खेलबिहार न्यूज़
पटना 28 मई: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को लेकर बिहार क्रिकेट जगत में एक बार फिर एक दूसरे पर आरोप लगते दिख रहे है ओहि बीसीए सचिव संजय कुमार के नाम से ईमेल या व्हाट्सअप मैसेज सोसल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमे उन्होंने साफ लिखा है कि उनके कार्य को जान बूझ कर रोका गया है।।
वायरल मैसेज में यह भी लिखा है सचिव पर लगे आरोप को देखना व फैसला करना बीसीए के इथिक ऑफिसर का हक़ है न कि कोई जाँच कमिटी कि,बीसीए के पूर्व सचिव अजय शर्मा के सस्पेंशन को बीसीए लोकपाल ने 90 दिनों के अंदर खुद ख़ारिज कर दिया इस हक़ से सचिव पर लगे आरोप को भी 90 दिनों से ऊपर हो गए है और यह उनका हक बनता है कि वह अपना कार्य करे।
वायरल मैसेज में लिखा है” पाँच सदस्यों कि टीम के हर ईमेल का मैने जबाब दिया है जबकि मुझ पर लगे आरोप कि मुझे आरोप पत्र देना था लेकिन आजतक मुझे नही मिला। नही जाँच कमिटी ने 90 दिनों में अपनी रिपोर्ट दी लेकिन कही से पता चला कि जाँच कमिटी ने अंतरिम रिपार्ट दी है जिसमे मुझे कंफिलिट ऑफ इंटरेस्ट में दोषी पाया गया है।
बीसीए संविधान 45(7) का उल्लेख भी करते हुए बताया गया है कि 90 दिनों के बाद लेग आरोप खारिज होते हि मैं अपना कार्य कर सकता हूँ।
इसमे बीसीए के लोकपाल कि उदाहरण को समझाते हुए बताया है कि कैसे लोकपाल महोदया को विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश है जिसमें उनको किसी भी मामले में आदेश पारित करने पर रोक लगा दिया गया है यानी कि उनके कार्यों पर रोक लगा दिया गया है क्योंकि लोकपाल का कार्य आदेश पारित करना है | माननीय उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश दिनांक 6 मार्च 2020 को आया था और तब से अभी तक माननीय लोकपाल महोदया के द्वारा 3 – 4 आदेश पारित किया गया है जिसके द्वारा लंबित मामलों पर अगली तिथि निर्धारित की गई है | अब प्रश्न उठता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया ? उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वह आज भी अध्यक्ष के द्वारा नियुक्त लोकपाल हैं | उसी तरह मैं भी आज के तारीख में निर्विरोध सचिव हूं और सभी बैठकों में हिस्सा लेने का अधिकार रखता हूं |
खेलबिहार को मिली वायरल ईमेल कि व्हाट्सएप मैसेज इस प्रकार से है खुद भी पढ़े और समझे कैसे बीसीए सचिव के खिलाफ हो रही है राजनीति।।
सेवा में,
बिहार क्रिकेट संघ के कार्यकारणी के
सभी सम्मानित सदस्य गण,
विषय : माननीय अध्यक्ष के द्वारा किए जा रहे मनमाने असंवैधानिक कार्यों के संबंध में |
श्रीमान,
मुझे बहुत दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि माननीय अध्यक्ष के द्वारा एक पर एक असंवैधानिक कार्य किए जा रहे हैं और आप लोगों के द्वारा उसका मौन समर्थन दिया जा रहा है | मैं आप सभी सम्मानित सदस्यों के समक्ष कुछ तथ्यों को रखना चाहता हूं और न्याय की अपेक्षा रखता हूं:-
- 31 जनवरी 2020 के तथाकथित आम सभा के द्वारा मेरे कार्य करने पर रोक लगा दी थी और 5 सदस्य जांच समिति का गठन किया गया | आम सभा के द्वारा जांच समिति को यह आदेश था की पहले मुझे आरोप पत्र देंगे और फिर नैसर्गिक न्याय का पालन करते हुए अपनी रिपोर्ट 1 महीने/ 90 दिनों के अंदर समर्पित करेंगे |
1.1 आप सभी को यह जानकारी होगी की आज तक मुझे कोई आरोप पत्र हस्तगत नहीं कराया गया है जबकि जांच समिति के द्वारा जितने भी ईमेल मुझे भेजा गया उन सभी ईमेल का जवाब विधिवत मैंने दिया |
1.2 जांच समिति ने 1 महीने/ 90 दिनों के अंदर अंतिम रिपोर्ट नहीं समर्पित किया है | एक अंतरिम रिपोर्ट (जिसकी प्रतिलिपि मुझे कभी नहीं दी गई) समर्पित करने का पता चला है जिसमें मुझे ‘Conflict of Interest’ का दोषी पाया गया है | मैं आप लोगों से यह जानना चाहता हूं कि ‘Conflict of Interest’ से संबंधित मामले की सुनवाई एक जांच समिति करेगी या हमारे Ethic Officer करेंगे | क्या यह जांच समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला नहीं बनता है ?
मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ कि 28 फरवरी 2020 को हुई असंवैधानिक कार्यकारिणी समिति की बैठक मैं किसी भी माननीय सदस्य के द्वारा इसका विरोध नहीं किया गया | यदि माननीय सदस्यों को लगता है कि मैंने कोई गलत कार्य किया है तो जरूरी नहीं कि मुझे सजा देने के लिए गलत तरीकों का पालन किया जाए, मुझे वैध तरीके से भी सजा दी जा सकती है | - कृपया करके अपने संविधान के नियम 45 (7) का अवलोकन करें, इस नियम के तहत भी 90 दिनों के बाद मैं सभी आरोपों से मुक्त होते हुए अपने कार्य करने का हक रखता हूं | अपने लोकपाल महोदय ने श्री अजय नारायण शर्मा, पूर्व सचिव के मामले में भी उनके सस्पेंशन को 90 दिनों तक ही वैध माना और उनके सस्पेंशन आदेश को खारिज किया है | फिर किस नियम के तहत मुझे अपने कार्यों को नहीं करने दिया जा रहा है |
- आप सभी सम्मानित सदस्यों को इस ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि आम सभा के निर्णय के अनुसार भी ( यदि उस निर्णय को सही मान लिया जाए तो) मैं बिहार क्रिकेट संघ का सचिव अभी भी हूं और सचिव के नाते मैं कार्यकारिणी का एक सदस्य हूं | अतः मैं बिहार क्रिकेट संघ के सभी बैठक में शामिल होने का हक रखता हूं | इसका ज्वलंत उदाहरण माननीय लोकपाल महोदया के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश है जिसमें उनको किसी भी मामले में आदेश पारित करने पर रोक लगा दिया गया है यानी कि उनके कार्यों पर रोक लगा दिया गया है क्योंकि लोकपाल का कार्य आदेश पारित करना है | माननीय उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश दिनांक 6 मार्च 2020 को आया था और तब से अभी तक माननीय लोकपाल महोदया के द्वारा 3 – 4 आदेश पारित किया गया है जिसके द्वारा लंबित मामलों पर अगली तिथि निर्धारित की गई है | अब प्रश्न उठता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया ? उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वह आज भी अध्यक्ष के द्वारा नियुक्त लोकपाल हैं | उसी तरह मैं भी आज के तारीख में निर्विरोध सचिव हूं और सभी बैठकों में हिस्सा लेने का अधिकार रखता हूं |
अतः आप सभी माननीय सदस्यों से ऊपर वर्णित तथ्यों पर विचार करने का अनुरोध करता हूं और आप सभी से न्याय का आशा रखता हूं | धन्यवाद,
आपका विश्वासभाजन,
संजय कुमार,
अवैतनिक सचिव,
बिहार क्रिकेट संघ
इस वायरल ईमेल कि व्हाट्सएप मैसेज को खेलबिहार.कॉम न्यूज़ सही होने कि पुष्टि नही करता है