पटना : बिहार क्रिकेट संघ को 18 साल बनवास देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिहार को एक बार फिर से रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला। अभी जो बिहार क्रिकेट की इस्तिथि है वह पहले से ज्यादा कुछ सुधरी नहीं है. आज भी बिहार क्रिकेट में आपसी विवाद जारी ही है जिसके कारण बिहार को बीसीसीआई से कोई मदद नहीं मिल रहा है।
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के पूर्व सचिव आदित्य वर्मा ने बताया है कि” बिहार सरकार के निबंधन कार्यालय से सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त जानकारी से यह बात पूरी तरह से साबित हो गया है कि 18.08.18 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक मे भी आज तक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने संबिधान मे कोई संशोधन नही करा सका है उसके बाद भी बीसीसीआई मे वोटिंग राइट्स तथा एक झूठे हलफनामा दे कर तत्कालीन COA प्रमुख से 11 करोड़ रुपये ले लिए।
आज बीसीसीआई के द्वारा ग्रांट 100 करोड़ के करीब जो रुका है उसका सबसे बड़ा कारण यह कि आपसी झगड़े के कारण जब 2012 मे Patna High Court ने 2009 के तत्कालीन IG Registration द्वारा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के निबंधन को निरस्त करने के बाद 2012 मे हाई कोर्ट पटना ने रेस्टोर कर दिया था लेकिन तब तक पेपर पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन बहुत से ग्रुप बन गए थे ।
सभी अपने आप को सही( Original )बिहार क्रिकेट एसोसिएशन मान कर अपना दावा दे रहे थे इसलिए सोसाइटी निबंधन विभाग ने आज तक किसी भी ग्रुप को असली बिहार क्रिकेट एसोसिएशन नही मानते हुए कोई भी संशोधन 2018 के अगस्त माह से नही किया है इसके बाद भी अगर बीसीसीआई कोई कारवाई नहीं कर रहा है तो एक बार फ़िर से ये मामला को माननीय सुप्रीम कोर्ट के पटल पर रख कर कोर्ट को बताया जाएगा कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के केस में बीसीसीआई की चुप्पी आश्चर्यपूर्वक है।