खेलबिहार न्यूज़
पटना 1 सितंबर: बिहार क्रिकेट की हालात ऐसी बन गयी है कि एक बार फिर अंधकार में जाने को तैयार है,आपको मालूम हो कि बिहार में क्रिकेट 18 साल बाद लौटा खिलाड़ी फिर से अपने क्रिकेट कैरियर पर ध्यान देने लगे थे तभी न्यूज़-18 के स्ट्रिंग ऑपरेशन से बीहर क्रिकेट में पैसे के खेल की कहानी सामने आ गई।
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इसके बाद कई खिलाड़ियों के मन मे ये बैठ गया था कि बिहार में क्रिकेट के लिए पैसे की जरूरत होती है,और कई खिलाड़ियों ने सन्यास तक लिया इसमें कुछ रणजी खिलाड़ी भी रहे है।
अब एक बार फिर बीसीए में दो गुट हो चुका है अध्यक्ष गुट और सचिव गुट। इन दिनों बिहार क्रिकेट में एक नई चीज ट्रेंड कर रही है वह है “निलंबित” करने का । जी हां कभी अध्यक्ष गुट सचिव को तथा जिलों के पदाधिकारियों को निलबिंत कर रहे है तो दूसरी ओर सचिव गुट अध्यक्ष व संयुक्त सचिव को निलंबित कर रहे है।
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और इसकी शिकायत थोक भर के ईमेल बीसीसीआई को किया जा रहा है लेकिन बीसीसीआई भी इस मे दख़ल नही दे रही है इससे साफ असर बिहार के क्रिकेट खिलाड़ियों पर पड़ेगा क्योंकि आगे अगर ऐसा ही चलता रहा तो सचिव गुट अलग खिलाड़ियों की लिस्ट बनाएंगे और अध्यक्ष गुट अलग? और कहा जाता है कि बच्चे इस राजनीति में न पड़े सिर्फ खेल पर ध्यान दे?
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लेकिन कैसे दे बच्चे सिर्फ अपने खेल पर ध्यान ?
जब दो गुट रहेंगे तो निश्चित ही बोर्ड मैच खेलने के लिए बीसीए की दो टीम चुनी जाएगी एक जो सचिव गुट चुनेगी दूसरी अध्यक्ष गुट अब ऐसे बोला जाएगा कि अगर खिलाड़ी अध्यक्ष गुट से खेला तो सचिव गुट उसे बैन कर देगा और अध्यक्ष गुट बोलेगा अगर सचिव गुट से खेला तो उसे बैन कर दिया जाएगा?अब कैसे कहा जाए कि खिलाडी खेल पर ध्यान दे राजनीति में नही?
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दूसरी ओर बिहार सहित कई छोटे-बड़े राज्यों को भी क्रिकेट की मान्यता मिली और सभी राज्य अगले सीजन की तैयरी शुरू करने के लिए तैयार है? मैदान में कैम्प लगाने की योजना भी बना चुकी है कोच की नियुक्ति कर दी गई है लेकिन बिहार में ऐसा नही बिहार का क्रिकेट तो कोर्ट और पुलिस के बीच ही खेला जा रहा है?
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न तो बिहार में कोई ग्राउंड है जहाँ बीसीए कैम्प लगाए क्योंकि बिहार का एक मात्र नाम का क्रिकेट स्टेडियम मोइनुल हक़ स्टेडियम जंगलों से भरा पड़ा है और ऐसे में तो उसमें कैम्प लगाया जा नही सकता है? नही कोई गुट ने खिलाड़ियों के कैम्प लगाने और तैयारियों के लिए कुछ सोचा है?
एक बार फिर बिहार टीम छोटे-छोटे राज्य के टीमो से हारेगी और फिर कहा जायेगा बिहार अच्छा खेलती नही है , खिलाड़ियों पर ही सवाल की इस खिलाड़ी को मौका क्यो नही दिया जाता?या यही खिलाड़ी हर साल टीम में क्यो रहता है?
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सवाल होना चाहिए क्रिकेट सुविधा को लेकर जिस खिलाडी पर आप सवाल उठता है उसे क्या बिहार क्रिकेट अन्य राज्यों जैसे क्रिकेट सुविधा उपलब्ध करबाती है?नही, क्यों बिहार में कितने ऐसे जिले है जहाँ टर्फ विकेट है जबकि अन्य राज्यों में लीग मैच या अपना घरेलू मैच खिलाडी टर्फ विकेट पर खेलते है ?
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पर बिहार क्रिकेट की बात करें तो जो बिहार की सबसे बड़ी टूर्नामेंट जिसे खेल कर खिलाड़ियों का चयन रणजी जैसे टीमों के लिए लिया जाता है वह भी हेमन ट्रॉफी की मैच मैट पर खेलती है और रणजी ट्रॉफी के मैच खेलने टर्फ विकेट पर जाती है ? अब बताया जाये कि उस खिलाड़ी की जो आदत टर्फ के लिए बनी ही नही है वह कैसे परफॉर्मेंस करेगा? इतने सालों में बीसीए के पास अपना खुद का स्टेडियम नही है, नही तो कोई अपना एकेडमी अभी तक खुला है। हा कई बार इसकी घोषणा जरूर हुई है कि बीसीए का अपना मैदान बनाया जाएगा अपना एकेडमी खोला जाएगा पर सिर्फ बयान देने तक ही सीमित रहा है।
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कई क्रिकेट जानकारों का कहा है कि इस हो रहे बीसीए राजनीति को बीसीसीआई को आगे आकर देखना चाहिए या तो बीसीए लीगल टीम भेज कर इस विवादों की जांच करा उचित फैसला कर बीसीए उसको दे दिया जाए जो सही है या तो बीसीए को बीसीसीआई खुद एडहॉक कमिटी द्वारा तत्काल चलाया जाए अगर ऐसा नही हो पाता है तो निश्चित बिहार क्रिकेट को फिर से अंधकार में जाना होगा?