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पटना:13 अप्रैल 1984 स्थान शारजाह में भारत की टीम ने सुनील गवास्कर की कप्तानी मे पाकिस्तान कप्तान ज़हीर अब्बास की टीम को फाईनल मे सुरेंद्र खन्ना (विकेटकीपर/बल्लेबाज) के मैन ऑफ द मैच प्रदर्शन की बदौलत हराया था ।
इस मैच मे सुनील गावस्कर जो की टीम के कप्तान थे सय्यद किरमानी की जगह युवा क्रिकेटर सुरेंद्र खन्ना को टीम मे जगह दी थी और फाईनल मैच मे खुद ओपनिंग न करते हुए सुरेन्द्र खन्ना को ओपनिंग करने के लिए भेजा पाकिस्तान के घातक गेंदबाजी को धराशायी करते हुए इस युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ने 56 रनो की पारी खेली और भारत को फाईनल जिताया।
इस प्रदर्शन के लिए सुरेंद्र खन्ना को फाईनल का मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया साथ ही सुरेन्द्र खन्ना पहले एशिया कप का मैन ऑफ द टूर्नामेंट (सीरीज) भी बने।
सुरेंद्र खन्ना दिल्ली का वो युवा और जोशिला विकेटकीपर बल्लेबाज था जो अपनी तेज बल्लेबाजी और विकेट के पाछे अपनी चिते जैसी फुर्ती के लिए जाने जाते हैं सुरेंद्र खन्ना ने अपने खेल के दम पर सय्यद किरमानी जैसे विकेटकीपर के सामने खुद को खड़ा किया और अपने प्रदर्शन के बुते भारतिये टीम मे जगह बनाई।
दिल्ली को पहला रणजी ट्रॉफी विजेता बनाने का श्रेय भी सुरेंद्र खन्ना को ही जाता है जिन्होंने रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल तथा फाईनल मे कर्नाटक के खिलाफ लगातार शतक लगाकर दिल्ली को पहली बार रणजी ट्रॉफी चैम्पियन बनाया।
सुरेंद्र खन्ना मात्र 10 अंतरराष्ट्रीय मैच ही खेल पाये और उसकी वजह बनी आस्ट्रेलिया के विरुद्ध मैच मे पैर मे एक बड़ी इंजुरी का होना इस मैच के बाद वो कभी क्रिकेट नही खेल पाये मगर आजतक क्रिकेट से किसी न किसी रुप में जुड़े हुए हैं।
सुरेंद्र खन्नावर्तमान मे ICA (INDIAN CRICKETER ASSOCIATION) के सचिव हैं।
सुरेंद्र खन्ना ने डोमेस्टिक(घरेलु) मैचों मे 5000 से ज्यादा रन बनाये हैं जिनमे 17 शतक भी शामिल है, वहीं विकेट के पिछे 182 कैच पकड़े और 52 स्टम्प करके शिकार अपने नाम किये हैं।सुरेंद्र खन्ना एक शानदार खिलाड़ी जो इंजरी के कारण भारतिये क्रिकेट टीम के लिए ज्यादा क्रिकेट नही खेल पाया।