Home Bihar लालू प्रसाद यादव की जगह विनोद सिंह को नेतृत्व देने पर बीसीए में मचा था घमासान?पढ़े कहानी

लालू प्रसाद यादव की जगह विनोद सिंह को नेतृत्व देने पर बीसीए में मचा था घमासान?पढ़े कहानी

by Khelbihar.com
  • लालू प्रसाद की जगह शराब माफिया को नेतृत्व देने पर बीसीए में मचा था घमासान *
  • तब सिद्धिकी के नेतृत्व में जिलों में हुआ था समानांतर संगठन का बीजारोपण +
  • मुजफ्फरपुर – मधुबनी था निशाने पर *
    – मनोज कुमार वरीय पत्रकार एमडीसीए सचिव

खेलबिहार न्यूज़

पटना 16 जून: बिहार क्रिकेट के इतिहास को लेकर एक बार फिर वरीय पत्रकार एवं एमडीसीए के सचिव मनोज कुमार ने अपनी कलम से लिखी कहानी को बताया है जिसमे उन्होंने लिखा है “बिहार क्रिकेट संघ पटना के तीसरे कार्यकाल में लालू प्रसाद की जगह शराब माफिया विनोद सिंह को अध्यक्ष बनाने का मामला ऐसा तूल पकड़ा कि बीसीए में दो फाड़ हो गया।

जहाँ एक का नेतृत्व तात्कालीन सचिव अजय नारायण शर्मा कर रहे थे तो दूसरे गुट की कमान कार्यकारी अध्यक्ष रहे अब्दुल बारी सिद्धिकी कर रहे थे। यह वही वक्त था जब खेमेबाजी चरम पर गयी और मामला हाई कोर्ट जा पहुँचा । बीसीए को स्टीयरिंग कमिटी झेलनी पड़ी और जिला क्रिकेट में समानांतर संगठन को बल मिला।।


झारखंड राज्य के अलग होने के बाद बीसीए की बड़ी विडंबना रही कि यह हमेशा ही विवादों में रही। कुर्सी की चाह रखने वाले लोगों का जमावड़ा सदैव ही संगठन की नीति और कार्य पर हावी रहा। नतीजतन खिलाड़ी विवादों में पीसते रहे।तीसरे कार्यकाल में जब बीसीए चुनाव में गयी तो अध्यक्ष पद पर लालू प्रसाद की जगह शराब के बड़े कारोबारी विनोद सिंह को प्रत्याशी बनाया गया। मामला तब बिगड़ गया जब कार्यकारी अध्यक्ष रहे अब्दुल बारी सिद्धिकी ने विरोध का विगूल फूंका और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को अध्यक्ष बनाने की वकालत की।

हालांकि शर्मा गुट ने बीसीए के संविधान का हवाला देकर इस मांग को खारिज कर दिया गया और विनोद सिंह की अध्यक्षता में नयी कमिटी निर्वाचित हुई। इनका कहना था कि बीसीए में अध्यक्ष पद पर कोई प्रत्याशी दो कार्यकाल से अधिक बार निर्वाचित नहीं हो सकता है। लेकिन विरोधी गुट ने इस दलील और चुनाव दोनों को खारिज कर दिया और लालू प्रसाद के रिपोर्ट पर बीसीसीआई ने तब बीसीए में एडहाॅक कमिटी गठित कर दी। सिद्धिकी और अजय शर्मा दोनों इस कमिटी में थे लेकिन निर्वाचन की वैधता को लेकर श्री शर्मा हाई कोर्ट जा पहुँचे। तब जिला से हासिल व्यापक समर्थन के कारण कोर्ट ने चुनाव पर मुहर लगायी और विनोद सिंह के नेतृत्व में कमिटी अस्तित्व में आ गयी थी ।


हालांकि इसके बावजूद भी लालू प्रसाद के नेतृत्व में गठित कमिटी बीसीसीआई पर अपनी वैधता का दस्तक देती रही। अंततः यह मामला 2015 के चुनाव के पहले दो पक्षीय सहमति के बाद सुलझा और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बीसीए का चुनाव संपन्न हुआ। लेकिन इसके पहले स्टीयरिंग कमिटी के कार्यकाल में बहुतेरे जिलों में समानांतर संगठन को अस्तित्व में लाया गया और उसी के हाथों क्रिकेट का संचालन कराया गया। खासतौर पर मुजफ्फरपुर और मधुबनी सिद्धिकी गुट के निशाने पर रहा। सबसे बड़ी बात है कि एबीसी की टीम इस होड़ में विरोधी खेमे के साथ हो गयी थी। हालांकि आगे चलकर अजय नारायण शर्मा के नेतृत्व में बीसीए की बागडोर आ गयी। स्टीयरिंग कमिटी का अस्तित्व खत्म हो गया था। लेकिन जिलों में समानांतर संगठन की जो बुनियाद पड़ी थी वह आगे भी इमारत बनती रही और बिहार क्रिकेट संघ में कुर्सी के दावेदारों के हाथ इस्तेमाल की वस्तु बनी रही।

Related Articles

error: Content is protected !!