खेलबिहार न्यूज़
पटना 5 जून: बिहार क्रिकेट जगत में एक नया मोड़ ले चुका है जिसमे बीसीए के दो पूर्व सचिव अजय नारायण शर्मा और रविशंकर प्रसाद सिंह खेलबिहार न्यूज़ के माध्यम से एक दूसरे से सवाल – जबाब कर रहे है।शुक्रवार को एकबार फिर बीसीए के पूर्व सचिव अजय नारायण शर्मा ने खेलबिहार को एक बयान दिया है तथा इसमे बिंदु बार कई सवाल पूर्व सचिव रविशंकर सिंह पर उनके कार्यकाल के समय हुए घटना पर उठाए है।।
उससे पहले रविशंकर सिंह द्वारा पूछे गए सवालों के जबाब में कहा” जैसा कि रविशंकर सिंह ने मुझसे जिला विवाद को लेकर सवाल पूछा है कि कैसे विवाद हुई और किस जिला संघ में तो मैं बता दू कि जिला विवाद आपके तानाशाही के कारण उत्पन हुए थी। आपके विरोध में जो जिला क्रिकेट संघ खड़ा होता था आप वहां पर अपने पसंद के लोगो के द्वारा अलग चुनाव करा मान्यता दे देते थे आप यह साबित करना चाहते थे कि वही जिला बीसीए से मान्यता प्राप्त है इसके लिए आपने सार्टिफिकेट भी बाँटा है जबकि बीसीसीआई भी कभी अपने मान्यताप्राप्त एसोसिएशन को सार्टिफिकेट नही देती है।।
एक और सवाल आपने चुनाव को लेकर पूछा था इसके जबाब में मैं कहना चाहता हूं कि आप 2015 से बीसीए के सचिव पद पर थे और आपका सितंबर 2018 में कार्यकाल पूरा होना था उसके बाद आपको चुनाव करबाना था लेकिन आप चुनाव नही करा रहे थे आपके ऊपर बीसीए के लोकपाल जस्टिस जयनंदन सिंह रिटायर्ड बीसीए के तीन ऑर्डर थे जिसमें आपको इलीगल बताया गया था । अपने तो बीसीसीआई को भी रजिस्ट्रेशन का गलत कागज देकर धोखा दिया था जबकि रजिस्ट्रेशन आपने करवाया ही नहीं था। बीसीसीआई को इसलिए आना पड़ा चुनाव कराने क्योकि आप सही तरीके से चुनाव नही करा रहे थे।
बीसीसीआई के चुनाव अधिकारी ने बीसीए चुनाव में आपके द्वारा बनाई गई नई जिला क्रिकेट संघ के किसी भी व्यक्ति को चुनाव में बोट देने का अधिकार नही दिया जबकि बीसीए के जुड़े पुराने कमिटी को ही बीसीए के चुनाव में बोट देने का अधिकार दिया था।
अब आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूँ कि
1.किस तरह यह सिद्दीकी साहब के नाव की सवारी कर सितंबर,2015 में सचिव पद पर काबिज हुए।
- किस तरह गलत हलफनामा दे कर लोढ़ा समिति के अंतरिम निर्देश को धोखा दिया।
- निर्वाचित पदाधिकारियों जैसे अध्यक्ष सिद्दीकी साहब को 15/17 जनवरी,2016 की बैठक की जानकारी नही देना
- 2015 के निर्वाचित अध्यक्ष,कोषाध्यक्ष और उपाध्यक्षों की अनुपस्थिति में जाली कार्यवाही बना कर बिना लोकतांत्रिक तरीके के मनमाफिक कार्य समिति का गठन कर लेना।
- उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित श्री आनंद कुमार को कोषाध्यक्ष, श्री सुनील सिंह को संयुक्त सचिव और श्री नवीन जमुआर को उपाध्यक्ष और श्री गोपाल बोहरा को अध्यक्ष “मनोनीत” करवा लेना, कौन से संविधान में है। उल्लेखनीय है कि यह “तथाकथित/मनोनीत” कार्यसमिति सितंबर ,2019 तक तांडव मचाती रही।
- कार्यवाही पुस्तिका पर हस्ताक्षर करवा लेने की कहानियां तो बीसीए से लेकर मीडिया में बहु प्रसारित रही है।
- डेली बेसिस पर अफवाह फैलाने और सभी को एक-दूसरे से लड़वाने की कहानियां यह भूल गए हैं।
- कुछ महिला खिलाड़ियों के शोषण और चयन की धांधली के कुछ ऑडियो टेप वायरल हुये थे और प्रायः लोगों के पास उपलब्ध हैं। इस बार चुनौती मिलने पर एक प्रति उनको और उनके गुर्गों के करतूतों को उजागर/याद दिलाने हेतु मैं भी उपलब्ध करा सकता हूँ।
- कहानियां तो बहुत हैं, कुछ स्कूल तथा हॉस्पिटल प्रबंधन से बिना एंट्री किये भारी राशि वसूलने और हेरा-फेरी करने की कहानी याद है या मैं सबूत सहित याद दिलाऊं।