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बीसीसीआई से अनुदानित राशि को बीसीए लुटाएगी वकीलों पर ?देखें

by Khelbihar.com
  • बीसीसीआई से अनुदानित राशि को बीसीए लुटाएगी वकीलों पर ?
  • सीओएम की कथित सहमति ! हाई कोर्ट का फैसला तय करेगा –

खेलबिहार न्यूज़

पटना 3 दिसंबर : बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के दोनों गुटों(सचिव एव अध्यक्ष) के बीच मामला इतना बढ़ गया कि अब यह मामला हाई कोर्ट में है और सूत्रों ने बताया कि बीसीए से सचिव को बर्खास्तगी करने के मालमे का फैसला शुक्रवार को आ सकता है।

वही दूसरी ओर इन मामले में लगे अध्यक्ष गुट के वकीलों के भुगतान बीसीसीआई से मिले अनुदान राशि से की जाएगी यके बाते मुज़फ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ(उत्पल रंजन गुट) के सचिव मनोज कुमार ने कही है।

श्री कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि ” बिहार क्रिकेट संघ को बीसीसीआई से अनुदानित खेल मद की राशि को अन्यत्र लुटाने का एक और मामला प्रकाश में आया है । बीसीए सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष और सचिव के आपसी रस्साकशी और न्यायिक लड़ाई में वकील मद में आने वाले खर्च को बीसीए के खाते से भुगतान करने पर सहमति बनाए जाने की खबर है ।

हालांकि पिछले दिनों संपन्न कमेटी ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में वकील के भुगतान मामले पर चर्चा होने की कोई सूचना नहीं है लेकिन सी ओ एम की बैठक के संदर्भ में जो मिनट्स तैयार किए गए हैं उसमें हाईकोर्ट में अध्यक्ष खेमे से पैरवी कर रहे वकीलों का भुगतान बीसीए के खाते से करने का निर्णय लिए जाने पर सी ओ एम के सदस्यों की सहमति दर्शाई गई है।

इस संदर्भ में आगे कैसा निर्णय होगा यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगा। क्योंकि एक तो बीसीए का खाता विवादों के आगे फ्रीज है । दूसरा पटना हाईकोर्ट की ओर से बीसीए सचिव की बर्खास्तगी के मामले पर शुक्रवार को फैसला आने की उम्मीद है। अगर इस मामले में फैसला सचिव संजय कुमार के पक्ष में आता है तो कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि न्यायिक मामले के भुगतान पर बीसीए के समक्ष दोराहे की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी ।

क्योंकि एक और बीसीए अध्यक्ष की ओर से हाईकोर्ट में पैरवी करने वाले वकीलों का भुगतान करने को तैयार होती है तो दूसरी ओर उसे बीसीए सचिव के पद से पैरवी करने वाले वकील का भुगतान भी करना पड़ सकता है । ऐसे में यह स्पष्ट है कि आपसी विवादों के कारण बीसीए बीसीसीआई से अनुदानित उन पैसों का प्रत्यक्ष दुरुपयोग कर रही है जिसका आवंटन बिहार क्रिकेट के प्रतिभावान क्रिकेटरों के विकास और खेल के आयोजनों पर करने को किया जाता है ।

बीसीए सूत्रों की माने तो अध्यक्ष खेमे से पटना हाई कोर्ट में केस की पैरवी करने वाले वकीलों ललित किशोर (महाधिवक्ता)
75000/- प्रति दिन राजीव कुमार सिंह
55000/- प्रति दिन नवतेज येशू: 35000 प्रति दिन राजू गिरि 25000/- प्रति दिन संतोष कुमार मिश्रा: 30000/- प्रति दिन की फीस निर्धारित है।

जबकि सचिव संजय कुमार की ओर से वकील रहे राजेन्द्र प्रसाद की फीस 55 हजार प्रति दिन निर्धारित बतायी गयी है। अब आप समझ सकते हैं कि आपसी रंजिश और अहम् की लड़ाई में खेल पर खर्च होने वाली राशि कहाँ खर्चे जाएंगे। इस संबंध में बीसीए के कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह ने कहा कि अभी मिनटस नोट नहीं देखा है लेकिन इतना कह सकते हैं कि संवैधानिक स्तर पर उचित निर्णय लिया जाएगा।

हालांकि उन्होने यह कहा कि कानून के दायरे से अलग बीसीए की राशि का दुरुपयोग नहीं होने दिया जायेगा। उनके लिए संस्था और खिलाड़ियों का हित सर्वोपरि है । विडंबना यह है कि बीसीए की ओर से गुजरे डेढ़ सालों में क्रिकेट छोड़ अन्य सभी मदों में खर्चे कर अनुदानित राशि को लुटाने में लगी है।

बहरहाल इस मामले में आगे क्या गुल खिलेगा फिलहाल कहना जल्दबाजी है । लेकिन बीसीए के राशि को एन केन प्रकारेण लुटाने का खेल अभी भी जारी है जो निश्चय ही बिहार के भविष्य के लिए हितकारी नहीं कही जा सकती है।

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