Home Bihar लोकपाल ने लगया BCA उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर रोक

लोकपाल ने लगया BCA उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर रोक

by Khelbihar.com
  • कार्यकाल पूर्ण कर लेने के मामले में बिहार क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर रोक
  •  लोकपाल के न्यायालय ने सुनाया फैसला बीसीए के
  • किसी भी गतिविधि में हिस्सेदारी पर रोक लगाया
  • अपने ही हलफनामा में फंस गये बीसीए उपाध्यक्ष

✍️ मनोज कुमार

पटना : बिहार क्रिकेट संघ के निवर्तमान उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव के अनुसार कार्यावधि पूर्ण होने के बाद भी पद पर बने रहने के मामले में मुजफ्फरपुर जिला क्रिकेट संघ के सचिव मनोज कुमार द्वारा लोकपाल के न्यायालय में किए गए मुकदमे में फैसला सुनाते हुए लोकपाल ने बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह के कार्य पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश जारी किया है।

उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि क्योंकि उनका कार्यकाल लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव और बीसीए के संविधान के अनुरूप पूर्ण हो चुका है ऐसे में फिलहाल वे बिहार क्रिकेट संघ से जुड़े किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। विदित हो कि श्री सिंह ने बीसीए के उपाध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के दौरान निर्वाचित पदाधिकारी के समक्ष दिए गए हलफनामा में स्पष्ट किया था कि वह 2013 से लेकर 2016 तक कैमूर जिला क्रिकेट संघ के सचिव और 2016 से लेकर 29 सितंबर 2019 तक कैमूर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद पर पदासीन रहे हैं।

ऐसे में उनका कार्यकाल स्वत : 16 फरवरी 2022 में पूर्ण हो जाता है । इसके बावजूद भी दिलीप सिंह या तो बिहार क्रिकेट संघ के सीओएम को धोखे में रखकर पद पर बने हुए थे या सब कुछ जान बुझ कर भी बीसीए अध्यक्ष ने मनमानी के तहत उनको पद पर बनाए रखा था । यह अंदेशा इसलिए भी बलवती होता है कि पिछले दिनों बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी ने खुद को स्वयंभू सचिव घोषित करके अवैध ढंग से बीसीए के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू कर दी।

और तो और बीसीए उपाध्यक्ष दिलीप सिंह ने लोढ़ा कमेटी के प्रस्ताव और संविधान की अनदेखी करते हुए एक बार पुनः उपाध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी कर रखी है। जो कहीं से भी वैध प्रतीत नहीं होता है।

बहरहाल लोकपाल महोदय के आदेश के बाद बिहार क्रिकेट संघ के चुनाव पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। या तो इस तमाम प्रक्रिया को फिर से कराने की जरूरत है। अन्यथा यह चुनाव आने वाले दिनों में रद्द करना या अवैध घोषित करना बीसीए की व्यवस्था बन सकती है।

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