Home Bihar बीसीए अध्यक्ष के खिलाफ षड्यंत्र विफल, न्यायालय ने शिकायतकर्ता के आरोपों को झूठा पाया

बीसीए अध्यक्ष के खिलाफ षड्यंत्र विफल, न्यायालय ने शिकायतकर्ता के आरोपों को झूठा पाया

by Khelbihar.com

पटना: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी को राहत देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के क्लोज़र रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और एक महिला के द्वारा दर्ज कराये गए छेड़खानी व बलात्कार के प्रयास के मामले वाले आरोपो को खारिज कर दिया।इसकी जानकारी बीसीए द्वारा मीडिया एडवाइजरी जारी करते हुई दी गई है।

आगे बताया गया ” न्यायालय ने महिला द्वारा दायर प्रोटेस्ट पिटीशन को भी खारिज कर दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी को न्यायिक प्रक्रिया की यातना देना आरोपी के प्रति घोर अन्याय होगा।उल्लेखनीय है महिला के द्वारा पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में सनहा दर्ज कराया गए था जिसके बाद उसे एफ आई आर संख्या 29/2022 के रूप में दर्ज कर लिया गया।

जबकि उस महिला के खिलाफ उसी थाने में धारा 384 आई पी सी के अंतर्गत एफ आई आर संख्या 27/2022 पूर्व से दर्ज है।
एफ आई आर संख्या 29/2022 में महिला द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसंधान के दौरान पुलिस ने घटना स्थल (होटल ) के दस्तावेज़, संबन्धित व्यक्तियों के सी डी आर और मोबाइल लोकेशन की गहन जांच की और यह पाया की आरोपों में कोई सत्यता नहीं है, तथा अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए कोई अन्य साक्ष्य उपस्थित नहीं है, जिससे पुलिस ने न्यायालय के समक्ष इस मामले को बंद करते हुए क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दिया।

पुलिस ने जांच में पाया कि उल्लेखित होटल में शिकायतकर्ता द्वारा बताए गए रूम नंबर का कोई कमरा नहीं है, और शिकायतकर्ता महिला का मोबाइल लोकेशन भी उल्लेखित घटना स्थल के इर्द गिर्द का नहीं है। पुलिस जांच में यह भी पाया गया, कि आरोपी बीसीए अध्यक्ष घटना के दिन दिल्ली में नहीं थे।

इस मामले पर अपने बयान में बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी ने कहा, “इस महिला के विरुद्ध विभिन्न थानों में पूर्व से 13 मामलों के दर्ज होने की जानकारी प्राप्त हुई।अंबाला कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज एक मामले में उसे अपराधी घोषित किया था। वह ओपी तिवारी के साथ मिलकर रैकेट चला रही थी ” जब ओपी तिवारी को अनियमितता के कारण बीसीएल से निलंबित कर दिया गया, तो उन्होंने और चित्रा ने हमें फंसाने की कोशिश की। आखिरकार उनका पर्दाफाश हो गया।

दिल्ली पुलिस ने अक्टूबर में पटना में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन काउंसिल के एक अधिकारी ओम प्रकाश तिवारी के घर पर छापा भी मारा था, जहां से से वो फरार हो गए।
ओपी तिवारी कथित तौर पर कदमकुआं इलाके के दीप लीला अपार्टमेंट में रहते हैं, जहां दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बिहार पुलिस की मदद से छापेमारी की थी। दिल्ली पुलिस ने ओपी तिवारी के खिलाफ जबरन वसूली की प्राथमिकी दर्ज की, जिन्होंने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न मामले में राकेश तिवारी को फंसाने की कोशिश की थी।

आपको बता दे ओपी तिवारी के घर छापेमारी की ख़बर चलने के बाद ओपी तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर छापेमारी कि ख़बर को गलत बताया था और उनपर लगे सभी झूठे आरोपो को एक साजिश बताया था और उन्हें बीसीए अध्यक्ष द्वारा फसाया जाना बताया गया क्योंकि ओपी तिवारी ने बीसीएल के पद पर रहते हुई अध्यक्ष की  बात नहीं मानी थी एवं अन्य आरोपों को मीडिया के सामने ओपी तिवारी ने एक एक कर बताया था।

बीसीए द्वारा जारी मीडिया एडवाइजरी में आगे बताया गया कि ” इस मामले में दिल्ली पुलिस ने शुरुआत में संसद थाने में प्राथमिकी दर्ज की और बाद में पटियाला हाउस कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जिसे अब कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट में जिक्र किया था कि बीसीए अध्यक्ष तिवारी को निशाना बनाया जा रहा था और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था. पुलिस ने यह भी उल्लेख किया है कि शिकायतकर्ता और उसका भाई झूठ बोल रहे थे। इसके बाद पुलिस ने इनके खिलाफ रंगदारी की प्राथमिकी दर्ज की थी।

महिला कथित तौर पर बीसीसीआई मैचों में चयन में मदद करने के लिए युवाओं से पैसे लेती थी। आरोपी ओपी तिवारी से इनके गहरे संबंध हैं।महिला ने पुलिस को शपथ पत्र भी दिया है कि उसने दूसरों के बहकावे में आकर प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने पाया कि ओपी तिवारी इन सबके पीछे मास्टरमाइंड था।
बिहार क्रिकेट असोशिएशन के अध्यक्ष के खिलाफ दर्ज़ इस मामले को लेकर उनके विरोधियों ने एकजुट होकर मोर्चा खोल रखा था,लेकिन, अब न्यायालय के आदेश के बाद विरोधी पक्ष मायूस नज़र आ रहे हैं । दूसरी तरफ, अध्यक्ष के समर्थक गुट मे खुशी देखी जा सकती है। नाम नही छपने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि ऐसे अनर्गल आरोप से व्यक्तिगत दुश्मनी तो साधी जा सकती है, लेकिन, इससे अंततः बिहार क्रिकेट का नाम ही खराब होता है। बीसीए ने मीडिया एडवाइजरी जारी करते हुई ऐ सभी  जानकारी दी।

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