Home Bihar संजय सिंह पर आदित्य वर्मा का पलटवार”जो खुद टुट कर बिखर गया उसे दूसरा क्या तोड़ेगा।

संजय सिंह पर आदित्य वर्मा का पलटवार”जो खुद टुट कर बिखर गया उसे दूसरा क्या तोड़ेगा।

by Khelbihar.com

खेलबिहार न्यूज़

पटना 05 जुलाई: आदित्य वर्मा ने बीसीए के अनर्गल आरोप पर कहा है कि खुद जुर्म करने वाले अहम के लड़ाई मे एक चुने गए सचिव को निलम्बन करने के बाद उसे बरखास्त करने वाले को यह भी पता नही है कि बीसीसीआई आज भी कोई ऑफिसयल मेल बीसीए के सचिव को हि भेज रहा है क्यो? ये बाते आदित्य वर्मा ने जिला प्रतिनिधि संजय सिंह द्वारा आदित्य वर्मा पर आरोप लगाने के उसके जबाब में कही है।।

उन्होंने कहा है लाख कोशिश के बाद भी बीसीसीआई के दूारा सचिव के मेल पर कोई भी जानकारी देने के लिए अनेक मेल बीसीए के वर्तमान अध्यक्ष के दूारा भेजने के बाद भी बीसीसीआई ने जता दिया है कि बीसीए सचिव के रूप मे संजय कुमार को ही मान कर चल रही है क्यो?जो खुद अपने काले करतूतो से नासमझी से 1935 के संस्था को गैर संवैधानिक तरीके से चला रहा है जिसके कारण बिहार क्रिकेट खतरे मे एक बार पुनः आ गया है क्यो?


मेरे पास कोई जिला नही है मुझे वह जिला नही चाहिए जिस जिला से दूसरे राज्य के खिलाड़ियों को जाली प्रमाण पत्र बनवा कर पिछले दरवाजे से बिहार क्रिकेट टीम मे शामिल करा के बिहारी प्रतिभाओं का दमन किया जाता है ।सीएबी समय आने पर देखा देगा कि बिहार के क्रिकेटरो मे प्रतिभा की कोई कमी नही है ।
4 जनवरी 18 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखो पढो बिहार को रंजी मैच खेलने का आदेश मिला था तो याचिका कर्ता आदित्य वर्मा सचिव सीएबी था ।एक कहावत है कि शर्माई बिल्ली खंभा नोचे जो खुद अपने करतूतो से से टुट कर बिखर गया है उसे तोड़ने के लिए किसी बाहरी की क्या जरूरत है?


बीसीसीआई के अध्यक्ष का वह पत्र सार्वजनिक कर दिया तो बात करने की सारी हेकड़ी निकल जाएगी ।
केरल हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत अगर 11 करोड़ रुपये के हिसाब पर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट मे लगा दिया तो बोलती बंद हो जाएगी । किसी भी राज्य क्रिकेट संघ के अधिकारियों के उपर एफआईआऱ वह प्रिवेंसन ऑफ करप्सन एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है यह मै नही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा था ।जिसने बिहार के क्रिकेटरो के हक के लिए 18 सालो तक कोर्ट मे गुज़ारा है उससे पंगा वगैर सबुत के मत लो ।


बिहारी क्रिकेटरो खास कर यहॉ के जन्मे परतिभाओं को निखारने के लिए वर्तमान बीसीए को जाना होगा ।
मेरे जिंदगी मे खोने के लिए कुछ भी नहीं है बस एक ही हसरत था कि बिहार के क्रिकेटरो को प्रथम श्रेणी का मैच खेलते हुए देखना है । दूसरा जुनून है कि बिहार के माटी मे पैदा हुए बिहारी को देश के लिए खेलता हुआ देखना है । पैसा देख कर हर बीसीए के पदाधिकारीयो ने निजी सहायक वगैर किसी नियम कानून के तहत रख कर बीसीसीआई ने जो पैसा बिहार के क्रिकेटरो के विकास के लिए दिया था उस पैसे से पगार दिया जाने लगा । बात कर रहे हैं कि आदित्य वर्मा बीसीए को तोड़ रहे है । समय कम है बिहार क्रिकेट संघ को बचा लो फिर दूसरे को दोष देना ।

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