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शारीरिक शिक्षकों ने पटना उच्च न्यायालय में दायर की याचिका

by Khelbihar.com

पटना : माध्यमिक शारीरिक शिक्षक संघ,बिहार ने बीपीएससी द्वारा प्रधानाध्यापक नियुक्ति में शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को आहर्ता नहीँ दिये जाने के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में शुक्रवार को रिट याचिका दायर किया है।

माध्यमिक शारीरिक शिक्षक संघ,बिहार के अध्यक्ष शिव नारायण पाल एवं महासचिव गौरी शंकर ने बताया कि शारीरिक शिक्षक आजादी के पहले व आजादी के बाद अबतक विद्यालय में शिक्षा के अभिन्न अंग रहे हैं। लेकिन कुछ पदाधिकारियों के गलत आदेश के कारण मानव जीवन के लिए नितांत आवश्यक एवं बहुमूल्य इस विषय को हासिए में रखा गया है। जो शिक्षा जगत के लिए उचित नहीं है।

एक ओर जहाँ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हुए शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद को महत्वपूर्ण विषय मे शामिल करते हुए इससे सभी को जुड़ने की बात कह रहें हैं वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार शारीरिक शिक्षा के अस्तित्व को हीं मिटाने पर पड़ी हुई है जो अशोभनीय है। शारीरिक शिक्षा के बिना विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।

शारीरिक शिक्षा विषय शिक्षा के अद्वितीय अंग है। पहले शारीरिक शिक्षा की अलग घंटी बजती थी लेकिन इसे अब विलोपित कर दिया गया है। जिसके कारण विद्यालय में पठन-पाठन करने वाले छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में गिरावट के रूप में दिखाई देने लगी है। शारीरिक शिक्षा विषय रोचक, मनोरंजनात्मक होने के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है।

माध्यमिक शारीरिक शिक्षक संघ,बिहार के महासचिव गौरी शंकर ने यह भी कहा कि एक ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री,शिक्षामंत्री, प्रधान सचिव,माध्यमिक शिक्षा निदेशक,बिहार विधान सभा एवं विधान परिषद में शिक्षकों के प्रतिनिधियों को शारीरिक शिक्षक को प्रधानाध्यापक बनाने सहित अन्य मांगों को उनके समक्ष रखा गया है लेकिन आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ ठोस परिणाम नहीं प्राप्त हुआ है।

जिसके कारण शारीरिक शिक्षकों को मजबूर होकर न्यायालय के शरण में जाना पड़ा है। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ.बिपिन चन्द्रा के माध्यम से पटना उच्च न्यायालय में शारीरिक शिक्षकों इन मामलों के लिए रिट याचिका दायर की गई है। श्री शंकर ने कहा कि पूरी उम्मीद है कि न्यायालय से शारीरिक शिक्षकों एवं इस विषय को न्याय मिलेगा और फिर से विद्यालय में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद की घंटी बजेगी।

किसी भी खेल के लिए विद्यालय में पठन-पाठन करने वाले खिलाड़ी विद्यालय के मैदान को पहली सीढ़ी मानते हैं। ऐसे में विद्यालय से शारीरिक शिक्षा के महत्व को समझा जा सकता है। राज्य,राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद में पदक प्राप्त करना है तो उसके लिए भी विद्यालय स्तर से खेलकूद को बढाने की आवश्यकता है जिसके लिए भी विद्यालय में शारीरिक शिक्षा शिक्षक का होना अतिआवश्यक है।

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