Home Bihar माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर आदित्य वर्मा को क्रिकेट केस में बहस करने के लिए जारी किया का आदेश।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर आदित्य वर्मा को क्रिकेट केस में बहस करने के लिए जारी किया का आदेश।

by Khelbihar.com

पटना : क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के पूर्व सचिव आदित्य वर्मा एक बार फिर से व्यक्तिगत रूप से माननीय सुप्रीम कोर्ट में क्रिकेट केस में बहस करते दिखेंगे। इसके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बहस करने के लिए आदेश जारी कर दिया है। इसकी जानकारी खुद आदित्य वर्मा ने दी है।

आपको मालूम हो की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट ने 4 जनवरी 18 को 18 सालो के बाद बिहार के टीम को रणजी मैच मे शामिल करने का निर्देश बीसीसीआई को दे दिया था उस दिन श्री वर्मा ने अपने बिहार का केस खुद बहस किया था। लेकिन इसके बाद बिहार में क्रिकेट सुधरने के बजह और बिगड़ा हुआ है।

श्री वर्मा ने कहा ” यह बिहार के खिलाड़ियों का दुर्भाग्य था कि तत्कालीन बिहार क्रिकेट के पदाधिकारियों के आपसी झगड़े से बिहार क्रिकेट बीसीसीआई के पटरी से उतर गया बिहार क्रिकेट का बैंक खाता भी फ्रिज हो गया आज तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिहार क्रिकेट का अपना constitution भी सोसाइटी के द्वारा संशोधित नही हो पाया है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।

उन्होंने बताया की 15 दिनो के अंदर बीसीसीआई के अध्यक्ष और सचिव दोनो से अलग अलग मुलाकात हुई थी क्योंकि मुझे दोनो के द्वारा बुलाया गया था मैने सारी बातों को लेकर एक बार फिर से दोनो अधिकारी को साफ साफ शब्दों मे कह दिया कि बीसीसीआई जब अपना सिलेक्टर, टीम का एयर टिकट, होटल आदि मुहैया करा रही है तो क्यो नही बीसीसीआई अपने नेतृत्व मे बिहार के पुराने खेल से जुड़े हुए लोगों को लेकर जब तक बिहार क्रिकेट के आपसी विवाद, constitution में संशोधन नही हो जाता है एक Operational committee बना के बिहार क्रिकेट का संचालन खुद करे अन्यथा सुप्रीम कोर्ट के खुलने के बाद बिहार क्रिकेट के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है।

मैं खुद सुप्रीम कोर्ट के सामने उपस्थित हो कर रख दूँगा इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुझे अपना केस बहस करने का आदेश दिया है मुझे बीसीसीआई के द्वारा कहा गया है कि बीसीसीआई जल्द ही आपके बातो पर विचार विमर्श करने के बाद कोई ठोस कदम उठा रही हैं बिहार क्रिकेट के लिए जो भी निर्णय लेने होगे मै निर्भीक हो कर लूँगा।

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