Home Bihar बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह और खेल प्रतिनिधि अमिकर के कार्यकाल की वैधता को चुनौती

बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह और खेल प्रतिनिधि अमिकर के कार्यकाल की वैधता को चुनौती

by Khelbihar.com
  • बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप और खेल प्रतिनिधि अमिकर के कार्यकाल की वैधता को चुनौती
  • मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज ने लोकपाल के न्यायालय में दरबाजा खटखटाया

पटना : माननीय लोकपाल के द्वारा बिहार क्रिकेट संघ के जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह को अपदस्थ किये जाने के बाद बनी विकट हालात से अभी कमेटी उबर भी नहीं सकी थी कि कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष कार्यकाल भी विवादों के घेरे में आ गया है ।

इस मामले में मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के पूर्व संयुक्त सचिव व वर्तमान सचिव मनोज कुमार ने लोकपाल के न्यायालय में मुकदमा दायर कर बीसीए के मौजूदा उपाध्यक्ष दिलीप सिंह और खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकरदयाल के अवैध रूप से कमेटी में बने रहने को चुनौती दी है।

श्री कुमार ने अधिवक्ता सुमित कुमार के माध्यम से लोकपाल महोदय को बताया है कि बीसीए के मौजूदा उपाध्यक्ष दिलीप सिंह ने अपने निर्वाचन के दौरान निर्वाचित पदाधिकारी को सुपुर्द किए गये प्रपत्र में शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि वे 2008 से 2013 तक कैमूर जिला संघ के सचिव और 18 फरवरी 2016 से लेकर सितंबर 2019 तक जिला संघ के अध्यक्ष पद पर आसीन थे ।

यहां उल्लेखनीय है कि 29 सितंबर 2019 को संपन्न हुए बिहार क्रिकेट संघ के चुनाव में दिलीप सिंह उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए तब से लेकर अब तक पद आसीन हैं जबकि माननीय लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप उन्हें यह पद 18 फरवरी 2022 को छोड़ देना था । क्योंकि लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुरूप दिलीप सिंह ने अपना लगातार छह साल पद पर आसीन बने रहने की वैधता पूर्ण कर ली थी ।

प्रस्ताव के अनुरूप उन्हें या तो कूलिंग पीरियड में जाना चाहिए था अन्यथा नौ साल पद पर रहने के कारण उन्हें बीसीए के किसी भी चुनाव से अलग हो जाने की विवसता माननी चाहिए थी। बावजूद इसके पद पर बने रहकर दिलीप सिंह या तो कार्यकारिणी को धोखा दे रहे हैं या नियम की अवहेलना कर एन केन प्रकारेण कमेटी में बने हुए हैं ।

दूसरी ओर खिलाड़ी प्रतिनिधि अमिकर दयाल की कार्य अवधि भी सवालिया घेरे में है क्योंकि बिहार क्रिकेट संघ के पूर्व कार्यकारिणी जो कि गोपाल बोहरा की अध्यक्षता में गठित थी उसमें अमिकर दयाल 2017 में खिलाड़ी प्रतिनिधि मनोनीत किए गए थे । तब के बाद से वह आज तक इस पद पर आसीन है और अनैतिक तरीके से बीसीए के विभिन्न क्रियाकलापों में सहभागी बन रहे हैं। जबकि उनका कार्यकाल संविधान के रूल संख्या 17 (6) के अनुसार 2020 में ही खत्म हो जाना चाहिए था।

बरहाल इस मामले में माननीय लोकपाल के न्यायालय में स्पष्ट हो सकेगा की बीसीए में बतौर पदाधिकारी योगदान दे रहे इन दोनों पदाधिकारियों का कार्यकाल समाप्त है या लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के विपरीत दोनों पदाधिकारी कमेटी में बने रहेंगे। न्यायालय ने मामले को विचार के लिए स्वीकृत कर लिया है तो यह भरोसा भी बनता है की फैसला दूध का दूध पानी का पानी होगा।

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