Home Bihar cricket association News, कटिहार जिला क्रिकेट संघ के सचिव रितेश कुमार ने सभी जिला क्रिकेट संघ से किया अपील,देखें।

कटिहार जिला क्रिकेट संघ के सचिव रितेश कुमार ने सभी जिला क्रिकेट संघ से किया अपील,देखें।

by Khelbihar.com
  • दर्जनों हुई नियुक्तियां, करोड़ो रूपये की हुई निकासी,  मगर ना तो खिलाडियों का INVOICE बीसीसीआई गया , और नहीं तो अब तक किसी खिलाडी को डी ए का भुगतान हुआ : रितेश कुमार

खेलबिहार न्यूज़

कटिहार 12 अगस्त: बिहार क्रिकेट संघ से सम्बन्धित कटिहार जिला क्रिकेट संघ के सचिव रितेश कुमार ने सभी जिलों के पदाधिकारियों से भावनात्मक अपील कर बिहार में क्रिकेट को बचाने की बात कही है। सचिव रितेश कुमार ने यह बातें प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही है।।


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रितेश कुमार का कहना है की  बीसीए में असंवैधानिक कार्यों की जिस तरह से बाढ़ लगती जा रही है, उससे बीसीए को कानूनी पचड़े की मार भविष्य में झेलने के लिए तैयार रहना होगा। बीसीए और जिला संघो  में  पदाधिकारी कौन रहेंगे, यह बाद की बात है, लेकिन आज यह सोंचने की जरूरत है कि क्या जो हो रहा है वो सही है? हम जिला संघो के वर्तमान और पूर्व के प्रतिनिधियों की कोई जिम्मेदारी नहीं है बनती है? 


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इसके लिए मैंने बीसीए सचिव संजय कुमार के चार महीने के कार्य काल और बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के छह महीने के कार्य काल का सूक्ष्म अध्ययन किया, उक्त अध्ययन के बाद जो मेरी समझ में आया उसे आप तमाम पूर्व और वर्तमान  के जिला संघो के पदाधिकारियों, बीसीए के पदाधिकारियों, बीसीए के दूर्दिन वाले  18 वर्षों के काल खंड में बीसीए के लिए अपना तन, और धन लगाने वाले क्रिकेट के शुभचिंतकों को समर्पित करता हूं। 


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29 सितम्बर 2019 को चुनाव हुआ , चुनाव के दौरान कई ऐसे मौके आए जब इस चुनाव पर रोक लगाया जा सकता था, जैसे कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर सुनवाई करना और फाइनल वोटर लिस्ट ठीक उससे अलग निकालना, चुनाव अधिकारी का संदेहास्पद तरीके से चुनाव प्रक्रिया को छोड़कर किसी खास व्यक्ति के दवाब में आकर त्याग पत्र देना आदि प्रमुख रहा। हम सब चाहते तो ऐसे कई आधार थे जिसके कारण चुनाव स्थगित किया जा सकता था। लेकिन हम सबों ने सोंचा कि बीसीए में एक बार चुनाव हो जाए,  बीसीए के प्रतिनिधि बीसीसीआई की आम सभा की बैठक में शामिल हों जाएं, ताकि बीसीए को बीसीसीआई से पूर्ण मान्यता प्राप्त हो और बिहार क्रिकेट तथा बिहार के क्रिकेटरों के सुनहरे दिन वापस लौटे। 


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लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, बिहार क्रिकेट और बिहार के क्रिकेटरों के दिन फिर से अंधकारमय होने की राह पर है। इसके लिए हम सबसे पहले 29 सितम्बर से 30 जनवरी जब सचिव के नेतृत्व में बीसीए का संचालन हुआ उस पर नजर डालते हैं:पहले बीसीए के पास पैसे नहीं थे, लेकिन जब पैसा हुआ तो उस पैसे का मानद  सचिव और सुप्रतिष्ठित अध्यक्ष महोदय के द्वारा कैसे उपयोग किया गया या किया जा रहा है,


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 एक नजर:
सचिव महोदय के द्वारा बीसीसीआई से प्राप्त राशि का उपयोग खिलाड़ियों को कैंप में अच्छा खाना, नास्ता  उनके रहने के लिए बढ़िया होटल , बढ़िया ड्रेस और बीसीए के खिलाड़ियों को पहली बार किट बैग तक दिया गया।

मैच के दौरान  खिलाड़ियों के आवासन के लिए अच्छे होटल की व्यवस्था की गई, मुझे तो यह भी जानकारी मिली है कि बाहर में मैच खेलने गई टीमों के मैनेजरों और अन्य सहयोगी स्टाफ़ को खर्च के लिए पैसे घट जाने पर, सचिव संजय कुमार के द्वारा व्यक्तिगत तौर पर राशि उपलब्ध करवाई गई, मुझे तो यह भी जानकारी मिली है कि मोईनुल हक स्टेडियम में कार्यरत बीसीए के क्यूरेटर देवी और उसके ग्रुप के लगभग 10 स्टाफ़ को सचिव संजय कुमार के द्वारा लगातार राशि मुहैया कराई गई, ताकि वो लोग काम कर सके। यही कारण रहा होगा कि पानी में डूब चुका मोईनुल हक स्टेडियम रणजी ट्रॉफी मैच की मेजबानी के लिए तैयार हो पाया। हां जब देवी और उनके ग्रुप को प्रकिया के बाद वेतन भुगतान हुआ तो, संभवतः सचिव महोदय के द्वारा दी गयी राशि की वापसी भी हुईं होगी। 


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ऐसे कई सकारात्मक कार्य बीसीए सचिव के द्वारा किये गये। सचिव ने नेतृत्व में बिहार में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मैचों का सफलतम  आयोजन पटना के उर्जा स्टेडियम में हुआ, जिसकी गूंज बीसीसीआई तक पहुंची और बिहार क्रिकेट सफलता की उतकर्ष की ओर जाता दिखने लगा। 
यह था सचिव महोदय के द्वारा  बीसीसीआई से प्राप्त राशि से  किए गये कुछ प्रमुख कार्य और उसके परिणाम। 


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अब हम अध्यक्ष महोदय के द्वारा 31 जनवरी 2020  से अब तक आदरणीय अध्यक्ष महोदय के नेतृत्व में चल रहे बीसीए में होने वाले खर्च और उसके परिणाम पर नजर डालते हैं। वैसे बीसीसीआई के लिए किए जाने वाले सभी कार्य सचिव महोदय के द्वारा हीं किए जा रहे हैं, लेकिन बीसीसीआई से प्राप्त राशि पर वर्तमान में अध्यक्ष महोदय का कब्जा है, और सारे पैसे उनके आदेश या दिशा निर्देश पर हीं खर्च किए जा रहे हैं।


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एक नजर:
एक कहावत है कि 
“प्रथमे ग्रासे, मत्छिका पातः”
यानी “पहले ही निवाले में मख्खी का निकलना “
यह पूरी तरह चरितार्थ होती है अध्यक्ष महोदय के नेतृत्व में प्रारंभ हुए कार्य में।

बिहार की बेटियां क्रिकेट बीसीसीआई के  मैचों में भाग लेने के लिए कडप्पा गयी थी, यहां आवासन का इंतजाम अध्यक्ष महोदय के नेतृत्व में किया गया था। 
परिणाम आप सबों को मालूम है, हमारी बेटियों को शराबीयों वाले होटल में सीढियों पर रात गुजारनी पड़ी।इसके बाद अध्यक्ष महोदय के द्वारा बीसीए में लगभग एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की गई, उच्च न्यायालय से रोक लगाए जाने के बावजूद लोकपाल महोदया को नौ लाख रुपये का भुगतान दवाब देकर करवाना, बीसीए के कार्यालय पर बेतहाशा खर्च करना सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह कि बीसीए के लिए एक रेस्ट हाउस किराया पर लेना उस पर राशि खर्च करना. सवाल उठता है कि रेस्ट हाउस क्यों और किसलिए ?


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अब तक जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके मुताबिक उस रेस्ट हाउस में अध्यक्ष महोदय के खास और उनके चुनाव प्रभारी रहे नीरज राठौड़ विगत कई माह से रह रहे थे, वैसे अब नीरज राठौड़ जी को महाप्रबंधक (प्रशासन) भी कहा जा रहा है, (मगर अब तक उसकी कोई आधिकाधिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है). जो मुख्य बात है है वो यह की कोरोना काल में रेस्ट हाउस किसके लिए और क्यों ? क्या बीसीसीआई के पैसे की यह बरबादी और अपने लोगों को उपकृत करने का स्पष्ट प्रमाण नहीं है ?


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जिलो के मामलों मे  असंवैधानिक तरीके से ख़ुद जज बनकर फैसला देना, जिन जिलों का मामला माननीय लोकपाल महोदय के यहाँ लंबित है उस मामले मे हस्तक्षेप करना कुछ जिलो मे जहां कोई विबाद नही था और उन जिलो मे संबैधानिक तरीके से चुने हुए पदाधिकारी क्रिकेट की हित मे काम कर रहे थे उन जिलो को भी अपनी तुगलकी फरमान से विवादित  बना देना। 25/05/2019 के AGM मे हाउस से पास बजट के विरुद्ध जाकर मनमानी तरीके से पदाधिकारियों के वेतन का निर्धारण करना . जो लोग एक समानांतर BCA बना कर BCA के विरुद्ध काम कर रहे थे उनको BCA लीगल कमेटी  जैसे जबाबदेह जगह पर अपनी फायदे के लिए बैठाना कहां तक संबैधानिक है ?


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संविधान के विरुद्ध जाकर 5 जोन की जगह 8 जोन का निर्माण कर जिलो के पदाधिकारियों जोनल कमिटि मे डालना, क्या यह लोढा कमिटि के अनुसंशा के विरुद्ध नही है। जब एक व्यक्ति एक पद का नियम है तो जिलो के सचिव या अध्यक्ष जोनल कमिटि मे कैसे रह सकते है ? खुद तो विवादित हैं हीं , जिला संघो के योग्य सदस्यों को भी विवादित करने के लिए एक व्यक्ति दो पद पर दाल रहे हैं.  इन सभी असंवैधानिक कार्यों के बाद भी 31 जनवरी 2020 से अब तक इन दर्जनों नियुक्तियों से परिणाम को समझना भी आवश्यक है।

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन क्रिकेटरों के हित के लिए है, मगर अब तक बीते वर्ष बीसीसीआई के मैचों में भाग लेने वाले किसी भी खिलाडी का INVOICE भुगतान के लिए बीसीसीआई नहीं भेजा जा सका है, किसी भी खिलाडी को अब तक डी ए का भुगतान नहीं किया गया है. जबकि भुगतान हो रहे हैं, लगातार हो रहे है,  और होते भी रहेंगे, जब तक पैसा है।

यानी यह तय हो गया की बीसीए के अध्यक्ष अपने नेतृत्व में खिलाडी का नहीं वरन अपने लोगों का भला करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
हम सभी जिलों और बीसीए  के कार्य समिति के वर्तमान और भूतपूर्व सदस्यों से विनम्र आग्रह करते हैं की इस व्यवस्था को साथ देने से बचिए, विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, तो समर्थन मत कीजिए। आपका बीसीए गुलामी के कगार पर खड़ा है. आज सुपौल के सचिव और बीसीए के पूर्व सचिव को छह वर्ष के लिए निष्कासित किया गया है, वैसे उनके इस कारवाई का कोई वैधानिक आधार नहीं है।

सभी सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है की अपने आप को पहचानिए, इस ब्लेकमेल के खिलाफ आगे आइए, वर्ना इस पोस्ट को सहेज लीजिए, और जब आप के ऊपर कारवाई होगी तो एक बार इस पोस्ट को पढ़ लीजियेगा. और अंत में एक बात , खुद से तर्क कीजिए की क्या एक निर्वाचित सचिव के साथ  इस तरह का व्यवहार सही है / आप चुप है और  समर्थन कर रहे हैं , तो क्या आपके मन पर इस समर्थन का  बोझ नहीं पड़ रहा है।सोचिये और जिस दिन आपका अंतर्मन भी इस असंवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ हो जाए , तो इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलन्द कीजिए, अपने BCA को बचाइए। 
 

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