मधुबनी में दरभंगा की टीम उतार बीसीए की मनमानी कठघरे में ।
जिला इकाई की सहमति के बगैर टीम खेली तो कैसे ?
किसने ? कब ? क्यों ? और कैसे ? किया टीम का चयन ! कोई जबाब तो देगा ।
खेलबिहार न्यूज़
पटना 11 दिसंबर: बिहार क्रिकेट संघ में खेमेबाजी के साथ मनमानी का एक और नया प्रमाण सामने आया जब अध्यक्ष खेमे की ओर से आयोजित अंतर जिला टी-20 प्रतियोगिता में दरभंगा जिला क्रिकेट संघ की टीम की प्रतिभागिता मैदान में सुनिश्चित होने का दावा किया गया । यहां सवाल यह उठता है कि अगर इस प्रतियोगिता में दरभंगा जिला की टीम भाग ले रही है तो किसके बूते ?यह सवाल एमडीसीए सचिव मनोज कुमार ने कही है।।
उन्होंने आगे कहा” क्या बिहार क्रिकेट संघ की ओर से इस आयोजन के लिए दरभंगा जिला क्रिकेट संघ को निमंत्रण दिया गया है ? अगर निमंत्रण नहीं दिया गया है तो क्यों ? और दरभंगा जिला क्रिकेट संघ के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई की गई है तो क्या उसे कार्रवाई के संदर्भ में आदेश अथवा निर्देश भरा पत्र दिया गया है ?
अगर उन्हें पत्र दिया गया है तो क्या दरभंगा जिला क्रिकेट संघ को निलंबित किया गया है ? अगर निलंबित किया गया है तो उनकी टीम इस प्रतियोगिता में कैसे खेल रही है ? क्या इसके लिए बिहार क्रिकेट संघ की ओर से कोई तदर्थ समिति का गठन किया गया है ? अगर कमिटी का गठन किया गया है तो क्या सार्वजनिक तौर पर दरभंगा जिला क्रिकेट संघ के प्रतिभावान बच्चों के बीच सार्वजनिक रूप से किसी ट्रायल का आयोजन किया गया ? अगर ट्रायल का आयोजन नहीं किया गया तो क्या बीसीए द्वारा गठित किसी चयन समिति ने टीम का चयन किया है ? अगर यह सब कार्रवाई नहीं हुई है तो यह मनमानी नहीं तो और क्या है ?
जबकि दरभंगा जिला क्रिकेट संघ बीसीए की वार्षिक आमसभा, विशेष आमसभा में हिस्सेदार रही, चुनाव में मतदान किया है और तो और पिछले दिनों बीसीए की ओर से उसके खाते में एक लाख रुपये भी हस्तांतरित किया गया है। बावजूद इसके यह कारसाज़ी जिला क्रिकेट को दबाने और मनमानी को हवा देने की कोशिश कही जायेगी। बिहार क्रिकेट संघ आए दिन विवादों से घिरती जा रही है ।
आये दिन किसी न किसी जिले में विवाद खड़ा कर समानांतर संगठन का गठन किया जाना अब बीसीए की नियति बन गई है। दरभंगा इस कड़ी में न तो पहला जिला है न अंतिम जिला होगा !यह बीसीए की ओर से कोई पहला कुकर्म है इससे पहले भी कटिहार ,पूर्णिया ,वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी समेत कई जिलों में विवाद खड़ा कर प्रतिभावान बच्चों को पसोपेश में डालने का काम किया जाता रहा है। बहरहाल इस मामले में जिस तरह से बीसीए कटघरे में है यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि बीसीए संविधान विहीन हो गया है।
इसमें मनमानी ही परम संविधान है । ऐसे में बिहार क्रिकेट संघ में क्रिकेट मैदान की जगह न्यायालय के कटघरे में चलेगा । संभव है इस मामले में भी कोई न्यायिक मामला उभर कर सामने आए । यह कहीं से भी बिहार क्रिकेट के भविष्य के लिए हितकारी तो नहीं होगा ।लेकिन यह भी सच है कि जब मनमानी हद से बढ़ जाए तो उसका विरोध करना भी लाजमी होता है । ऐसे में क्रिकेट को संवैधानिक दायरे में लाने और विवाद रहित बनाने के लिए निश्चय ही इस मामले को न्यायालय में ले जाना ही बेहतर विकल्प होगा ।