- आने दो आने नहीं “लाखों” लाओ जगह पाओ
- ट्रायल में प्रदर्शन नहीं पहुँच, पैरवी, पैसा बन रहा खिलाड़ियों के चयन का माध्यम
– मनोज –
खेलबिहार न्यूज़
पटना 26 दिसंबर : बिहार क्रिकेट संघ में विवादों का दौर अपने चरम पर है। अध्यक्ष खेमे की ओर से मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए कराए गए ट्रायल मैच के इतर भी ओपन ट्रायल के नाम पर मनमानी का जो ड्रामा सामने आया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल बिहार क्रिकेट संघ को क्रिकेट की प्रतिभा, गेंद और बल्ले के साथ उनके प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है बल्कि हालात यह है कि यहां “आने दो आने नहीं बल्कि लाखों लाओ टीम में जगह पाओ” की कहावत चरितार्थ हो रही है! ये बाते एमडीसीए(उत्पल रंजन गुट)सचिव मनोज कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही है।
उन्होंने आगे कहा ” क्रिकेट के मैदान में जहां बच्चों को ट्रायल के नाम पर जमघट कराया जा रहा है वहां चयनकर्ताओं के समूह की जगह पदाधिकारियों का वह समूह खड़ा खिलाड़ियों का चयन कर रहा है जो खिलाड़ियों के प्रदर्शन की जगह अतिरिक्त थैली का “भार” महसूस कर सके ! फिलहाल इस खेमे से चुने गए ट्रायल मैच के साठ खिलाड़ियों में अधिकांश वैसे खिलाड़ी है जिनके पीछे पिछले सत्रों में ऐसे कोई खास प्रदर्शन न तो जिला या बिहार स्तर पर सूचीबद्ध है जो उन्हें इस मैच के काबिल बनाए रखता। बावजूद इसके वे टीम में है तो इसका कारण भी स्पष्ट है ।
वे किस रास्ते मैदान में हैं सबको मालुम है। बहुतेरे खिलाड़ी ऐसे हैं इनके पिता “पैसे” से मजबूत हैं ! बहुत खिलाड़ी ऐसे हैं जिनके पिता “पैरवी” से मजबूत हैं तो बहुत खिलाड़ी ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध बिहार क्रिकेट संघ से संबंधित पदाधिकारियों से है यानी पहुँच से मजबूत हैं। ऐसे में उन खिलाड़ियों के दावे स्वतः बेमानी साबित हो जा रहे हैं जो पिछले सत्र तक बिहार क्रिकेट संघ के लिए गेंद और बल्ले से नायाब प्रदर्शन कर टीम इंडिया में स्थान बनाने की चाह संजोए बैठे हैं।
कुमार निशांत (समस्तीपुर) ,सरफराज अशरफ (मुजफ्फरपुर), अस्फ़ाक (गोपालगंज), प्रशान्त सिंह (सारण) कुमार रजनीश (पटना) रोहित राज (भोजपुर), कुमार रोहित (सीतामढी) जैसे बहुतेरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके प्रदर्शन की अनदेखी कर उन्हें मैदान से बाहर बैठने को मजबूर किया गया है जबकि बहुतेरे ऐसे खिलाड़ी हैं जो धनबल,पहुँच पैरवी के बूते इस ट्रायल मैच टीम की शोभा बढ़ा रहे हैं जिनमें ऋषभ राज (अरवल), शशि आनंद (पटना) , विकास झा(मधुबनी), अतुल प्रियंकर, चिरंजीवी ठाकुर (मुजफ्फरपुर) , यशस्वी ऋषभ ( बक्सर )आदि शामिल हैं।अंकित सिंह ,कटिहार, अरविंद झा ,मधुबनी और विकास पटेल ,जिला नामालूम, वैसे खिलाड़ी हैं जिनको बीसीसीआई ने कतिपय कारणों से प्रतिबंध लगा रखा है।
विकास पर झारखंड और उत्तर प्रदेश से एक साथ पंजीकरण कराने का आरोप था। ऐसे में अध्यक्ष राकेश तिवारी द्वारा बिहार की सबसे मजबूत टीम के गठन का दावा कितना सफल होगा और टीम बिहार का सफ़र मुश्ताक अली ट्रॉफी में कैसा रहेगा यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन यह मानने में संकोच नहीं है कि बिहार क्रिकेट फिलहाल व्यापार का हाट बन गया है जहाँ खिलाड़ी की बोली खेल नहीं पैसा के बूते आँकी जा रही है।