Home बिहार क्रिकेट मधेपुरा जिले में जिला क्रिकेट संघ को लेकर असमंजस में खिलाड़ी,

मधेपुरा जिले में जिला क्रिकेट संघ को लेकर असमंजस में खिलाड़ी,

by Khelbihar.com

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Madhepura::मधेपुरा जिला क्रिकेट संघ विवादास्पद स्थिति में -ज्ञात हो कि हाल ही में सम्पन्न हुए बीसीए के चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने हेतु मधेपुरा जिला से उन पांच सदस्यीय कमिटी को ही मान्यता मिली जो 2017 से पहले जिले में कार्यरत थी। बीसीसीआई द्वारा बिहार के लिए नियुक्त पैनल के निर्देशानुसार 2017 के बाद के बिहार में बने किसी भी जिला संघ को वोटिंग के लिए मान्यता नहीं दी गई,

इसी वजह से मधेपुरा जिला क्रिकेट संघ में असमंजस की स्थिति बरकार है। यहां भी 2018 में चुनाव कराया गया लेकिन लोढ़ा कमिटी के मापदंडों को इस चुनाव में लागू नहीं किया गया। यहाँ भी अब नए और पुराने कमिटियों के बीच संघ चलाने के अपने-अपने दावे पेश होने की सुगबुगाहट होने लगी। नए या पुराने कमिटी जिसे भी यहां मान्यता मिले फिर भी कम से कम जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष की सीटें तो अवश्य खाली हो जाएगी और इसपर दुबारा चुनाव होने की पूर्ण संभावना होगी

क्योंकि इन दोनों पद पर आसीन पदाधिकारी लगातार 1994 यानी लगभग पचीस (25) वर्षों से यहां बने हुए हैं जो अब नियम विरुद्ध है। ज्ञात हो कि बीसीसीआई में अब लोढ़ा कमिटी की रिपोर्ट पर ही चुनाव हो रही है जिसे सुप्रीमकोर्ट द्वारा लागू करवाया गया है। इसके ही तहत प्रावधान है कि जो लोग कुल नौ (9) वर्षों तक या लगातार छ (6) वर्षों तक क्रिकेट संघ में किसी पद पर रह गए हैं वो आगे नहीं बने रह सकते हैं।

हालांकि 6 वर्षो वालों के लिए तीन वर्षों का कूलिंग पीरियड होगा ततपश्चात पुनः तीन साल के लिए पद पर आसीन हो सकते हैं मगर 9 वर्ष से अधिक नहीं। और इसी नियम के अनुसार मधेपुरा जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा आ गया है। इन दोनों पदों पर एक तलवार और लटक गई है। नियमतः संघ के किसी भी स्तर के चुनाव में खड़े होने के लिए संघ के किसी ना किसी रजिस्ट्रड क्लब का पदाधिकारी होना अनिवार्य होता है।

ये दोनों पदाधिकारी किसी भी जिला क्रिकेट क्लब के पदाधिकारी पोस्ट को होल्ड नहीं कर रहे हैं। इन सब के बावजूद अभी तक नए कमिटी को जिले में कार्यकलाप करने की अनुमति नहीं दी गई है और ना कोई स्पष्ट निर्देश। यहां तक कि नए चुनाव ( 2018) बिना किसी अपर लेवल के चुनाव प्रभारी के ही करा दिया गया जो मान्य नहीं हो सकता है। जबकि पुराने कमिटी के सदस्यों को वोटिंग राइट भी दिया गया और बिहार क्रिकेट के नोटिस बोर्ड पर नाम भी इंगित किया गया।

अब यहाँ क्या होगा इस पर संशय बरकरार है, दोनों पक्ष अपने अपने लिए दावे पेश कर रहा है। हालांकि कमोबेश बिहार के लगभग सभी जिलों में ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। देखने की बात होगी कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की नव-निर्वाचित कमिटी इस उलझन पर क्या फैसला लेती है और कबतक लेती है !

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