Home Bihar cricket association News, बीसीए के पूर्व सचिवों के बयानबाजी पर मो.अरसद जेन ने दी अपनी प्रतिक्रिया?

बीसीए के पूर्व सचिवों के बयानबाजी पर मो.अरसद जेन ने दी अपनी प्रतिक्रिया?

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 4 जून: बिहार क्रिकेट में बयान बाजी कि शुरुआत तबसे हो गए है जबसे खेलबिहार पर पूर्व सचिव रविशंकर सिंह ने बिहार क्रिकेट के वर्त्तमान इस्तिथी पर अपना बयान दिया था उसके बाद पूर्व सचिव अजय नारायण शर्मा ने उनपर कई आरोप लागये और उसके बाद रविशंकर सिंह ने उन सभी सवालों का जबाब दिया ।

इस बीच क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार से जुड़े मो.अरसद जेन ने खेलबिहार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन बयान बाजी पर एक बयान दिया है जिसमे उन्होंने कहा कि “बिहार क्रिकेट जगत मे बीसीए के दो पुर्व बीसीए सचिव एक दुसरे पर कटाक्ष और बयान दे रहे हैं

मो अरसद जेन ने बिहार क्रिकेट और बिहार के क्रिकेटरों के उज्जवल भविष्य को बरबारद करने के लिए इन ही दोनो पुर्व सचिवों को दोशी माना है कोई थोड़ा कम है तो कोई ज्यादा, मगर बिहार क्रिकेट को बरबाद इनही दोनो पुर्व सचिवों ने किया है।

एक का आरोप है की दुसरे ने बीसीए को 20 वर्षों के बाद मान्यता मिलने पर अपनी जागीर बनाने के चक्कर मे हिटलरशाही करते हुए जिला क्रिकेट संघ तक को बरबारद कर दिया और अपनी मनमर्ज़ी से हिटलर की तरह बीसीए को चलाने लगे थे, तो दुसरे ने पहले पर आरोप लगाया के वर्तमान अध्यक्ष बीसीए मे ठीक काम करना चाहते हैं परंतु कुछ लोग है जो उनसे गलत काम करवा रहे हैं।पुर्व सचिव रविशंकर सिंह तथा पुर्व सचिव अजय नारायण शर्मा जी के बीच ये ब्यान बाजी चल रही है।

चलिए पहले पुराने पुर्व सचिव की बात करते हैं मतलब अजय नारायण शर्मा जी की बात: वर्षों तक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) पर एकक्षत्र राज करने वाले पूर्व सचिव अजय नारायण शर्मा जो बिहार क्रिकेट मे अजय दा के नाम से जाने जाते हैं एक समय बिहार क्रिकेट के खुद हिटलर थे और इनका गुट था तथा वर्त्तमान में एक जुट होकर बीसीए के वर्तमान अध्यक्ष को पर्दे के पिछे से चला रहे हैं ।

इस से पहले पुर्व सचिव रविशंकर सिंह ने इन सबको नचाया था अब ये उसका बदला ले रहे हैं।बात तब की है जब अजय दा बीसीए के सचिव थे और राम कुमार सर कोषाध्यक्ष और बिहार के क्रिकेट मे सिर्फ एक की चलती थी वो थे अजय दा, बिहार क्रिकेट जैसे तैसे चलरहा था जिसका मुख्यालय जमशेदपुर तब के बिहार ( अभी झारखंड ) मे हुआ करता था ।

वर्ष 2000 मे बिहार से झारखंड अलग हुआ तो बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को चलाने मे दिक्कतें आने लगी तो बीसीसीआई के कहने पर बिहार रणजी टीम बिहार और झारखंड दोनो राज्यों को मिलकर रणजी टीम बनाई जाने लगी। तभी 2004 मे बीसीसीआई मे बैठे पुर्व IPS अमीताभ चौधरी ( पुर्व सचिव JSCA) ने अजय नारायण शर्मा से मिलकर सोदा किया के बिहार क्रिकेट एसोसिएशन 1935 को झारखंड को दे दो और बिहार को एसोसिएट की मान्यता के साथ साथ 50 लाख रु तथा 1.5 करोड़ की मशीनें दिला देता हुं (क्या पता उपर से भी कुछ पैसे दिये गये होंगे)।

अजय नारायण शर्मा ने अमीताभ चौधरी को बीसीए का रजिस्ट्रेशन, लोगो तथा रजिस्ट्रेशन वर्ष 1935 सब बेच दिया झारखंड को रणजी की मान्यता मिल गयी और बिहार एसोसिएट बनकर जैसे तैसे चलता रहा। फिर आया 50 लाख बटवारे का दिन और फिर हुआ बंदरबांट का खेल जिसके कारण राम कुमार (पुर्व कोषाध्यक्ष) और रविशंकर सिंह ने मिलकर अजय नारायण शर्मा पर पैसे के गबन का आरोप लगाते हुए एफआईआर किया , जिसके कारण बीसीसीआई ने बिहार की मान्यता को छीन लीया।

इनके कारण बिहार के तीन पीढ़ीयों को क्रिकेट से दुर होना पड़ा। 50 लाख मे इमान बेचकर आज अजय नारायण शर्मा बेकसूर नही हो सकते, सब ने मिलकर बरबारद किया है बिहार के क्रिकेट और क्रिकेटरों के भविष्य को।

अब बात पुर्व सचिव रविशंकर सिंह की देखा जाए तो रविशंकर सिंह कुछ अच्छा करने की कोशिश कर रहे थे परंतु एक शर्त पर के जो सिर्फ उनकी सुनेगा वही बिहार के क्रिकेट मे रहेगा मतलब साफ था हिटलरशाही इसी लिए बीसीए मे रविशंकर सिंह को वन मैन आर्मी और हिटलर कहा जाने लगा था।

उनकी नज़र मे हर वो पदाधिकारी सही था जो उनके कहे अनुसार चलरहा था चाहे वो गलत ही क्युं न कर रहा हो। एसा ही एक मामला नालंदा जिले का भी था नालंदा जिले मे क्रिकेट से जुड़े लोगों और अभिभावकों ने जिला क्रिकेट संघ मे होरहे गलत कामो तथा वर्षों से जिला क्रिकेट संघ पल कब्जा किये

पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाने का काम किया था और इसके लिए पुर्व सचिव रविशंकर सिंह से मिलने उनके होठल ” वेलकम होटल” मे मिलने आए थे जहाँ बीसीए का ऑफिस था उस समय नालंदा जिला क्रिकेट संघ की अध्यक्ष के पति श्रीमान आनंद कुमार ( जो उस समय बीसीए के कोषाध्यक्ष थे) का समर्थन करते हुए अभिभावकों को धमकी देते हुए कहा था के जाओ जो करना है करलो तुमलोग कुछ नही बिगाड़ पाओगे।

रविशंकर सिंह जब बीसीए सचिव बने थे तो बीसीए अध्यक्ष गोपाल वोहरा मनमोहन सिंह के नाम से जिने जाते थे और बिहार क्रिकेट मे जो भी होता था सिर्फ सचिव रविशंकर सिंह जी के अनुसार होता था। कोच, चयनकर्ता, मैनेजर से लेकर खिलाड़ियों का चयन भी बिना इनके अनुमति के नही होता था जिसका जिता जागता सबुत था बिहार सीनियर टीम के चयनकर्ताओं का अपने पद से इस्तीफा देना।

पुर्व सचिव रविशंकर सिंह के समय एक रणजी सत्र मे 50 से ज्यादा खिलाड़ी रणजी और सिनियर बिहार टीम मे खिलाए गये ये भी एक इतिहास ही है। वहीं एक समय आया था के खिलाडियों पर दबाव देकर चयनकर्ताओं के खिलाफ एक सड़यंत्र के तहत शिकायतें लिखवाई गयी थी जिसके द्वारा चयनकर्ताओं पर आरोप लगाए गये और कार्यवाही की गयी।

इनके समय पुर्व सचिव रविशंकर सिंह का एक पालतु दलाल हुआ करता था जो की स्टेट पैनल अम्पायर भी था जिसे क्रिकेट जगत मे डी.के.त्रिपाठी के नाम से लोग जानते थे उस समय तो ये कहा जाता था के त्रिपाठी मतलब सचिव रविशंकर सिंह और यही डी.के. त्रिपाठी एक दिन सिनियर चयनकर्ता के साथ मिलकर एक होटल मे खिलाड़ी के अभिभावक से चयन के लिए पैसे के लेन देन की बात करता हुआ न्युज़18 के स्ट्रींग ओप्रेशन मे पकड़ा गया था

जिसमे चयनकर्ता ने सचिव रविशंकर सिंह को भी 30-40 लाख देने पड़ेंगे बोला था जिसके बाद बिहार क्रिकेट मे बहौत आवाज़ उठी परंतु कुछ नही हुआ।आज ये दोनो एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं जब की हमाम मे दोनो नंगे हैं, एक ने 50 लाख मे बिहार का सौदा झारखंड से किया था तो दुसरे ने 50 लाख कमाने के लिए बिहार क्रिकेट मे हिटलरशाही लाई और संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए बिहार क्रिकेट को राजनीतिक मंच बना दिया।

परंतु इन दोनो पुर्व सचिव और इनके गुट के लोगों के साथ साथ दो और नाम हैं जिनकी बात यहाँ होनी चाहिए । एक नाम है मधुबनी जिला क्रिकेट के हिटलर सुबीर कुमार मिश्रा और दुसरा आदित्य प्रकाश वर्मा सर।

जिस तरह बीसीए पुर्व तथा वर्तमान अध्यक्षों को मनमोहन सिंह कहा जाता है वैसे ही मधुबनी के क्रिकेट माफिया सुबीर मिश्रा को क्रिकेट जगत का रामविलास पासवान कहा जाता है । सुबीर मिश्रा क्रिकेट जगत का एक एसा चलबाज़ इनसान है जो हमाशा सत्ता और शक्तिशाली पक्ष के साथ खड़ा होकर अपना राज्य चलाता है और बीसीए मे अपनी एक अलग सरकार चलाता आरहा है लोग सुबीर मिश्रा के बारे मे गिरगिट की भी उदाहरण देते हैं वो पलटी मारने और रंग बदलने मे इतने माहिर हैं की पिछले 30-35 वर्षों से मधुबनी जिला क्रिकेट को अपनी बपौती बना रखे हैं यहाँ तक की अपनी सनक मे मधुबनी मे खेलने आए छपरा /सारण जिले के खिलाड़ियों पर जानलेवा हमला भी करा चुके हैं।

अब बात आदित्य प्रकाश वर्मा की तो क्रिकेट की थोड़ी सी भी जानकारी रखने वाला इंसान इसबात को दिल से मानता है की 18 वर्षों के बाद अगर बिहार.मे फिर से क्रिकेट होरहा है तो उसका मात्र एक कारण है आदित्य प्रकाश वर्मा द्वारा बीसीसीआई से बिहार की मान्यता के लिए अटेले लड़ी गयी लड़ाई । आदित्य वर्मा के बिहार क्रिकेट की मान्यता के लिए जो लड़ाई लड़ी गयी है उस के लिए बिहार का हर क्रिकेटर उनका रिणी है

, जिन लोगों के बाप दादाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नही देखा है वो लोग भी आज इसका श्रेय लेते मिल जाएंगे परंतु जो सत्य है वो सत्य है आदित्य वर्मा की बिहार के क्रिकेटरों की लड़ाई से सिर्फ बिहार नही बल्कि नार्थईस्ट तथा सभी एसोसिएट राज्यों को पुर्ण मान्यता मिल गयी और उनके खिलाड़ी भी आज रणजी ट्रॉफी खेल रहे हैं।

और एक बात मै उन दलालों से कहना चाहता हुं के जिसके बाप ने तुमहारे बच्चों को फिरसे क्रिकेट खेलने का मोका अकेले लड़कर दिलाया है उसके बेटे का और उस महान व्यक्ति का अपमान मत करो वो बिहारी है वो क्रिकेट खिलाड़ी है वो क्रिकेट ही खेलेगा और भविष्य मे आप सभी को उनका ऑटोग्राफ़ लेना पड़ेगा ये मै मानता हुं अगर भगवान है तो उसे पता है आदित्य प्रकाश वर्मा ने बिहार के बच्चों के लिए बीसीसीआई से कैसे लड़ाई लड़ी और बिहार के बच्चों को खेलने का मौका दिलाया और आज क्रिकेट के माफिया उनके ही बेटे के नाम पर झुठा बदनाम करते हैं।

वैसे मै चाहुं तो यहीं पे बिहार क्रिकेट मे पदाधिकारियों के बेटों और परिवार वालों के लिस्ट डाल सकता हुं परंतु बाप बेटे के बहाने किसी के इमोशंस के साथ नही खेलना चाहता।
कुछ लोगों का सोंच है के आदित्य प्रकाश वर्मा अगर बिहार के क्रिकेट मे घुस जाएगा तो फिर कब्जा करलेगा और गलत नही होने देगा तो मैं उन बीसीए के कुँए के मेंढ़कों से ये कहना चाहता हुं के आदित्य प्रकाश वर्मा जो व्हील मछली है जो कुँए और सागर मे नही वो महासागर मे रहने का आदी है एक बार बिहार क्रिकेट मे सुधार लाने के लिए साथ लाकर तो देखो सिधा बीसीसीआई और आईसीसी मे चले जाएंगे और भारत तथा विश्व क्रिकेट को सुधाने मे लग जाएंगे। उनकी सोंच को तुमने उनके बेटे तक सिमित करके अनी ओछी सोंच बताई है बीसीए के दलालों।

मैं वर्मान सचिव संजय कुमार मंटु जी के बारे.मे भी बहौत सारी अच्छाईयां सुन रहा हुं और जहाँ तक मुझे पता चला है के बिहार क्रिकेट के माफियाओं से बिहार के क्रिकेट को बचाने की कोशिश का नतिजा है की उनके साद सभी माफियाओं द्वारा मिलजुलकर सड़यंत्र रचा गया और आसंविधानिक रुप से उनके साथ कार्यवाई की जारही है जिस मे बीसीए अध्यक्ष और अध्यक्ष से जुड़े कुछ पुराने माफियाओं का हाँथ है।परंतु एक दिन सच जितेगा, बिहार का क्रिकेट जितेगा।

इसी आशा के साथ बिहार क्रिकेट मे जो भी सम्मानित और अच्छे लोग हैं उनसे विनती करता हुं के बिहार क्रिकेट से क्रिकेट माफियाओं को निटालने के लिए एकजुट हों और जिला से लेकर राज्य संघ तक क्रिकेट के दलालों माफियाओं को निकाल बाहर करें।(खेलबिहार प्रेस विज्ञप्ति को जैसे का तैसा छापा है)

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