Home Bihar बीसीए सचिव की फिरकी पर क्लीन बोल्ड हुए बीसीए अध्यक्ष, केस लिया वापस।

बीसीए सचिव की फिरकी पर क्लीन बोल्ड हुए बीसीए अध्यक्ष, केस लिया वापस।

by Khelbihar.com

पटना। बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) में संविधान संशोधन को लेकर चल रही घमासान के बीच आज बीसीए सचिव अमित कुमार की फिरकी पर बीसीए अध्यक्ष क्लीन बोल्ड हो गए।

विदित है कि बीसीए के संविधान में संशोधन को लेकर संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में IA पिटीशन No.132771/2022 और 132773/2022 दायर किया गया था ।

ज्ञात हो कि बीसीए अध्यक्ष द्वारा इस याचिका के विरोध में बीसीए के नवनिर्वाचित सचिव अमित कुमार ने बीसीए के संविधान संशोधन प्रस्ताव का विरोध करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली थी और न्याय की गुहार लगाई थी। बीसीए सचिव अमित कुमार की याचिका में कहा गया था कि जिस दिन बीसीए के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संविधान संशोधन को लेकर पिटिशन मेंशन किया था।

उस दिन मैं एक निर्वाचित सचिव के पद पर कार्यरत हूं और बीसीए का संविधान में वर्णित है कि किसी भी न्यायालय में संघ के सचिव ही वाद के लिए अधिकृत हैं।

ऐसे में बीसीए अध्यक्ष द्वारा कोर्ट के समक्ष बीसीए के संविधान में संशोधन के लिए कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी। सचिव अमित कुमार द्वारा कुल 120 पेज के पिटीशन में कोर्ट के समक्ष विभिन्न तर्क देते हुए बीसीए के संविधान के संशोधन के प्रस्ताव को रद्द करते हुए 14.09.2022 के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार संविधान में संशोधन कराने हेतू समय की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश हीमा कोहली के बेंच में इस पर आज सुनवाई हो रही थी। इस पर आज बीसीए सचिव अमित कुमार की ओर से देश के जाने-माने सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं जिला संघों कि ओर से याचिकाकर्ता धर्मवीर पटवर्धन के अधिवक्ता अभिषेक एवं नीरज वत्स ने बहस में हिस्सा लिया।

सुनवाई के दौरान ही बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के वकील ने अपनी याचिका को वापस लेने का आग्रह किया जिसे माननीय न्यायधीशों ने बीसीए अध्यक्ष द्वारा याचिका वापस लेने की आग्रह को मान लिया।

इस मामले पर सचिव अमित कुमार व जिला संघों की ओर से याचिकाकर्ता धर्मवीर पटवर्धन ने संयुक्त रूप से कहा कि यह मेरी नहीं बिहार के जिला संघों के पदाधिकारियों और न्याय की जीत है। उन्होंने कहा कि हम सबों को न्यायालय पर पूरा भरोसा था।

बीसीए सचिव अमित कुमार ने आगे कहा कि जब तक मैं हूं बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में गैरसंवैधानिक कार्यों की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार जिन पदाधिकारियों को जो कार्य आवंटित है वही किया जाए तो संघ पूरी तरीके से संवैधानिक तरीके से चलेगी और बिहार में क्रिकेट का तेज गति से विकास होगा।

केस -मुकदमा के कारण बीसीसीआई से प्राप्त होनेवाला निर्धारित अनुदान करीब 29 करोड़ प्रति वर्ष तथा पूर्व का बकाया वर्ष 2018 से भी लम्बित है।जिला संघ तथा राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निर्धारित 100 करोड़ प्राप्त नही हो पा रहा हैऔर खिलाड़ियों को प्राप्त होने वाले राशि से कटौती किए गए जीएसटी और टीडीएस कि राशि से अवैध कार्य कर केस -मुकदमा में अधिवक्ताओं को अनाप- शनाप राशि का भुगतान किया जा रहा है।

जिला संघों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता धर्मवीर पटवर्धन ने कहा कि यह तो होना ही था। जब कानून से हट कर कोई भी व्यक्ति काम करेगा तो उसे पीछे हटना पड़ेगा। आगे कहा कि ऐसे भी गैर संवैधानिक कार्यों में बीसीए का समय बर्बाद आज तक होते आ रहा है और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का पैसा भी गलत चीजों में बर्बाद हो रहा।

क्योंकि पहले से बीसीए वित्तीय दिक्कतों से गुजर रहा है और केस- मुकदमा के कारण संघ की स्थिति आर्थिक रूप से और खराब हो रही है और बिहार के प्रतिभावान खिलाड़ियों का सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।उपरोक्त आशय की जानकारी बीसीए मीडिया कमेटी के संयोजक सह प्रवक्ता कृष्णा पटेल ने दी।

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