Home Bihar cricket association News, बिहार क्रिकेट संघ में” जो शेष है वही विशेष है,संतोष झा ने रखा अपना विचार पढ़े

बिहार क्रिकेट संघ में” जो शेष है वही विशेष है,संतोष झा ने रखा अपना विचार पढ़े

by Khelbihar.com
  • बिहार क्रिकेट की वर्तमान स्थिति पर एक टिप्पणी ….
  • संदर्भ बीसीए : जो शेष है वही …. विशेष है …..

खेलबिहार. कॉम न्यूज़

पटना: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन कि वर्तमान हालात पर संतोष कुमार झा ने अपने फेसबुक वॉल पर बीसीए को लेकर एक टिप्पणी कि है आप भी पढ़े किन ख़ास चीजों का वर्णन किया है संतोष झा ने।

श्री झा ने लिखा है” न जाने किसकी नजर लग गयी है बिहार क्रिकेट एसोसिएशन(बीसीए) को, क्या अच्छा भला चुनाव हुआ, लब्ध प्रतिष्ठित , मृदुभाषी अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी जी, उपाध्यक्ष वरीय क्रिकेटर तथा क्रिकेट प्रशासन के अनुभवी और वरीय अधिवक्ता, आदरणीय दिलीप सिंह जी , उर्जावान सचिव संजय कुमार जी , दशकों से क्रिकेट प्रशासन से जुड़े संयुक्त सचिव कुमार अरविन्द जी, सौम्य और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखनेवाले, विधि के छात्र, कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह जी और वरीय मीडिया कर्मी जिला संघों के प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह जी निर्वाचित घोषित किये गए.

सत्र 2019-20 में बीसीए के द्वारा बीसीसीआई के घरेलू मैचों की शानदार मेजबानी से प्रभावित होकर, बीसीसीआई ने बीसीए को महिलाओं की अंतराष्ट्रीय चतु:कोणीय टूर्नामेंट की मेजबानी का अवसर दिया, उसे भी बीसीए ने शानदार और यादगार तरीके से संपन्न किया, हजारों लोगों ने इस अंतराष्ट्रीय मैच को पटना के उर्जा स्टेडियम में उपस्थित होकर लाइव देखा, बिहार से लेकर बीसीसीआई मुंबई तक बिहार में चल रहे क्रिकेटिंग गतिविधि पर सकारात्मक चर्चाएं होने लगी, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बिहार में आंतरिक संसाधन मजबूत करने का संकेत देते हुए , चार फरवरी को बिहार में एक इंडोर स्टेडियम बनाने हेतु बीसीए सचिव संजय कुमार के साथ हुई बैठक में अपनी सहमति दी, मानो ऐसा लग रहा था की क्रिकेट के क्षेत्र में बिहार अपने स्वर्णिम पल को पाने के करीब पहुँचने का सफ़र धीरे- धीरे तय कर रहा है।।

लेकिन सब कुछ पर अचानक ब्रेक लग गया. मानो सब कुछ उल्टा हो गया, बिहार की छवि बीसीसीआई में ख़राब होने लगी, बीसीए फिर से विवादित हो गया, राज्य के लाखों क्रिकेटरों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी.

एक बैठक ने सारी गणित को उलट पुलट कर रख दिया. कुछ लोगों (जो वर्तमान में किसी पद पर नहीं है) की स्वहित की निति ने ऐसा जाल बुना की अध्यक्ष और सचिव दो धुरी पर जाकर बैठ गए, सब कुछ होने लगा, क्रिकेट को छोड़कर, कोई न्यायालय में न्याय खोज रहा है, तो कोई दुसरे पक्ष को पटकनी देने के लिए फ़ौज खड़ा करने में लग गया, जिलों के कुछ लोगों को छोड़कर सबों ने अपनी आँखे मूँद ली, कमेटी ऑफ़ मैनेजमेंट के अन्य बचे निर्वाचित सदस्य की बात हो या फिर जिला संघो के ऐसे पदाधिकारियों की जिन्होंने दधीची के तरह दुर्दिन में भी बिहार क्रिकेट को जीवंत बनाये रखा.

सब के सब हथप्रद और किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये, सबों को लगने लगा की चीजें अब सामान्य नहीं हो पायेगी. बिहार क्रिकेट को फिर से एक वनवास की ओर जाना पड़ेगा, क्योकि कोई भी इस वेवजह की पीड़ा दायक माहौल में आगे आकर चीजों को ठीक करने की जहमत उठाने को तैयार नहीं हो रहा था. कोई किसी के भाव भंगिमा से डरा हुआ था तो कोई इस डर से आगे नहीं आ रहा था की ना जाने यह बिहार क्रिकेट का ऊंट किस करवट लेगा. सबके सब अपने आप से सब कुछ सामान्य होने की प्रतीक्षा में थे.

चाह कोई नहीं रहा है की बीसीए बेपटरी हो, मगर अधिकांश में आगे आने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी. इन मामलों पर विराम लगाने और सब कुछ सामान्य करने के कुछ प्रयास अवश्य हुए मगर वो भी दबाव और भ्रम के कारण मजिल तक नहीं पहुंच सके.
मानों चारो तरफ घोर अंधकार सा छा गया .
कुछ पूर्व के प्रशासकों ने भी इस विकट स्थिति को सामान्य करने में अपनी महती भूमिका निभाई है, अगर सब कुछ सामान्य होता है, तो बिहार क्रिकेट को इनके प्रयासों के प्रति भी आभारी होना होगा.

मगर इस अंधकार में भी प्रकाश की एक किरण दो मई को दिखाई दी. जब एक न्याय प्रिय और सक्षम वरीय पदाधिकारी ने स्वयं से आगे आकर चीजों को सही करने और बीसीए को संविधान के अनुसार चलाने का संकेत दिया है, जो बिहार क्रिकेट के लिए संजीवनी का काम करेगी. स्थिति इतनी दुरूह नहीं है की उसे सम्हाला न जा सके, बस मामला बीसीए के संविधान को अनुपालित करने और कुछ लोगों के मोहपाश से विरक्त होने का है. मुझे भी उम्मीद है की ऐसा हीं होगा .

क्योंकि आप निर्वाचित पदाधिकारियों पर बिहार के कई हजार क्रिकेटरों का भविष्य तथा 13 करोड़ बिहारियों के अस्मिता का भी भार है. आपके द्वारा उठाया गया एक एक कदम पुरे बिहार को प्रभावित करता है, आप बिहार इज्जत और सम्मान के संवाहक है. आपका फर्ज है की स्वयं में कुछ सहना भी पड़े तो कोई बात नहीं, मगर राज्य की छवि बीसीसीआई में धूमिल न हो, अन्य राज्यों में बिहार क्रिकेट और बिहार के क्रिकेटरों को आपके कारण उपहास का पात्र न बनना पड़े.

अभी आप सबों को कई अच्छे और रचनात्मक कार्यों का नेतृत्व करना है. आप सब बीसीए के जिस काल खंड में निर्वाचित हुए हैं. वो बिहार क्रिकेट के इतिहास में दर्ज होने वाला है. कुछ भी समाप्त नहीं हुआ है , आप सबों में इतनी क्षमता है की सब कुछ पटरी पर ला सकते हैं. आने वाला समय आप सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर टकटकी लगाये देख रहा है. सब कुछ सामान्य हो जायेगा , पूर्व की बातों और हुई गलतियों से सीख लेते हुए भविष्य की ओर क्रिकेट और क्रिकेट प्रशासन के अनुभवी और न्याय के साथ चलने वाले का सम्मान करते हुए आगे बढिए.

अगर कोई भूल हुई है ..तो उसे भूलिए, अगर किसी की कोई बात/ कार्य शूल के तरह चुभ रही है ..तो उस दर्द को भी पीने का प्रयास कीजिए, बिहार के साथ मान्यता मिलने वाले राज्यों के विकास और कार्य शैली से अपनी तुलना कीजिए …. अभी भी कुछ ऐसा नहीं हुआ है कि उसे ठीक नहीं किया जा सके….
क्योकि जो शेष है ……. वही विशेष है ……
नोट: यह पूर्ण रूप से मेरे अपने विचार हैं.

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