Home Bihar निराले अध्यक्ष का मास्टर स्ट्रोक,मैच के बाद ट्रायल का आयोजन “यानी एम ए के बाद बीए करना”:मनोज कुमार

निराले अध्यक्ष का मास्टर स्ट्रोक,मैच के बाद ट्रायल का आयोजन “यानी एम ए के बाद बीए करना”:मनोज कुमार

by Khelbihar.com

निराले अध्यक्ष का मास्टर स्ट्रोक : मैच के बाद ट्रायल का आयोजन “यानी एम ए के बाद बीए करना”

बीसीए में जारी है क्रिकेट के खेल में खेल , अनुशासन का रेल पेलक: मनोज

खेलबिहार न्यूज़

पटना 22 दिसंबर : बिहार क्रिकेट संघ में इन दिनों क्या हो रहा है शायद इसकी सूचना ठीक से किसी को नहीं। अगर ऐसा होता तो बीसीए अध्यक्ष की ओर से आयोजित कराए गए टी-20 प्रतियोगिता के आधार पर मुश्ताक अली ट्रॉफी में हिस्सा लेने वाले बिहार टीम का गठन किया जा सकता था । कहीं न कहीं इस आयोजन के पीछे सोंच भी ऐसी ही बनी होगी । तभी बड़े तामझाम से आनन-फानन में महज तीन दिनों के अंतराल पर घोषित टी-20 प्रतियोगिता का आयोजन प्रारंभ में भी कराया गया । बावजूद इसके प्रतियोगिता के समापन से चंद दिनों पूर्व ही अध्यक्ष राकेश तिवारी की ओर से यह बयान जारी करना कि मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए खिलाड़ियों का चयन ट्रायल के आधार पर होगा ? समझ से परे प्रतीत होता है। यह ट्रायल अगर बिहार क्रिकेट संघ से जुड़े खिलाड़ियों के लिए ओपन स्तर पर होता तो बात समझ आती । मगर जब यहां भी संकुचित सोंच का दायरा अपने अपने खेमे के अंदर सीमित रहा तो बात समझ नहीं आई कि आखिर यह ट्रायल क्यों आयोजित किया जा रहा है? ये बाते एमडीसीए सचिव मनोज कुमार ने कही है।

उन्होंने कहा है कि ” जबकि T20 प्रतियोगिता के आधार पर प्रतिभागी खिलाड़ियों में से टीम का गठन हो सकता था! फिर यह दिखावा क्यों ? क्या किसी मनचाहे खिलाड़ी के प्रदर्शन में कमी रह गई थी ? उसे इस ट्रायल के रास्ते बिहार टीम में स्थान दिया जाना है या मन में कोई और खोट शेष रह गया था जिसे साबित करने के लिए यह ट्रायल आयोजित किया जा रहा है।

वैसे अभी समानांतर क्रिकेट आयोजन में सहभागिता सुनिश्चित करने वाले खिलाड़ियों पर अनुशासन का डंडा चलना भी शेष है। मजे की बात है कि कार्यकारी सचिव और जीएम एडमीन काररवाई की बात करते हैं तो अध्यक्ष राकेश तिवारी कहते हैं पिछले साल बिहार से खेले सभी खिलाड़ी को मौका मिलेगा! ऐसे में कुमार अरविंद की ओर से बीसीसीआई को लिखे पत्र और अनुशासनात्मक कार्रवाई संबंधी आदेश का क्या होगा?


बहरहाल यह विडंबना ही है । बिहार क्रिकेट अर्से बाद जब बीसीसीआई से लिंक में जुड़ा तो विवादों ने इसे इस कदर जकड़ लिया है कि बिहार की प्रतिभा सकते में है। बहुतेरे खिलाड़ी पहले से ही पलायन की राह अग्रसर थे अब इस गहराते विवाद के बाद और व्यापक स्तर पर बिहार के क्रिकेटर अन्य राज्यों का रास्ता पकड़ने को विवश होंगे । इसमें कोई संदेह नहीं बनता है क्योंकि जिस कदर से यहां क्रिकेट गुटबाजी में सीमित है ।एक दूसरे को नीचा दिखाने का खेल चल रहा है । ऐसे में संभव नहीं लगता है बिहार क्रिकेट आने वाले कुछ महीने अथवा कुछ वर्षों में मैदान में संचालित होने वाला है । जैसे हालात सामने हैं और जो रंग रूप बन रहा है यह तय है कि बिहार क्रिकेट मैदान की जगह या तो बीसीसीआई के रिमोट से चलेगा या फिर न्यायालय की परिधि में ही खेला जाएगा।

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