाॅट इन है।चाहे बीसीए के चुनाव हो अथवा बीसीसीआई से पत्राचार सभी डाॅट इन पर होते रहे हैं। वहीं यूवा खेल फाउंडेशन से करार भी डाॅट इन वेबसाइट पर ही हुआ था। ऐसे में या तो यूवा फाउंडेशन की उपेक्षा करने की नीयत से वेबसाइट में बदलाव किया गया था अन्यथा नये वेबसाइट पर जिसका बीसीए के अधिकारिक कार्यकलाप से लेना देना नहीं था, पर निविदा का प्रकाशन चहेता समूह को आयोजन सौंपने की साजिश थी?


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वैसे भी बीसीए से अलग और क्रिकेट से दूर रहने वाले लोगों को आयोजन समिति में जिम्मेदार पदों पर बगैर चुनाव बिठाने से भी दाल में काला वाली कहावत चरितार्थ होता दिख रहा है! बहरहाल बीसीएल का मामला अब विवादों से ऊपर न्यायालय की देहरी लांघने की कगार पर है । आने वाले दिनों में बीसीएल के आयोजक कौन होंगे अथवा यह आयोजन होगा कि नहीं इसका जबाब भविष्य के गर्भ में है !

लेकिन इतना स्पष्ट है कि बीसीए से पुराने अनुबंध और नई कार्यकारिणी के साथ अनुबंध की स्वीकारोक्ति पुष्ट कराने के बाद युवा खेल फाउंडेशन का दावा मजबूत दिखता है । अब देखना यह है कि बीसीएल किस करवट बैठता है और T20 मुकाबले का धमाल बिहार के किसी मैदान में होता है कि यह मुकाबला न्यायालय में परवान चढ़ता है।

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