Home Bihar रणजी ट्रॉफी एवं बिहार क्रिकेट को लेकर बिहार के कप्तान आशुतोष अमन का इंटरव्यू।

रणजी ट्रॉफी एवं बिहार क्रिकेट को लेकर बिहार के कप्तान आशुतोष अमन का इंटरव्यू।

by Khelbihar.com

पटना 01 फरवरी: बीसीसीआई ने कोरोना के चलते एक बार फिर रणजी ट्रॉफी को स्थगित कर दिया था लेकिन अब बीसीसीआई ने इसके आयोजन को लेकर रास्ता निकाल लिया है।।बीसीसीआई सचिव जय शाह ने बताया था कि इस बार रणजी ट्रॉफी को दो फेज में आयोजित किया जाएगा।लीग और नॉकआउट। खबर है कि आयोजन 9 वेन्यू में होना है।

बिहार रणजी टीम के कप्तान आशुतोष अमन ने TV9 Hindi के साकेत शर्मा के साथ इंटरव्यू में बिहार क्रिकेट और आईपीएल में खेलने को लेकर बड़ी बातें कही है।

Tv9Hindi में साकेत शर्मा के साथ आशुतोष अमन की हुई इंटरव्यू के अनुसार ।

सवाल- रणजी ट्रॉफी की शुरुआत होने जा रही है. इस खबर पर आपका पहला रिएक्शन?

आशुतोष– ये सारे रणजी खेलने वाले और घरेलू क्रिकेटर के लिए बहुत ही अच्छी खबर है. हम उम्मीद कर रहे थे कि ये टूर्नामेंट हो. BCCI का बहुत-बहुत धन्यवाद कि इतने मुश्किल हालात और इतने व्यस्त शेड्यूल के बीच उन्होंने एक बीच का रास्ता निकाला और रणजी ट्रॉफी हो रहा है.

सवाल– कोरोना के चलते रणजी ट्रॉफी पिछले साल नहीं खेली गई. इस बार होने जा रही है. ऐसे में इस दौरान प्रोफेशनल क्रिकेट का दौर कैसा रहा?

आशुतोष– पिछले साल व्हाइट बॉल क्रिकेट हुआ था, जिसके चलते रणजी ट्रॉफी नहीं होने के बाद भी प्रोफेशनल क्रिकेट से हमारा जुड़ाव बना रहा. उम्मीद यही थी कि रणजी का सीजन भी खेला जाएगा. हम सभी खिलाड़ी एक दूसरे के संपर्क में थे और अपनी तैयारी कर रहे थे.

सवाल– बिहार के गया जैसे छोटे शहर में आपको किस चीज ने क्रिकेटर बनने की प्रेरणा दी?

आशुतोष– बचपन से ही क्रिकेट मुझे काफी पसंद था. हालांकि, गया में तब उतने मौके और संसाधन नहीं थे. लेकिन, मेरे अंदर इस खेल को खेलने की ललक थी, जो कि टीवी पर सचिन तेंदुलकर को खेलते देखकर और भी ज्यादा पनपी थी. घर की छत हो, गली या फिर मैदान- जहां मौका मिलता मैं क्रिकेट खेलता था.

सवाल– बिहार-झारखंड के क्रिकेटरों पर धोनी का प्रभाव देखने को मिलता है. बतौर टीम इंडिया के कप्तान धोनी ने अपनी अलग पहचान बनाई. आप भी बिहार रणजी टीम के कप्तान हैं. आप भी धोनी से मिले होंगे. क्या कुछ सीखने को मिला?

आशुतोष– धोनी से मेरी 2-3 बार मुलाकात हुई है. वो बेहद सिंपल इंसान है. उतने ही सिंपल तरीके से वो चीजों को समझाते भी है. इस दौरान उनके शब्द भी काफी प्रेरणादायी होते हैं. बिहार-झारखंड के क्रिकेटरों के लिए तो वो हमेशा ही आदर्श रहेंगे. दबाव को कैसे हैंडल करना है और कैसे खुद पर सफलता को हावी नहीं होने देना है, मेरे लिए ये उनसे सीखने वाली बड़ी बातें हैं.

सवाल– बिहार क्रिकेट में अलग बात क्या है और आने वाले समय में किस तरह के खिलाड़ी वहां से उभरकर सामने आ सकते हैं?

आशुतोष– बिहार क्रिकेट को जो बात अलग करती है वो है वहां बेहतरीन स्किल्स वाले क्रिकेटरों की भरमार. राज्य के पास टैलेंटेड क्रिकेटरों का लंबा पूल है. आपने देखा होगा कि झारखंड, बंगाल जैसे कई सारे दूसरे राज्य से बिहार के खिलाड़ी क्रिकेट खेल रहे हैं और अच्छा परफॉर्म भी कर रहे हैं. राज्य में क्रिकेट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्राउंड का स्तर सुधारे जाने की जरूरत है. बिहार क्रिकेट बोर्ड इस दिशा में काम भी कर रहा है. आने वाले 2-3 साल में आप देखेंगे कि ना सिर्फ बिहार क्रिकेट का स्तर ऊंचा होगा बल्कि वहां से कुछ अच्छे खिलाड़ी निकलकर सामने आएंगे.

सवाल– बिशन सिंह बेदी का रिकॉर्ड आप तोड़ चुके हैं. आने वाले समय में और किन रिकॉर्डों को तोड़ने की ख्वाहिश रखते हैं?

आशुतोष– देखिए, मैं या कोई भी क्रिकेटर रिकॉर्ड के लिए नहीं खेलता. वो मैच दर मैच खिलाड़ी खेलता है. हर मैच में यही सोचकर उतरता है कि अपना बेस्ट दे और टीम के लिए जीते. तो ऐसा कोई रिकॉर्ड मेरे दिमाग में नहीं है कि आगे तोड़ना है. बस यही है कि अच्छा परफॉर्म करूं. मेरी टीम जीते और बिहार का नाम हो.

सवाल– IPL 2022 शुरू होने जा रहा है. आपको मौका मिला तो आप किस टीम से खेलना पसंद करेंगे?

आशुतोष– IPL में इस बार 10 टीमें हैं. सारी टीमें अच्छी है. मुझे जिससे मौका मिला, मैं उस टीम से खेलना पसंद करूंगा. मेरा प्रयास बस उस टीम के लिए बेहतर परफॉर्म करने पर होगा. उसके साथ जुड़कर अनुभव प्राप्त करने का होगा.

सवाल– फिर भी उस एक IPL टीम का नाम जानना चाहें, जिससे आप खेलना पसंद करेंगे तो वो कौन सी होगी और क्यों?

आशुतोष– मैं दिल्ली कैपिटल्स से खेलना पसंद करूंगा. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं 15 सालों से दिल्ली में ही क्रिकेट खेल रहा हूं. मुझे यहां के प्लेयर्स जानते हैं. यहां हालात, मिजाज, लोकेशन सबका अच्छे से अंदाजा है.

सवाल– आप खुद बाएं हाथ के स्पिनर हैं. बाएं हाथ के स्पिनर्स या तेज गेंदबाजों की डिमांड क्यों रहती है क्रिकेट में?

आशुतोष– देखिए, ज्यादातर बल्लेबाज दाएं हाथ के होते हैं. ऐसे में उन्हें बाएं हाथ के स्पिनर्स के खिलाफ खेलने में दिक्कत आती है. वैसी ही बात लेफ्ट आर्म मिडियम पेसर के साथ भी है. अलग एंगल से गेंद आती है, जिसकी बल्लेबाज प्रैक्टिस नहीं करते और इस वजह से दिक्कतें पेश आती है. हालांकि, आज की क्रिकेट में सब बराबर है. तैयारी के लिए इतनी सुविधाएं और तकनीक आ गई है कि ज्यादा फर्क रह नहीं गया है.

सवाल– आपको लगता है कि बिहार क्रिकेट को मान्यता थोड़ी पहले मिली होती तो आपका करियर किसी और दिशा में भी होता?

आशुतोष– रणजी ट्रॉफी की मान्यता देर से मिलने में बिहार में एक पूरे जेनरेशन का क्रिकेट हाशिए पर चला गया है. मेरा और बिहार में मेरे कई ऐसे सीनियर्स जिन्हें मैं जानता हूं, जो कमाल के क्रिकेटर थे, वो रणजी ट्रॉफी में नहीं खेलने के चलते अपनी पहचान नहीं बना सके. तो जाहिर है कि और पहले मान्यता मिली होती तो थोड़े और ज्यादा मौके होते खुद को साबित करने के लिए.

सवाल– आशुतोष अमन क्रिकेटर नहीं होते तो क्या होते?

आशुतोष– अगर मैं क्रिकेट नहीं खेल रहा होता तो अपने गांव में खेती कर रहा होता. मुझे पसंद है खेती में नए-नए प्रयोग करना.

सवाल– बिहार-झारखंड में आपने कई सारे खिलाड़ियों के साथ खेला है. अगर मैं आपसे किसी एक बल्लेबाज, गेंदबाज का नाम जानना चाहूं, जिनके खेल से आप प्रभावित हुए तो किनका नाम लेना चाहेंगे?

आशुतोष– बिहार-झारखंड की क्रिकेट में बल्लेबाज का नाम लूं तो इशान किशन हैं, जिनके खिलाफ गेंदबाजी करना आसान नहीं है. खासकर लेफ्ट आर्म स्पिनर के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. और , गेंदबाज में मैं शहबाज नदीम का नाम लेना चाहूंगा, जिनको खेलते देखकर मैं सीखता हूं और उनसे ज्यादा से ज्यादा गेंदबाजी के बारे में जानना पसंद करता हूं।

Tv9Hindi में छपी खबर :-http://bit.ly/3HvfkOw

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