खेलबिहार न्यूज़
पटना 31मई: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन कि आपसी विवाद की ख़बरे तो खेलबिहार न्यूज़ के माध्यम से आपलोग पढ़ ही और जान ही रहे है आपको बता दे कि कई लोगो ने फेसबुक सोसल मीडया पर बीसीए सचिव पर लिए गए निर्णय को अध्यक्ष कि मनमानी बता रहे है तो कई लोग अध्यक्ष के निर्णय का स्वागत करते दिख रहे है।।
खेलबिहार. कॉम फेसबुक पेज पर न्यूज़ जब बीसीए सचिव के प्रवक्ता राशिद रौशन के द्वारा जारी बयान जिसमे कहा था कि बीसीए अध्यक्ष पर दर्ज हो सकती है प्राथमिकता इस ख़बर को चलाया गया तो कई लोगो ने कमेंट किया लेकिन एक यूजर ने अध्यक्ष को लेकर बहुत बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि अध्यक्ष कैसे तानाशाही बने है।।यह कमेंट कोई और नही सुपौल जिला क्रिकेट संघ के सचिव शशिभूषण सिंह ने किया है।
कॉमेंट में लिखा है” राशीद बाबु आप हमलोगों को बेवकुफ और साफ अंगूठा छाप तो नहीं समझते हैं?जो व्यक्ति गलत कागजात, गलत शपथ-पत्र, बीसीए संविधान को रौंदते हुए एक वित्तीय वर्ष में दो-दो एजीएम कराते हुए, दो वजट पास करवा लेते हैं, कोम के और जिन्होंने इनको बीसीए का अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया उनको बोलने के लिए सैकड़ों बार सोचना पड़ता है।
लोकपाल को एक लाख पच्चीस हजार के बदले तीन लाख महिना भुगतान करा दिया। निर्वाचित सचिव साफे बीसीए बाहर कर दिया। जिस राकेश तिवारी जी को देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, बीसीसीआई के सचिव महोदय आशीर्वाद प्राप्त और राज्य डीजिपी साहब भी सामने आने पर गिरगिराने लगते हों तो भैया इनके ऊपर कौन माई लाल पैदा ले कि मुकदमा दर्ज कराने सामने आऐगा। खैर आपने लिखने का हिम्मत किया है आपका आभार।
शशिभूषण सिंह ने इससे पहले भी बीसीए अध्यक्ष के कामकाज को लेकर सवाल उठाए थे जिसमें अध्यक्ष महोदय द्वारा बैंक से गलत निकाशी व भुकतान को लेकर बताया था । इस लिंक से पढ़ सकते है:-https://khelbihar.com/supaul-district-cricket-association-secretary-shashi-bhushan-singh-write-a-letter-to-bca-president-rakesh-tiwari-ask-about/
सवाल यह नही है कि कमेंट में किया लिखा है ,सवाल यह है कि अगर शशिभूषण सिंह सही कह रहे है कि अध्यक्ष महोदय गलत कागजात, गलत शपथ-पत्र,देकर बीसीए संविधान को रौंदते हुए एक वित्तीय वर्ष में दो-दो एजीएम कराते हुए, दो वजट पास करवा लेते हैं,तो अभी तक इसकी जाँच क्यो नही करबाने कि मांग उठी? या उठी तो दब क्यो गई या दबा दिया गया ।।
क्या अध्यक्ष महोदय न्यायालय से भी बड़े है? अगर यह सही है तो क्यो नही इसकी जाँच कि मांग किया गया अभी तक?