Home Bihar संविधान संशोधन के मामले में बीसीए का खुलेगा झूठ का पिटारा या संविधान होगा मान्य

संविधान संशोधन के मामले में बीसीए का खुलेगा झूठ का पिटारा या संविधान होगा मान्य

by Khelbihar.com
  • संविधान संशोधन के मामले में जल्द ही खुल सकता है बीसीए के झूठ का पिटारा
  • अहम् सवाल ! आईजी रजिस्ट्रेशन विभाग को प्रस्तुत संविधान मान्य होगा या सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत हलफनामा :-  स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार ✍️

पटना : बिहार क्रिकेट संघ के संविधान में संशोधन को लेकर चल रहा विवाद चरम पर है । एक ओर अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी ने हलफनामा दायर कर सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि उनके द्वारा संविधान में किसी तरह का संशोधन नहीं किया गया है।जो चुनाव संपन्न कराए जा रहे हैं वह पिछले संविधान के आलोक में ही हो रहा है।

दूसरी ओर अध्यक्ष श्री तिवारी के द्वारा आईजी रजिस्ट्रेशन में संशोधित संविधान के आधार पर बिहार क्रिकेट संघ का पंजीयन कराया गया है। ऐसे में बीसीए संविधान संशोधन के मामले पर जब पुनः सर्वोच्च न्यायालय में अनुमोदन याचिका लेकर गई है तो यह कहने में गुरेज नहीं है कि संविधान संशोधन के मामले पर बिहार क्रिकेट संघ आगे पहाड़ पीछे खाई की कहावत को चरितार्थ करने की राह अग्रसर है।

क्योंकि अगर संविधान में संशोधन नहीं है तो आईजी रजिस्ट्रेशन में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत संविधान की कॉपी पुराने स्वरूप में ही होगी ? अन्यथा यह सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना का विषय बन सकता है। दूसरी ओर आईजी रजिस्ट्रेशन विभाग भी सर्वोच्च न्यायालय में बीसीए अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के आलोक में संविधान संशोधन को धोखाधड़ी का मामला मानते हुए बीसीए का निबंधन रद्द कर सकती है।

क्योंकि वह पहले ही शिकायत के आलोक में निबंधन रद्द करने संबंधित टिप्पणी कर चुकी है जो संस्था के लिए निश्चय ही संकट का कारण बन सकता है। यहां यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि बिहार क्रिकेट संघ की ओर से भेजे गए संशोधित संविधान पर बीसीसीआई की ओर से आपत्ति दर्ज कराई जा चुकी है और स्पष्ट किया गया है कि बीसीए का संविधान पूर्व में ही बीसीसीआई और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित होकर मान्य है।

वहीं इस मामले में बिहार क्रिकेट संघ से पंजीकृत मधुबनी ,अरवल समेत कई जिले खगरिया जिला क्रिकेट संघ के निवर्तमान अध्यक्ष सह विधायक जदयू ई संजीव के नेतृत्व में आईजी रजिस्ट्रेशन विभाग का दरवाजा खटखटा चुके हैं। यह मामला फिलहाल विचाराधीन है ।

जैसे ही इस मामले में विभागीय स्तर पर छानबीन होती है निश्चय ही झूठ का पिटारा खुलने की आशंका है । ऐसे में दशकों बाद अस्तित्व में आई बिहार क्रिकेट संघ फिर से एक नई मुसीबत के बीच खड़ी हो सकती है जो कहीं से भी बिहार क्रिकेट संघ और क्रिकेटरों के लिए उचित नहीं होगा !

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