Home Bihar किट्टी पार्टी को कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक का नाम देकर दिग्भ्रमित करने का प्रयास :- कृष्णा पटेल

किट्टी पार्टी को कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक का नाम देकर दिग्भ्रमित करने का प्रयास :- कृष्णा पटेल

by Khelbihar.com

पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन मीडिया कमेटी के चेयरमैन कृष्णा पटेल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बीते दिनों 1 अप्रैल को पटना में एक निजी आवास पर हुई किट्टी पार्टी को अब लोग कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक का नाम देकर जिला संघों, खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों को दिग्भ्रमित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं।

विदित है कि 4 फरवरी 2023 को नालंदा में हुई विशेष आम सभा की बैठक में सदन द्वारा बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के कार्य पर रोक लगाया जा चुका है और टूर्नामेंट कमेटी के पूर्व चेयरमैन संजय सिंह के नेतृत्व में एक जांच कमेटी भी गठित की गई है जो इनके कार्यकाल में मिल रही विभिन्न प्रकार की शिकायतों, चयन प्रक्रिया में धांधली, तरह-तरह के ऑडियो-वीडियो और किए जा रहे अनैतिक व कार्यों की जांच कर रही है।

जबकि इससे पहले हीं बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी, महिला खिलाड़ी प्रतिनिधि लवली राज, पुरुष खिलाड़ी प्रतिनिधि विकास कुमार पर याचिकाकर्ता अरवल सचिव योशिता पटवर्धन द्वारा दर्ज कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के मामलों बीसीए के निवर्तमान नैतिक पदाधिकारी सह लोकपाल राघवेंद्र प्रताप सिंह ने सुनवाई करते हुए इन चारों के कार्य पर रोक लगाते हुए बीसीए के किसी प्रकार की गतिविधियों में शामिल होने पर पाबंदी लगा रखी है।
ऐसी स्थिति में कोरम के अभाव में बीसीए कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक संभव नहीं है बल्कि महज एक किट्टी पार्टी कर आप खुश हो सकते हैं।

क्योंकि इसी प्रकार के कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के मामले में पूर्व सचिव संजय कुमार मंटू पर कार्रवाई हुई थी और विभिन्न प्रकार के शिकायतों व असंवैधानिक कार्यों के लिए जो जांच कमेटी बनी थी उस जांच कमेटी के भी चेयरमैन संजय सिंह को हीं बनाया गया था जिनके द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद पूर्व सचिव संजय कुमार मंटू को कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट और असंवैधानिक कार्यों में दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया गया था। इसी डर के कारण भय से व्याकुल हो कार्य पर रोक बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी जिनके ऊपर विभिन्न प्रकार के अनैतिक कार्यों व थाने में दर्ज मामलों की जांच चल रही है तो आनन-फानन में फर्जी कागजात संग्रह करने में जुटे हुए हैं और भोले- भाले बीसीए के गिने- चुने पदाधिकारी को भी अपने असंवैधानिक कार्यों का सहभागी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं साथ हीं साथ लोगों को दिग्भ्रमित कर थाने में दर्ज निजी मामलों को बीसीए का मामला बताते फिर रहें हैं ताकि बीसीए के पैसे से हीं इस मामले का निपटारा कराया जा सके।

मैं पूछना चाहता हूं कि कनफ्लिक्ट्स ऑफ इंटरेस्ट के मामले के लिए जो नियम और संविधान पूर्व सचिव पर लागू हुआ था आज उस नियम और संविधान में ऐसा क्या संशोधन हो गया की बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, संयुक्त सचिव प्रिया कुमारी, लवली राज और विकास कुमार पर जो सीधा-सीधा कनफ्लिक्ट्स ऑफ इंटरेस्ट में हैं उन पर लागू नहीं हो रहा है ? इससे बड़ा असंवैधानिक कार्य और क्या हो सकता है।

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